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“कलम से ही ज़ालिम हूं मैं”

फैक न्यूज़

आओ देखो मुझे मैं खबर हूं

सुनो मेरी चीखती चिल्लाती आवाज़ को

हर घड़ी, हर पल सुबह से शाम तक।

देखो मुझे खुली आंखों से तुम्हारे ज़हन में नफरत भरते हुए

देखो मैं कैसे चिल्ला-चिल्ला के झूठ फैलाता हूं

और तुम मेरे हर झूठ को सच मानते चले जाते हो। 

देखो मैं तुम्हे कैसे मुद्दों से भटकाता हूं और तुम हर बार

मेरे चुंगल में फंसते चले जाते हो। 

मंदिर-मस्ज़िद, पंडित और मौलाना

मैं सुबह से शाम तक यही दिखाता रहूंगा

और शिक्षा महंगाई, बेरोज़गारी के मुद्दे हर पल दबाता रहूंगा। 

आओ देखो मुझे मैं खबर हूं

झूठ की दुकान है मेरी यह मुझे भी पता है,

चाटुकारिता में देश को बर्बाद किये जा रहा हूं, बस मेरी यही खता है। 

फिर भी मुझे मेरे विज्ञापन समय से मिल ही जाते हैं,

आओ देखो मुझे मैं खबर हूं। 

मुझे फर्क नहीं पड़ता कि मेरे झूठों से दंगे फैल जाते हैं,

मेरे बच्चे भी तुम्हारे बच्चों से बहुत बेहतर ही खाते हैं

दंगाईयों को बचाने में भी मेरे ज़मीर में कोई मरोड़ नहीं आते हैं!

मेरा तो काम ही है सत्ता और पैसे के सामने नतमस्तक होना,

गया वो ज़माना, जब पत्रकारिता का काम होता था, दबे कुचलों की आवाज़ उठाना

अब तो तुम्हारी बर्बादी की इस साजिश में पूरी तरह शामिल हूं मैं,

हाथ में नहीं है मेरे तलवार पर कलम से ही ज़ालिम हूं मैं

तुम और तुम्हारे बच्चे बर्बाद हो जाएं मेरा क्या जाएगा?

मेरे पास तो ब्लू टिक और आई टी सेल की फौज है

मेरी लोकप्रियता में तो उछाल ही आएगा। 

आओ देखो मुझे मैं खबर हूं

अब अगर कुछ समझ आ ही गया हो

तो इससे पहले की मैं कर दूं तुम्हारा सर्वनाश

मुझे देखना बन्द कर दो, क्योंकि खबर नहीं एक जीता जागता गटर हूं मैं। 

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