फादर्स डे! लेकिन आज ये दिन मुझे बहुत सारी बातें सोचने के लिए मजबूर कर रहा है, जो पिछले कई सालों में कभी नहीं सोच पाई। मैं इस दिन अपनी सहूलियत के हिसाब से आपको (पापा को) हैप्पी फादर्स डे बोलती और आप ‘धन्यवाद’ तो कभी ‘सेम टू यू ‘ बोल देते थे (नए साल की बधाई की आदत के कारण कभी)। लेकिन इस बार ये बोल नहीं पाऊंगी, बोल दूं भी तो मुझे आपसे मिला जवाब सुनाई नहीं देगा।
मैंने तो आपको आखरी वक्त तक देखा था
पिछला साल मेरा जो नुकसान कर गया, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती हैं। हां, पर इस नुकसान के साथ रहने की आदत तो बन जाएगी। ये मुझे पक्का पता है। पापा! 1 दिसम्बर 2021 को आप इस दुनिया से चले गए (मेरे दिल और दिमाग से तो नहीं)। आज सात महीने होने के बाद भी मैं रोज़ ये सोचती हूं कि क्या सच में पापा इस दुनिया में नहीं हैं? और ऐसा मैं तब सोच रही हूं, जिसने आपको आखरी टाइम से लेकर बेजान शरीर बनते तक देखा था।
उस टाइम भी मुझे पता था कि मुझे ऐसा महसूस होगा, इसलिए ही मैं आपको आखरी टाइम तक यानि जलते तक देखने की बात की थी, लेकिन औरतें कहां जाती हैं श्मशान घाट में? ये सुनकर ही नहीं गई।
क्या मेरा आप पर अधिकार कम था?
एक बात मेरे दिमाग में बार-बार आती है कि जब मां- बाप के बच्चे लड़के और लड़कियां दोनों होते हैं, तो लड़कियों को क्यों ऐसे हर टाइम पराया कर देते हैं? मुझे आपका पता है कि आपने कभी लड़के-लड़की में तिनके जितना भी भेद नहीं किया। खैर, मुझे अब आपके ना होने का विश्वास कैसे होगा पता नहीं? शायद ऐसा सबके साथ ही होता होगा, जो अपनो को खो देते हैं।
अगले जन्म में आप मिलोगे क्या?
आपको आखरी टाइम में मैंने बहुत छुकर देखा था, क्योंकि मैं उस एहसास यानी छुअन को इस जन्म तक सहेज कर रखना चाहती थी। अगले जन्म में तो आप मुझे फिर मिलोगे। ये मुझे लगता नहीं, पूरा विश्वास है। आप अपनी डायरी में फोन नम्बर से लेकर परिवार में कौन, कब दुनिया छोड़कर गया ये सब लिखते थे। ये मैंने आपके जाने के बाद ही देखा और उस डायरी में आपके जाने की तारीख भी लिख दी। वैसे शायद ही उस दिन और साल को मैं कभी भूल पाउं।
बातें बहुत हैं, जो कभी फुर्सत में होने के लिए संभाल रखी थी और कह नहीं पाई, क्योंकि आप बहुत अचानक से ही चले गए। मुझे ये बताते हुए कि ज़िदगी का कुछ पता नहीं, कब खत्म हो जाए? आपकी एक बात का मतलब मुझे आज समझ आता है, जब आप हमेशा रौब में बोलते थे कि तुम्हारा बाप जिंदा है, अभी। अब आप नहीं हो तो ऐसा लगता है कि जैसे कोई बड़ी कमी हैं, जिसकी भरपाई अब संभव नहीं।
एक बार फिर से बोल रही हूं कि बातें बहुत हैं, जो समय के साथ ज़्यादा ही होती जाएंगी। लो 12 बज गए और आ गया आपका दिन, वैसे तो आपके जाने के दिन से हर ही दिन आपको याद करती हूं, जो आपके रहते कभी नहीं कर पाई, क्योंकि तब बिछड़ने का दुख और दर्द मुझे नहीं पता था।
हैप्पी फादर डे! पापा। जहां भी हो आप। आपकी बेटी