Site icon Youth Ki Awaaz

लिबरल आर्ट्स में क्या हैं करियर संभावनाएं?

student-technology-laptop-tablet-education-school-young

समय के साथ एजुकेशन का नज़रिया भी बदल गया है, आजकल स्टूडेंट्स सिर्फ मैथ्स-साइंस के फेर में नहीं पड़ते, बल्कि वो अपनी पसंद यानि आर्ट्स को पूरा महत्व देना जानते हैं, उनमें ही एक है लिबरल आर्ट्स। 

क्या है लिबरल आर्ट्स?

लिबरल आर्ट्स सोशल साइंस और ह्यूमनिटीज़ के आधार पर एक बेहतरीन बैकग्राउन्ड देता है। इस डिग्री से आप एक लिबरल विशेषज्ञ के तौर पर काम कर सकते हैं।

लिबरल यानि विस्तार जो आपको किसी एक फील्ड से बांधता नहीं, ठीक इसी तरह है लिबरल आर्ट्स होता है, जिसमें किसी एक अहम मुद्दे को पढ़ना या कहें उसका सामना करना है। ये किसी खास कोर्स या स्टडीज़ से अलग है, तो इसको पढ़ते हुए छात्र कई तरह के क्षेत्रों से जुड़ सकते हैं। ये कार्यक्रम मानव विकास, संस्कृति और रचनात्मकता की खोज के माध्यम से एक विविध शिक्षा प्रदान करते हैं।

आधुनिक समय में अब ऐसे कई विषय हैं, जो इस श्रेणी के व्यापक दायरे में आते हैं; एक विशिष्ट उदार कला डिग्री कार्यक्रम है, जिसमें मानविकी के साथ-साथ सामाजिक, प्राकृतिक और औपचारिक विज्ञान के विषयों को शामिल किया गया है। विभिन्न संस्थानों में उदार कला डिग्री कार्यक्रमों में शामिल विशेष विषयों में अंतर है। हालांकि, उदार कला स्पेक्ट्रम को आम तौर पर निम्नलिखित क्षेत्रों को कवर करने के रूप में स्वीकार किया जाता है।

कौन ले सकता है एडमीशन?

12वीं पास करने वाला कोई भी स्टूडेंट या कोई भी जिसने 12 वीं की परीक्षा दी हैं मगर अभी रिज़ल्ट नहीं मिल है, वो इस कोर्स को करने के लिए योग्य हैं। इसके अलावा लिबरल आर्ट्स में ग्रेजुएट स्टूडेंट्स देश-विदेश के कॉलेज से इसमें पीजी कोर्स कर अच्‍छा करियर बना सकते हैं।

इसकी शुरुआत

लिबरल आर्ट्स आज का नहीं  सदियों पहले का है इसे ऐसे सब्जेक्ट्स का मिश्रण माना जाता था, जो किसी भी इंसान को ‘ज्ञानपूर्ण’ बनाने का काम करते हैं।  लिबरल एजुकेशन सबसे पहले ईसा पूर्व सातवीं शताब्दी में शुरू हुई थी और माना जाता है कि गुरुकुल पद्धति इसी आधार की शिक्षा पद्धति थी और आज इसी पद्धति को नहूत अपनाया जा रहा है। 

कितने साल का होता है कोर्स?

जबकि विश्वविद्यालय अनुसंधान को प्राथमिकता देते हैं, उदार कला महाविद्यालयों में स्नातक छात्र शिक्षण सहायकों और शोध प्रोफेसरों के साथ मिलकर पढ़ने के बजाय पूर्णकालिक शिक्षण के लिए समर्पित होते हैं। अधिकांश महाविद्यालय छोटे और आवासीय हैं, छोटे नामांकन और कक्षा के आकार और कम छात्र-शिक्षक अनुपात के साथ, शिक्षक अपने छात्रों के साथ सलाहकार और यहां तक ​​​​कि शोध भागीदार भी बनते हैं।

ये कोर्स 4 साल का होता है, जिसमें 2 साल फाउंडेशन कोर्स और अगले दो साल माईनर सब्जेक्ट यानि वो विषय जिसे छात्र चुनना चाहते हैं, इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि कोई भी स्टूडेंट एक साथ कोई भी दो या दो से ज़्यादा पसंद वाली फील्ड पर फोकस कर सकता है। 

क्या हैं लिबरल आर्ट्स में करियर अपोर्चनयूटी?

लिबरल आर्ट्स का कोई भी स्टूडेंट हो, उसके पास बहुत सारे करियर विकल्प हैं। ये साइंस-मैथ्स की तरह आपको सिर्फ गिनी चुनी फील्ड नहीं देता बल्कि बहुत सारे ऑप्शन देता है।  इनमें कम्यूनिटी एडवोकेट, पब्लिक वेलफेयर सोशल वर्कर और मीडिया इंस्ट्रक्टर शामिल  हैं, साथ ही ये  प्रोफेसर, लेक्चरर, एक्टिविटीज असिस्टेंट, एक्टिविटीज डायरेक्टर, एडमिनिस्ट्रेटर, केस मैनेजर आदि पदों पर जाने का मौका भी देता है।  

यानि की आप एक कोर्स के माध्यम से अपने पसंद की कोई भी फील्ड चुन सकते हैं वो भी बगैर किसी विशेष सब्जेक्ट से पढ़े बगैर।

यही नहीं लिबरल आर्ट्स और ह्यूमिनिटी में शामिल विभिन्न विषय व्यक्ति को करियर चुनने के लिए कई प्रकार के विकल्प प्रदान करते हैं। इनमें लेखांकन, पत्रकारिता, अनुसंधान, लेखन, सामाजिक कार्य, प्रकाशन, पुस्तकालय संचालन, शिक्षण में करियर शामिल हैं। लिबरल आर्ट्स पढ़ने वाले स्नातक विज्ञान, विपणन (Marketing), सरकार, व्यवसाय, या शिक्षण में करियर के लिए पात्र हैं।

लिबरल आर्ट्स के कॉलेज/ कहां से करें? 

भारत में इसके अलग-अलग जगह कई कॉलेज हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कॉलेज 

इसके अलावा भी भारत की कुछ टॉप यूनिवर्सिटीज़ हैं, जिनमें इस कोर्स को पढ़ा जा सकता है

इसके अलावा भी देश में इसके कॉलेज हैं लेकिन ये कॉलेज रैंकिंग के आधार पर बेहतरीन माने जाते हैं साथ ही इस तरह की एजुकेशन और करियर संभावनाओं के लिए बेहतरीन विकल्प हैं, जो आपको बगैर बोर किए कई तरह के क्षेत्र चुनने की सुविधा देता है।

Exit mobile version