अबॉर्शन! एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें गर्भवती महिला अपनी इच्छा से गर्भपात करवा सकती है। गर्भपात एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें गर्भवती के गर्भाशय से भ्रूण को हटा दिया जाता है लेकिन इसके कुछ कानूनी प्रावधान हैं उस आधार पर ही अबॉर्शन को वैध माना जाता है, जैसे जेंडर के आधार पर अबोर्शन कराना अवैध है।
क्या है गर्भपात का इतिहास
अबॉर्शन का इतिहास बहुत पुराना है। सबसे पहले 1821 में कनेक्टिकट में गर्भपात को गैरकानूनी माना गया था। उसके बाद 1860 तक दूसरे राज्यों में भी ये कानून लागू हो गया था जिसके बाद गैर कानूनी रूप से गर्भपात का चलन बढ़ा क्योंकि इसमें सज़ा का प्रावधान था।
इसके बाद 1960 और 70 के दौर में पूरे यूरोप और अमेरिका में गर्भपात कानूनों को मान्यता के तौर पर देखा गया जो 1980 के दशक तक दुनिया के कई अन्य हिस्सों में भी जारी रहा।
भारत में 1964 के समय बहुत सारे ऐसे मामलों का सामना करना पड़ा, जिसमें गर्भवती महिलाओं के मरने का प्रतिशत बहुत ज़्यादा था और 1971 तक भारत में अबॉर्शन सिर्फ तभी वैध था, जब मां की जान बचाने की बात हो।
कब बना कानून?
25 अगस्त 1964 में केंद्रीय परिवार नियोजन बोर्ड ने सिफारिश की जिसके बाद इस पर कानून बनाया गया इसपर विचार करने के बाद 1971 में मेडिकल ट्रमिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट पारित किया गया।
क्या थीं इसकी शर्तें
- जब मां की जान को खतरा हो।
- जब गर्भावस्था किसी मानसिक रूप से पीड़ित महिला के साथ रेप या किसी और वजह से हो।
- जब बच्चे में बीमारियों का जोखिम हो।
नया संशोधन कब?
साल 2021 में इसमें संशोधन करके 24 सप्ताह तक की समय अवधि को रखा गया है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद अमेरिका में अबॉर्शन पर रोक लगा दिया गया है। मतलब इसे असंवैधानिक करार दे दिया गया है, जिससे अब वहां आम नागरिक इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं।
क्या हैं गर्भपात की विधियां?
- मेडिकल अबॉर्शन – ये गर्भधारण होने के 60 दिनों या 10 हफ्ते तक ही प्रभावी होती है। इसमें किसी तरह की सर्जरी की ज़रूरत नहीं होती है लेकिन ये सर्जरी की तरह प्रभावी नहीं होता है।
- सर्जिकल अबॉर्शन- ये 100% प्रभावी होता है और ये दूसरी तिमाही के अंत तक ही होता है।
- इसके अलावा मैनुअल वैक्यूम जिसमें वैक्यूम की मदद से भ्रूण को नष्ट किया जाता है और डाईलेशन के द्वारा भी गर्भपात संभव है।
गर्भपात कब करवा सकते हैं?
गर्भावस्था की समाप्ति का सबसे सही समय 8 से 12 हफ्ते तक होता है लेकिन कानून संशोधन के बाद ये अवधी 20 सप्ताह हो गई है
वहीं, यदि गर्भ 12 से 20 हफ्तों का है तो दो चिकित्सकों की अनुमति ज़रूरी होती है।
क्या फैसले को सही माना जा सकता है?
गर्भपात किसी भी महिला का निजी और व्यक्तिगत फैसला है जिसमें किसी और के हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है लेकिन अलग अलग समय पर अलग अलग देशों में इस पर राय बनाई जाती रही है।
साथ ही भारत में इसका अधिकार ज़रूर है लेकिन फैसले अक्सर पुरुष प्रधान समाज में पुरुषो के या वरिष्ठ स्त्री सदस्यों के रहे हैं यहां गर्भवती को कोई अधिकार नहीं।
हाल ही में अबॉर्शन पर खूब चर्चा हो रही है। ये लीगल है या नहीं? लीगल है तो कहां? कितने हफ्तों तक वगैरह।