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अधूरा इलाहाबाद।।

सुनो तुमको याद है, हम संगम किनारे बैठे थे तुम मुझपे चिला रही थी मैं चुप चाप तुमको सुन रहा था, और उसी बीच जब तुमसे मैने कहा था, सुनो ये जो प्यार है न तुम ऐसे ही करते रहना, तुमने बोला था मैं तुमपे इतना चिलाती हूं तभी ये बात बोल रहे,तो मैंने कहा था तुमसे, तुम्हारा मेरे पर हक दिखना ही तो प्यार है। तब तुमने मुस्करा कर कहा था, मुसीबत कुछ भी कभी तुमको छोड़ कर नहीं जाऊंगी, मैं अपना हक तुम्हारे ऊपर हमेशा दिखूंगी तुम बस मुझे ऐसे ही झेलते रहना। फिर हम दोनो खूब खिल कर हसने लगे थे। कुछ देर हम लोग शांत रहे फिर तुमने कहा अनुशील ये जो हमरा प्यार है कोई समझ नही सकता सबको यही लगता है की मैं तुमको बस परेशान करती हूं, लेकिन अनुशील देखना जो प्यार कभी कोई समझ नही पाया उस प्यार को हम दोनो उस मुकाम पे ले जाएंगे लोग कहेंगे की इनका प्यार अलग तरीके का और सच्चा वाला था। तब मैं तुमसे मुस्कुराते हुए कहा था बस थोड़ा लड़ना कम मेरे से, तो तुमने चेहरा लटका के बोला वो तो मेरा प्यार है तुमसे नहीं लडूगी तो कहा जाऊंगी, अभी बोले की तुम ऐसे रहना तुम बोल के चुप हो गए। तब मैं हस्ते हुए कहा था मजाक कर रहा मै तुम्हारा ही हूं तुमको जैसे रहना है मेरे साथ रहो।फिर उस शाम हम लोग संगम पे कुछ देर शांत बैठ कर एक दूसरे को देखते रहे।

जानती हो एक वो दिन था और एक आज का दिन है। मैं एक दम अकेला पड़ गया हूं,तुम्हारी बाते सोच कर लगती है क्या हमरा प्यार ही गलत था,तुमने कहा था हमेशा साथ रह के मिशाल बनना है प्यार का,और आज सब खत्म। अब तो लगता है इस प्यार मोहब्बत के सारे कसमें वादे सब जुमले ही होते है। तुमने कभी सोचा मै कैसे हूं। तुमने तो अपना वादा नही निभाया लेकिन मैं हमेशा तुम्हारी यादों के साथ अपना वादा निभाता रहूंगा। मैं जानता हूं इस दुनिया में सभी चीज का अंत है। हमारे प्यार का भी अंत होना था हो गया। लेकिन मैं तुमसे इस दुनिया के, अन्त तक प्यार करता रहूंगा। 

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