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योग की बढ़ती लोकप्रियता

JASWANT KUMAR

योग की बढ़ती लोकप्रियता

योग भारत की प्राचीन विधा है , और इसकी मुख्यता अब जाकर उभरी है । अन्यथा यह विधा का जिक्र भी आठ-नौव वर्ष पूर्व इसके बारे में कोई भी नहीं जानता था पर अब यह चर्चा का विषय बना हुआ है जिस कारण लोग भारत के नागरिक इसके महत्वता से अवगत हुए है। इसके पीछे का भारत सरकार का योगदान भी कम नही है। क्योंकि भारत सरकार के प्रयास के प्रतिफल स्वरूप यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ मे भारत सरकार ने यह प्रस्ताव रखा कि दुनिया को योग को अपनाना चाहिए क्योंकि यह मानव के स्वास्थय के लिए बेहद लाभप्रद भी है। और दुनिया ने इसके गुणों के कारण अपनाना की शुरुआत कर दी है। प्राचीन काल में यह विधा अध्यात्म का माध्यम थी पर धीरे-धीरे यह उच्च प्राथमिक सोपान वर्ग के लिए समझी जाती थी। पर पिछले कुछ सदी में यह आम जनता के लिए अपनाने से इसको प्रमुखता मिली।

कैसे प्रमुखता प्राप्त हुई

यह लगातार योग दिवस मनाते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार आठवा वर्ष है, हर साल योग शिविरों की संख्या मे बढ़ोतरी दर्ज की गई है। और साथ ही यह कार्य भी हुआ है कि स्कूलों में योग शिक्षको की नियुक्ति की जारी है। ताकि लोगों को स्वास्थय रखने के लिए जागरूक करने की प्रयत्न किये जा रहे है। क्योंकि कई सारे रोग है जिनका अंग्रजी दवाईयों के अध्ययन से इलाज सम्भव नहीं है। चिकित्सको द्वारा यह सुझाव दिया जा रहा है कि दवाईयों के सेवन के साथ योग भी करने को सुझाया जा रहा हैं क्योंकि योग करने से दिल की , रक्त शंकर्रा , हड्डी , पाचन ,यकृत रोग के खतरों को कम करती हैं। यह चिकित्सक विशेषज्ञों को मानना है कि योग मानव में इन सभी समस्यों से समाधान कर देश में स्वास्थय व्यय को कम करेंगे।

मानवतावादी दृष्टिकोण

भारत की सरकार की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है क्योंकि यह कार्य मानव के लिए तो बेहतर है ही पर इससे भारत अपने कई दुष्कर कार्य की पूर्ति की जा सकती है जो राष्ट्र की हितो को पूरा करें । साथ ही भारत की यश , *कीर्ति को बढ़ाएगा ,देश को सम्मान भी दिलायेगा , भारत देश की महत्वता को स्थापित करेगा। भारत अपनी अलग ही छवि का निर्माण करेगा। यह बेहद जरूरी हो जाता है कि सभी राष्ट्र एक -दूसरे का सहयोग , मदद करें क्योंकि मौजूदा पर्यावरण हालात ऐसे है कि कभी भी कोई महामारी आ सकती है यदि राष्ट्र विश्व स्तर पर इनका महत्व नहीं समझेंगे तो इसका परिणाम समस्त मानव समाज को झेलना होगा।

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