सोशल मिडिया पर का उपयोग झूठे तथ्य (अफवाह) या झूठी घटना का ज़िक्र करके और उसे बड़े स्तर पर फैला (वायरल) करके समाज और देश को किस प्रकार अस्थिर किया जा सकता है, ये हम सब जानते हैं और अमेरिका जैसे बड़े देशों में तो इस आधार पर सरकार बदलवा दी जाती है।
क्या है रिट्वीट और रिपोस्ट?
यदि सोशल मिडिया जैसे ट्विटर, व्हाट्सप, फेसबुक इत्यादि पर किए गए पोस्ट को रिट्विट या रिपोस्ट करते समय उस पोस्ट में दी गई सूचना (चाहे वो किसी भी रूप में हो),की सच्चाई को जानना अतिआवश्यक हो जाता है। मित्रों अक्सर देखा जाता है कि कई ट्विटर यूजर्स अपने बायो में ‘रीट्वीट नॉट एंडोर्समेंट’ डिस्क्लेमर डालते हैं प्रश्न ये है कि क्या क्या यह अस्वीकरण किसी को आपराधिक दायित्व से बचा सकता है?
हाल ही में, दिल्ली पुलिस के उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि एक व्यक्ति को स्वयं के द्वारा किये गए रीट्वीट की ज़िम्मेदारी लेनी होती है और सोशल मीडिया पर किसी दृश्य का समर्थन भी इसे साझा करने या रीट्वीट करने वाले व्यक्ति का विचार बन जाता है।
याद रखिए यदि आप सोशल मीडिया पर एक विचार का समर्थन करते हैं, तो यह आपका विचार बन जाता है। रिट्वीट करना और यह कहना कि मैं नहीं जानता, मैं इसके साथ खड़ा नहीं हूं ये मायने नहीं रखता।
जब आप किसी भी पोस्ट को सोशल मीडिया जैसे ट्वीटर इत्यादि पर रिट्विट या रिपोस्ट करते हैं, तो वो आपकी ज़िम्मेदारी बन जाती है मतलब आपको केवल रिट्वीट करना है और यह नया हो जाता है।