इस देश की सबसे बड़ी समस्या है बेरोज़गारी। किसी भी सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए रोज़गार, ताकि युवाओं का भविष्य बेहतर हो सके और भारत तेज़ी से तरक्की कर सके।
कहां कितने पद खाली?
देशभर में कोई ऐसा कोई भी विभाग नहीं है, जिसमें खाली पद ना हों। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार चुनाव के समय तो देश के बेरोज़गार युवाओं से बहुत वादे करती है, लाखों करोड़ों पदों पर नौकरी देने की बात करती है, लेकिन सरकार बनने के बाद उनके वादे सिर्फ चुनावी मुद्दे होते हैं।
देशभर में शिक्षा विभाग, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग , रेलवे विभाग, डाक विभाग, न्यायालय में, राजस्व विभाग, कृषि विभाग सहित अन्य सभी विभागों में लाखों पद खाली हैं। देश भर में इतने रिक्त पद होने से देश की तरक्की में बाधा तो पहुंचती ही है, साथ ही नौजवान एवं योग्यताधारी बेरोज़गार युवाओं का भविष्य भी खराब हो रहा है।
कहां कितने पद रिक्त?
संसद में सरकार द्वारा पेस किये गए आकड़ों के मुताबिक देशभर में सबसे ज़्यादा रिक्त पद शिक्षकों के हैं। प्राप्त आंकड़े के अनुसार प्राथमिक शिक्षकों के खाली पदों की संख्या 9 लाख से भी अधिक है जबकि माध्यमिक शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या 1.1 लाख के करीब है। यदि सर्व शिक्षा अभियान के तहत और पदों को जोड़ दी जाए तो संख्या और बढ़ेगी।
रिक्त पदों के संख्या के मामले में पुलिस विभाग दूसरे नंबर है। देशभर में करीब 5.4 लाख पुलिस के रिक्त है। पूरे देश के अंदर सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पुलिस विभाग अधिकारियों एवं कर्मचारियों की होती है। आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इतने पद रिक्त होने के क्या दुष्परिणाम होंगे?
पुलिस विभाग के अतिरिक्त डिफेन्स सर्विसेज़ और पैरामिलिट्री फोर्सेस में करीब सवा लाख पद रिक्त हैं। उक्त रिक्त पदों की जानकारी बीते माह संसद में दी गई थी।
स्वास्थ्य विभाग में भी कमी नहीं
जारी आंकड़े के अनुसार देश भर में स्वास्थ्य विभाग के अंदर 1.6 लाख रिक्त पद हैं। स्वास्थ्य विभाग की गिनती सबसे प्रमुख और ज़रुरी विभाग के रूप में होती है। यदि स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी ही नहीं होंगे, तो फिर स्वास्थ्य सुविधा की उम्मीद की आप अंदाज़ा लगा सकते हैं। वहीं देशभर की अदालतों में करीब 60 हज़ार पद रिक्त हैं। जब न्यायालयों में ही स्टाफ की कमी होगी तो कई केस कई वर्षों तक चलेंगे ही। वहीं, भारतीय डाक विभाग में 54 हज़ार पद खाली हैं।
रेलवे में अराजपत्रित पदों के करीब 2.5 लाख पद रिक्त हैं, लेकिन सरकार फिलहाल 89 हज़ार पदों पे भर्ती हेतु नोटिफिकेशन जारी किया है। सवाल यह उठ रहा है की जब इतने बड़े पैमाने पर पद खाली है तो सरकार क्यों भर्ती नहीं कर रही? क्यों हर एक भर्ती पर रोक लगी है? वहीं कई विभागों में भर्ती प्रक्रिया सालों साल चलती है। नियम कानून के पेच में फंसकर कई वर्षों तक केसों को कोर्ट में लटकाकर रखा जाता है। आखिरकार कब होगा बेरोज़गारों से न्याय? केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को सभी विभागों के रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती करनी चाहिए।
क्या है ‘अग्निपथ’ योजना?
अग्नीपथ योजना के तहत इस साल 46000 युवाओं को सशस्त्र बल में शामिल किया जाना है। युवाओं की भर्ती 4 साल के लिए होगी और उन्हें अग्निवीर कहा जाएगा। उन्हें 30,000 से 40,000 प्रति माह का वेतन मिलेगा और उनकी उम्र 17 से 21 वर्ष के बीच होगी।
इस योजना का अर्थ ये भी है कि भर्ती हुए 25 फ़ीसदी युवाओं को आगे सेना में मौका मिलेगा और बाकी 75 फीसदी को नौकरी छोड़नी पड़ेगी।
बेरोज़गारी और बिहार
अप्रैल, 2021 में कुल बेरोज़गारी की दर 7.97 प्रतिशत थी। पिछले साल मई में यह 11.84 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गई थी।
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Centre for Monitoring Indian Economy) के मासिक आंकड़ों के अनुसार, देश में समग्र तौर पर बेरोज़गारी दर मार्च 2022 में घटकर 7.6 फीसदी रह गई है, जो फरवरी में 8.10 फीसदी पर थी। दो अप्रैल तक बेरोज़गारी दर और घटकर 7.5 प्रतिशत पर आ गई है।
जब वर्ष 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव हो रहा था, तो राजद नेता तेजस्वी यादव के अगुवाई में यह बात कही गई कि बेरोज़गार युवाओं को 10 लाख सरकारी नौकरी दी जाएगा, इसके फलस्वरूप भारतीय जनता पार्टी की शीर्ष नेतृत्व वाली कमेटी ने जिसमें देश की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि 20 लाख रोज़गार देंगे। इसी पर बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन सरकार बनी, लेकिन उस राज्य का युवा वर्ग आज भी रोज़गार की बाट जोह रहा है।
आज वही बिहार है जहां सबसे ज़्यादा सेना की नई भर्ती प्रक्रिया ‘अग्निवीर’ की आलोचना और विरोध हो रहा है और तो और यह विरोध बेहद हिंसक घटनाओं से युक्त हो चुका है , जब राजनीतिक पार्टियां स्वार्थ के लिए वायदे करती हैं, तो उन्हें पूर्ण करने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि स्थिति इस तरह भयावह नया हो।
सार्वजनिक क्षेत्र का पूर्ण रूप से निजीकरण करती सरकार
इस देश की सभी संसाधनों और उपक्रमों का सरकार पूरी तरह से निजीकरण करने पर आमादा है। जिसका दुष्परिणाम है कि देश उबल रहा है। क्योंकि रेल-भेल-सेल (RAIL,BHEL, SAIL) और एयरपोर्ट बंदरगाह सभी उपक्रमों का सौदा निजी क्षेत्र के हाथों में दिया जा रहा है, जिससे रोज़गार के अवसर ना के बराबर दिख रहे हैं।
सरकार को चाहिए कि अविलंब रोज़गार के सभी द्वार खोल देना चाहिए और बेरोज़गारी दूर कैसे हो? इसके लिए ठोस रणनीति तैयार करने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि युवाओं का भविष्य बेहतर हो सके। सरकार को चाहिए कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को बचाएं ताकि हमारे देश के संसाधनों का लाभ के लिए दोहन नया हो।
युवाओं को भी गांधी जी के विचार पर सत्याग्रह करना चाहिए ताकि सरकार को कोई भी आरोप और बहानेबाज़ी का अवसर नया मिले। सरकार को यह समझना होगा कि यह जो युवा वर्ग है वह देश की शक्ति है, जिसको जितना मज़बूत करेंगे देश उतना ही मज़बूत होगा।