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“यदि पृथ्वी का औसत तापमान 2°C से अधिक हो गया तो आप परिणाम की कल्पना भी नहीं कर सकते?”

पर्यावरण

प्रतीतात्मक तस्वीर

“यह कैसी विडम्बना है कि जिन जीवों की छाया में हम बैठते हैं, जिनके फल खाते हैं, जिनके अंगों पर चढ़ते हैं, जिनकी जड़ों में पानी भरते हैं, जिनके बारे में हम में से अधिकांश लोग शायद ही कभी सोचते हैं, वे इतने कम समझे जाते हैं।” जिम रॉबिंस, लेखक।

अर्बन हीट आइलैंड इफ़ेक्ट

मानवजनित जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया परेशान है। दुनियाभर के शहरी क्षेत्रों में बढ़ती अत्यधिक गर्मी एक प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दा है। भारत के शहर “शहरी गर्मी द्वीप प्रभाव अर्थात अर्बन हीट आइलैंड इफ़ेक्ट” के कारण भीषण गर्मी झेल रहे हैं। शहरी गर्मी द्वीप प्रभाव तब होता है, जब कोई क्षेत्र अत्यधिक शहरीकरण विस्तार, वृक्षों एवं तालाबों की कमी, उच्च जनसंख्या एवं सीमेंट की इमारतों के अत्यधिक घनत्व के कारण अधिक गर्मी में फंस जाता है। यह जलवायु परिवर्तन के कारण गर्म होती दुनिया में एक बढ़ती हुई समस्या है।

गर्मी के संपर्क में आने से हीट स्ट्रोक, अत्यधिक निर्जलीकरण, डायरिया जैसी घातक बीमारियां हो जाती हैं। अत्यधिक गर्मी अंतर्निहित श्वसन, हृदय और गुर्दे की पुरानी बीमारियों को बढ़ा देती है। अत्यधिक गर्मी के कारण पशु-पक्षी भी अपना जीवन खो रहे हैं।

कैसे कम करें गर्मीं का असर?

वृक्षारोपण।

लेकिन गर्मी के इस प्रभाव से बचने का एक सरल उपाय है: अधिक पेड़ लगायें। वृक्षों का होना केवल अच्छा ही नहीं है बल्कि वो हमारे जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। हमारा भविष्य वृक्षों के बिना अकल्पनीय है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ रिसर्च में प्रकाशित एक नए अध्ययन (खंड 30, 2020 – अंक 2) के अनुसार, पार्क में सिर्फ 20 मिनट बिताना भले ही आप वहां रहते हुए व्यायाम न करें – आपकी भलाई को बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त है।

सफल वृक्षारोपण का अर्थ है कि रोपित पौधे कुछ वर्षों बाद वृक्षों में परिवर्तित हो जाएं। वृक्षारोपण अभियान हरित आवरण को बढ़ाने, वनों का जीर्णोद्धार करने और मानव-वन या मानव निर्मित वन बनाने के उद्देश्य से चलाए जाते हैं, लेकिन, वैश्विक एवं स्थानीय अभियानों और प्रयासों के बावजूद, हरित आवरण में बहुत तेजी से सुधार नहीं हो रहा है।

क्या सिर्फ वृक्षारोपण से सब हल हो जाएगा?

इससे पता चलता है कि ना केवल वृक्षारोपण महत्वपूर्ण है, बल्कि रोपण के बाद देखभाल (केअर आफ्टर प्लान्टेशन या सी.ए.पी.) भी समान रूप से महत्वपूर्ण है। वृक्षारोपण के बाद प्रबंधन की कमी, नमी की कमी, मिट्टी की कमज़ोर उर्वरा शक्ति, पौधों का अप्रबंधनीय संख्या में रोपण, ज़मीनी स्तर पर प्रवर्तन और निगरानी में कमी, जिसके कारण वृक्षारोपण अधिकतम सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है को दूर करना “वृक्षारोपण के बाद देखरेख” का महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य अंग होना चाहिए जिससे पेड़ इतने बड़े होने से पहले ही ना मर जायें कि वे अपने पारिस्थितिकीय कर्तव्यों का निर्वहन ना कर सकें।

एक रोपित पौधे को एक पेड़ के रूप में उसके विकास को सुनिश्चित करने के लिए रोपण के बाद की देखभाल अत्यंत आवश्यक है। पौधे उन बच्चों की तरह होते हैं जिन्हें बढ़ने के लिए पोषण, देखभाल और उचित वातावरण की आवश्यकता होती है, जहां पौधों को बढ़ने के लिए ऐसी स्थिति नहीं मिलती है, परिणाम अच्छे नहीं होते हैं; कई पौधे पेड़ों का दर्जा हासिल करने से पहले ही मर जाते हैं। पौधरोपण की सफलता के लिए पांच साल का रखरखाव समय ज़रूरी है। पौधे जो पिछले पांच वर्षों से बढ़ रहे हैं, आमतौर पर जंगल में विकसित होते हैं।

कैसे करें वृक्षों का चुनाव?

वन, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ, पृथ्वी की रक्षा की पहली पंक्तियों में से एक हैं। अतः वृक्षारोपण के समय हमारी योजना और अभियान में ऐसे पौधों का चुनाव करना चाहिए जिसके रोपण से स्थानीय स्तर पर स्वस्थ जीवन, स्वस्थ पर्यावरण, स्वस्थ जैव विविधता, एवं स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके।

पेड़ जितने अधिक उम्र के होंगे वे पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने में उतनी बड़ी भूमिका निभा सकेंगे।

उदाहरण के लिए अधिक उम्र के वृक्ष वातावरण से कार्बन की एक महत्वपूर्ण मात्रा को संग्रहित कर सकते हैं और जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से सभी जीवों की रक्षा कर सकते हैं।

किसकी हो अहम भूमिका?

वृक्षारोपण के कार्य में चुनौतियां आयेंगी। उदाहरण के लिए एक बड़े खुले मैदान में पेड़ लगाना बहुत आसान है, लेकिन कई बार जहां पेड़ों की ज्यादा ज़रूरत होती है, जैसे कि शहर के बीच व्यस्त स्थानों से निकली सड़कों के दोनों तरफ, फुटपाथ, इमारतों के मध्य, ग्रामीण आबादी के मध्य इत्यादि, वहां पर वृक्षारोपण के लिए ज़्यादा स्थान नहीं होता है, इसलिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के योजनाकारों और वन विभाग को पेड़ों के लिए जगह बनाने के लिए बुनियादी योजना बनाकर कार्य करना होगा। पौधे ‘सिटी मास्टर प्लान’ और ‘ग्राम विकास योजना’ के अनुसार लगाए जाएं ताकि बाद में उन्हें काटना न पड़े।

भूस्वामियों, समुदायों, व्यवसायों, छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों, नेताओं और अन्य हितधारकों को ‘वृक्षारोपण के बाद देखभाल’ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

अमेरिका के लॉस एंजिल्स का “ट्री एंबेसडर प्रोग्राम” उन समुदायों के लोगों को वृक्षारोपण कार्यक्रम और उसकी देखभाल से जोड़ता है जिन्हें अपने पड़ोस में पर्यावरण को मज़बूत और बेहतर बनाने के लिए अधिक पेड़ों की आवश्यकता होती है।

क्या है ‘ट्री’ कैनोपी?

प्रतीतात्मक तस्वीर।

क पेड़ उसके पत्तों, टहनियों, तना और उसकी जड़ों से बना होता है। एक विकसित पेड़ का लगभग 5% पत्तियों से बना होता है, 15% टहनियों से, 60% इसके तने से और 20% इसकी जड़ों से बना होता है। पेड़ का यही 5% जैव विविधता को आश्रय देता है, जंगलों को सुंदरता प्रदान करता है, पूरी दुनिया को ऑक्सिजन देता है, जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है, सभी जीव जंतुओं को छाया, औषधि, खाना, और चारा उपलब्ध कराता है।

इसी 5% को ट्री कैनोपी (पेड़ की छतरी) के रूप में जाना जाता है। ट्री कैनोपी कवरेज (वृक्ष में पत्तियों का आच्छादन या पेड़ की छतरी) तापमान को काफी कम करता है, कभी-कभी लगभग 10 डिग्री फ़ारेनहाइट तक, विशेषकर उन शहरों या स्थानों में जहां गर्मियों में औसत तापमान 90 डिग्री फ़ारेनहाइट या उससे अधिक हो जाता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोमेटोरोलॉजी के एक अद्यतन अध्ययन में पाया गया कि लॉस एंजिल्स में शीतलन विधियों के साथ साथ पेड़ की छतरी (ट्री कैनोपी) को बढ़ाने से 4 में से 1 जीवन को अत्यधिक गर्मी की घटनाओं से दौरान बचाया जा सकता है।

जलवायु परिवर्तन और वैश्विक वृक्ष कवरेज

जलवायु परिवर्तन वैश्विक वृक्ष कवरेज़ को बदल देगा। यदि हम कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, तो 2050 तक वैश्विक संभावित ट्री कैनोपी लगभग 223 मिलियन हेक्टेयर कम हो सकता है, जिसमें उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिकतम नुकसान होगा।

वृक्ष निःस्वार्थ भाव से मनुष्य की भलाई के लिए काम कर रहे हैं। यू.एस.डी.ए. फ़ॉरेस्ट सर्विस पैसिफ़िक साउथवेस्ट रिसर्च स्टेशन (पी.एस.डब्ल्यू.) के वैज्ञानिकों ने पाया है कि सामुदायिक पेड़ लगाने और उसकी देखभाल पर खर्च किए गए प्रत्येक $ 1 से उस निवेश का दो से पांच गुना लाभ मिलता है; लाभों में स्वच्छ हवा, कम ऊर्जा लागत, बेहतर पानी की गुणवत्ता और तूफान नियंत्रण और संपत्ति के मूल्यों में वृद्धि इत्यादि शामिल है।

एक बड़े पेड़ की पत्तियां चार लोगों को एक दिन के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति कर सकती हैं। सड़क के किनारे के पेड़ आस-पास के वायु प्रदूषण को 50% से अधिक कम करते हैं। सामुदायिक वन हर साल औसतन एक जीवन बचाते हैं। 36 इंच गहरी जंगल की मिट्टी 18 इंच वर्षा को अवशोषित कर सकती है, फिर इसे धीरे-धीरे प्राकृतिक चैनलों में छोड़ देती है।

बाढ़ जैसे खतरों से सुरक्षा

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इस तरह, जंगल बारिश के पानी की मात्रा को वर्षा के तुरंत बाद नदियों में जाने की मात्रा को धीमा कर देते हैं और अचानक बाढ़ और इससे जुड़े खतरों को कम कर देते हैं, लेकिन मनुष्य पेड़ों और जंगलों को स्वार्थवश नष्ट कर रहा है और पर्यावरण के क्षरण एवं उसपर पूर्णतः निर्भर जैव विविधता विलुप्तीकरण के लिए पूर्णरूप से ज़िम्मेदार है।

यदि हम वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को अपने 2°C लक्ष्य से नीचे रखना चाहते हैं, तो हमें जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा का उपयोग शून्य करना होगा और साथ-साथ नवीनीकरण ऊर्जा पर अधिकतम विश्वसनीयता के साथ-साथ वैश्विक वन आवरण को बढ़ाना होगा।

वन आवरण को बढ़ाने के लिए पहले से मौजूद वृक्षों की देखभाल करना, वृक्षारोपण के माध्यम से वृक्षों की छतरियों की असमानता को कम करना एवं समानता (ट्री कैनोपी इक्विटी) को बढ़ाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। अमेरिका के लॉस एंजिल्स, डेनवर, फीनिक्स, शिकागो और बोस्टन सहित कई प्रमुख अमेरिकी शहर स्वयंसेवी वृक्षारोपण कार्यक्रमों, सामुदायिक भागीदारी और हरित नौकरी (ग्रीन जॉब) कार्यक्रमों के माध्यम से प्रमुख “ट्री कैनोपी कवरेज” में इक्विटी अंतर को पाटने के लिए काम कर रहे हैं।

इसलिए, मनुष्य न केवल वृक्षारोपण में सक्रिय साझेदारी निभायें, बल्कि अपने पर्यावरणीय कर्तव्यों को जिम्मेदारी के साथ पूरा करने के लिए ‘पौधे लगाने के बाद देखभाल’ भी करे। इस धरती पर सभी जीवधारियों के लिए बेहतर माहौल बनाना मनुष्य का अधिकार ही नहीं कर्तव्य भी है।

भविष्य के लिए हमें अमेरिका के दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय एनेनबर्ग के लेखक और पत्रकारिता के प्रोफेसर ब्राइस नेल्सन के विचार को हमेशा ध्यान रखना होगा कि जो लोग पेड़ों को नहीं पालेंगे वे जल्द ही एक ऐसी दुनिया में रहेंगे जो लोगों का भरण-पोषण नहीं करेगी।

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