आये दिनों हर रोज महिलाओं के शोषण व दुष्कर्म की घटनाओं ने मानवता व जीने के लिए जरूरी आदर्शों को तार -तार कर रही हैं। इस घटनाओं में नृशंसता की वृत्ति बढ़ती जा रही है। शोषित और शोषक के उम्र को लेकर हमारा समाज विह्वल है।
ऐसे में हमे समाजिक व्यवस्था के पुनर्मूल्यांकन पर विस्तृत सामाजिक सर्वेक्षण की जरूरत है। कुछ सवाल हैं मेरे मन मे जो हर समाज में जाकर वहां रह रहे लोगों से उनके उत्तर जानने चाहिए जिससे तथाकथित समाज की दिशा और दशा का आकलन हो सके
इतनी कम उम्र में ऐसे विभत्स वारदात को अंजाम देने की सोच का पोषण कहाँ से मिल रहा है.??
इस घृणित अपराध के अपराधियों को तो त्वरित सजा मिले हीं,साथ ही सम्बंधित समाज की भी सोशल ऑडिट हो कि;
*वो अपने बच्चों का पोषण कैसे करते हैं?
*समाज के पुरुष समाज मे चौक-चौराहे पर, गली मोहल्ले में संवाद की क्या शैली है?
*समाज में युवा की गतिविधि कैसी है, उनकी रुचि किस कार्यों में है?
*मोबाइल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग समाज में किस प्रकार हो रहा है?
*लोग अपने बच्चों के गतिविधियों का मूल्यांकन कैसे करते हैं?
*समाज के पुरुष (बुजुर्ग, युवा व किशोर) महिलाओं के (जीवनशैली के) सन्दर्भ में क्या सोच रखते हैं.?
ऐसे ही अन्य कई सवालों को संकलित कर तथाकथित व अन्य समाज मे सोशल ऑडिट कराए जाएं जिससे पता चले कि समाज के प्रगतिशीलता की दिशा और गति क्या है.?
**समाज में किस प्रकार के बदलाव की जरूरत है.?
समाज