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ये सीरीज़ बताती है कि कैसे 40 की उम्र में प्यार की तरह ही तलाक को नॉर्मलाईज़ किया जाए”

सास बहु आचार रिव्यू

8 जुलाई को टीवीएफ की नई सीरीज ज़ी फाइव पर आई थी और सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड इस वेब सीरीज़ को शुरू करते ही ऐसा लगता है कि किसी और के माल को टीवीएफ अपना लेबल चिपकाकर बेच रही है।

क्या है इस सास बहु अचार का मसाला?

टीवीएफ की सभी कृतियों से यह भिन्न है। टीवीएफ के इस अचार में उनके पिछले अचार जितना स्वाद नहीं है। एक भारतीय गृहिणी की बिजनेस वुमेन बनने की कहानी दिखाने के लिए पीठ थपथपाई जा सकती है।

गली बॉय में रणवीर की अम्मी और सेक्रेड गेम्स 2 में नवाज़ुद्दीज की बॉस बन चुकी अमृता सुभाष इस वेब सीरीज़ की प्रमुख कलाकार हैं, जो एक तलाकशुदा महिला हैं। कहानी है एक ऐसी अनपढ़ महिला की जो अचार बेचने निकल पड़ती है। इस काम में अमृता की सास उसके साथ होती है।

40 की उम्र में प्यार

बात है लगभग 6 महीने पहले की जब मलाइका अरोड़ा ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के माध्यम से 40 की उम्र में प्यार को नॉर्मलाइज़ करने की बात कही थी। इस सीरीज़ में भी अमृता के पति दिलीप श्रीवास्तव को दूसरी महिला अंजना सुखानी से प्रेम हो जाता है। दिलीप दूसरी शादी भी कर लेते हैं, तो क्या यह भी कहा जा सकता है कि 40 की उम्र में तलाक को भी नॉर्मलाइज़ किया जाए?

मगर ये विचारणीय है तलाक क्या वे महिलाएं ले पाती हैं, जिनके पति उनके साथ हिंसा करते हैं? इस सीरीज़ में अनूप सोनी के किरदार को अपनी पत्नी से प्यार नही रह जाता और वह रिश्ते को तोड़ लेना सही समझता है। आप अधिकतर बॉलीवुड की फिल्मों में यह संवाद ज़रूर सुनने को मिल जाएगा कि “रिश्ते तोड़ना आसान है लेकिन उन्हें बनाए रखना अत्यंत मुश्किल।

संबंध विच्छेद बताती कहानी

हाल ही में आई अनिल कपूर की ‘जुग जुग जियो’ का विषय भी शादी और तलाक को लेकर ही था। आप आजकल के खबरों पर गौर फरमाएंगे तो जान जाएंगे कि अधिकतर विवाह-विच्छेद की खबरें कहां से आ रहीं हैं। इस सीरीज़ में अमृता का बेटा नशा करने लग जाता है। डॉक्टर कहते हैं कि उनके माता-पिता के अलगाव का असर बच्चे पर भी पड़ा है और वह नशे में रहकर घर के टेंशन से दूर रहना चाहता है।

इस सीरीज में अनूप सोनी एक ऐसे पिता का किरदार निभा रहे हैं, जो अपने बच्चों पर हाथ उठाने का कोई भी मौका नही छोड़ते। अनूप सोनी के किरदार को उसकी माँ ‘दीपू’ कहकर पुकारती है। दीपू के पिता बचपन में ही गुज़र गए थे। उसकी माँ कहती है कि आज दीपू एक अच्छा बाप नही बन पाया, तो इसकी एक वजह उसका बिना बाप के बचपन देखना भी है।

एक अच्छी पत्नी बनने का दवाब

अमृता सुभाष एक दृश्य में कहती हैं कि उनकी माँ ने सिर्फ एक अच्छी पत्नी बनना सिखाया था, उन्होंने ये तो बताया ही नही था कि पति बीच मझधार में छोड़ दे तो क्या करना है?

हर लड़की को यही बताया जाता है कि एक राजा बाबू घोड़े में आएगा और तुम्हें ले जाकर रानी की तरह रखेगा।

अमृता इस सीरीज़ में सुमन बनी हैं और सुमन ज़्यादा पढ़ी लिखी नही है। उसे बचपन से सिर्फ एक अच्छी पत्नी बनने की ट्रेनिंग मिली थी लेकिन हालात ने उसे सब कुछ सीखा दिया।

दृश्य और अभिनय

एक दृश्य में सुमन श्रीवास्तव अचार बेचने निकल पड़ती है। वह बस में चढ़ जाती है और पहले दिन उसे समझ ही नही आता कि कैसे बेचना है। उस सीन में अमृता का अभिनय और एडिटर का संयम देखते ही बनता है। इस सीरीज़ के संवादों को सुनेंगे तो आपको लगेगा कि ये लिखा गया है, जो कि लगना नही चाहिए।

एक सीन में सुमन बिज़नेस वर्ल्ड की सच्चाई से रूबरू होकर बाथरूम में जाकर आईने के सामने खुद को थप्पड़ मारती हैं। वह खुद को डांटती है, कोसती है। इस तरह के सीन जब भी स्क्रीन पर आते हैं तो इंसानों को कुछ ना कुछ सिखाते हैं। लोग खुद से प्यार करने की बात कहते हैं। खुद को डांटना और फुर्सत से स्वयं के साथ शांत बैठना भी आवश्यक है। एक ऐसा ही सीन रानी मुखर्जी की फ़िल्म ‘हिचकी’ में भी था जिसमें भावनाएं थोड़ी सी भिन्न थी। उस सीन के कारण कई दर्शकों की आंखें नम हो गई थीं।

अवास्तविक मगर अंत भला

आम जन को यह कहानी ज़रूर लुभाएगी। ज़ी फाइव से अभी भी एक बेहद प्रभावशाली वेब सीरीज की आशा जारी है। ये सास-बहू की जोड़ी आपको हंसाएगी भी और रुलायेगी भी। शुक्ला जी का किरदार भी आपको आनंदित करेगा। सीरीज के कुछ दृश्य अवास्तविक जैसे ज़रूर लगते हैं लेकिन अंत भला तो सब भला।

सीरीज के आखिर में दिलीप श्रीवास्तव की वर्तमान पत्नी और पूर्व पत्नी दोनों साथ में टहलते हुए बातें कर रहे होते हैं। वह सीन ‘सिलसिला’ और ‘बाजीराव मस्तानी’ के आइकॉनिक दृश्यों की याद दिलाते हैं। रेखा और जया को आमने-सामने लाने का काम यश चोपड़ा ने किया था।

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