लड़कियां बाजी मार ले गईं, लेकिन इसमें नया क्या है भाई? हम तो हाईस्कूल के ज़माने से सुनते आए हैं लड़कियों ने मारी बाजी तो UPSC में भी बाज़ी मार ले गईं, तो क्या नया हो गया?
लड़कों पर तंज़ ट्रेंड क्यों?
ये एक ट्रेंड ही हो गया है समझो। साथ ही ये लड़कों के ऊपर तंज का उत्प्रेरक भी बनता है। हम गाँव, मोहल्लों में अक्सर ये देखा करते हैं, जब कोई रिजल्ट की खबर की हेडिंग में बेटियों के बाज़ी मारने की खबर होती है ना तो पढ़ने वाले बाप ,दादा लोग लड़कों को हिकारत की नज़र से देखते हैं। ऐसा लगता है मानों वे आंखों से ही उसे घूर के मार डालेंगे। हां-हां उन्हें क्या पता की उनकी सफलता के पीछे किसी लड़के ने भी मेहनत की होगी।
नया ऐसे लड़कों के लिए भी नहीं है कुछ? जो अपनी जान, सोना को भोरे-भोरे मोबाइल टीप के गुड मॉर्निंग कर लिया करते थे।शाम को बुक खरीदने की जगह दोपहर में ही निकल लिया करते थे, ताकि सोना ,बाबू से मिलते समय और कोई देख ना ले और जब शाम होती थी ना और उनके सोना ,बाबू की जीभ चटकारे मारने लगती थी तो अपनी इच्छा को दांव पर लगाकर अपने बाबू के लिये गोलगप्पे ,मोमोज़ के साथ मीठी चटनी भी पैक करा लिए करते थे।
ऑफिसर बन गईं तो क्या?
अब हुआ ये कि उनकी ये सोना,बाबू आज ऑफिसर बन गईं हैं। रिज़ल्ट आने के बाद से ही ये लड़के अपने बाबू के पास फोन पे फोन किये जाते हैं, लेकिन बाबू का फोन वेटिंग में ही है। आखिर बधाइयों का तांता जो लगा है और अगर बाबू का फोन उठता भी है ना तो सिर्फ इतनी आवाज़ आती है कि रुको बाद में करते हैं। लेकिन ये ‘बाद में’ जल्दी आता ही नहीं है।
ये लड़के भी जानते हैं की उनकी सोना ,बाबू अब उनसे कन्नी काटने वाली है। उन्हें आभास होने लगता है की ये अब मसूरी की सोच के साथ उनके सोना,चानी, बाबू की सोच भी मसूरी की ट्रेनिग बदल डालेगी।
एक तरफ सिलेक्शन की खुशी में एक लड़का भुलाया जा रहा है, तो दूसरी तरफ एक लड़का अपने बाबू के फोन के इंतज़ार में अपने फोन का डिस्प्ले बार-बार ऑन-आफ किए जा रहा है। इस उम्मीद में की शायद उनका वो प्यारा बाबू ,सोना जो उनपे जान देने वाली थी का फोन मिस ना हो गया हो, लेकिन यह शायद, शायद ही रह जाता है।
सुनो लड़कियों सम्भाल लेना
सुनो, लड़कियों इन लड़कों को सम्भाल पाना तो सम्भाल लेना। भूलना मत इनको। याद कर लेना जब तुम्हारी ट्रेनें लेट हो जाया करती थीं, तो अजनबी शहर में स्टेशन पर उस आधी रात को आपके इंतज़ार में कोई रहता था इसलिए ताकि तुम सुरक्षित रूम पर पहुंच सको।
अपने दोस्तों से छिपकर कभी-कभी इनके ताने सुनकर भी,आंटियों के चुपके से, घर से पसीने की कमाई से भेजे गए पैसे से स्वयं को समझाकर किसी तरह से मैनेज करके ये जो तुम्हे धीरे से गोलगप्पे पकड़ा जाया करते थे ना ये एवरेस्ट की चढ़ाई से कम न था,
प्रेम आज भी छुप-छुप के ही किया और जिया जाता है। प्रेम आसान काम होना चाहिए था,लेकिन ये इतना आसान हो ना सका। कम से कम इनकी इन प्रेम करने की हिम्मतों को याद कर लेना। इनकी जा गती रातों को याद कर लेना। इन्हें सम्भाल लेना, ना सम्भाल सकना तो सलीके से दूरियां बनाना इन बेचारों से।
अगर तुम एक झटके में इन्हें छोड़ गईं तो ये टूट से जाएंगे और ना जाने कितने तकिए इनकी सिसकियों से भीग जाएंगे। हां ये और बात है अब तुम दोनों में ज़मीन और आसमान का फर्क हो गया है लेकिन ये भी याद रखना दो असमान लोगों की मुहब्बतों के जुड़ जाने से खूबसूरत होते है और कोई जुड़ना नहीं हो सकता, इस नाते अगर सम्भाल सकना तो सम्भाल लेना इन्हें!