बच्चों का मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम या शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE ACT 2009) 4 अगस्त 2009 को अधिनियमित भारत की संसद का एक अधिनियम है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत भारत में 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के महत्व के तौर-तरीकों का वर्णन करता है।
कौन हैं वायरल वीडियो वाले सोनू कुमार?
सोनू कुमार के वीडियो को अपने तो देखा होगा। चलिए जानते हैं सोनू कुमार के बारें में। सोनू कुमार का रियल नाम सोनू कुमार ही है। उम्र की बात की जाए तो सोनू कुमार 12 साल के हैं। पिता का नाम रणविजय यादव और माता का नाम लीला देवी है। अभी सोनू कुमार कक्षा 5वीं में पढ़ाई कर रहे हैं।
- नाम– सोनू कुमार
- पढ़ाई– 5वीं
- उम्र-12 साल
- हाइट– 4/2 इंच
- पिता का नाम– रणविजय यादव
- माता का नाम– लीला देवी
- स्थान– नालंदा का कल्याण बीघा गाँव
क्यों हैं सोनू कुमार चर्चा में?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने बेबाकी से अपनी बात रखने वाले छात्र सोनू कुमार सोशल मीडिया के हीरो तो बन गए हैं लेकिन उनकी शिक्षा पर अभी प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। रातों रात वायरल हुए सोनू कुमार की पूरे देश में चर्चा हो रही है। कई लोग आगे आते हुए उनकी हर मुमकिन मदद करने की बात कर रहे हैं।
सोनू कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने शराब बंदी और शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी थी, जिसके बाद से ही उनकी शिक्षा के लिए कई लोगों ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए लेकिन अभी तक सोनू की शिक्षा के दावे हो रहे हैं लेकिन स्कूल में दाखिले पर सस्पेंस बरकरार है।
सोनू कुमार को कहां-कहां से मदद का ऑफर है?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोनू कुमार को बेहतर शिक्षा देने की बात कही थी। उसके बाद अधिकारियों ने सोनू से संपर्क भी साधा। नीतीश कुमार के आश्वासन के बाद सुशील मोदी ने 11 वर्षीय सोनू कुमार की शिक्षा की ज़िम्मेदारी ली और नवोदय विद्यालय में दाखिला करवाने की बात कही, जिस पर सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल भी उठाए।
लोगों ने कहा कि नवोदय विद्यालय में दाखिले के लिए जो चयन प्रक्रिया होती है, उसमे सोनू कुमार पास होते हैं तभी उनका एडमिशन करवाना चाहिए। क्योंकि बिहार में सोनू कुमार जैसे कई बच्चे हैं, जो प्रतिभा के धनी हैं लेकिन उन्हें उच्च शिक्षा नहीं मिल रही है। चूंकि सोनू कुमार मीडिया से सुर्खियों में आ गए हैं तो सभी लोग अपनी सियासत चमकाने के लिए उनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं।
अभिनेता सोनू सूद के ट्वीट के बाद पूर्व सासंद पप्पू यादव ने अभिनेता सोनू सूद पर गंभीर आरोप लगाए। पप्पू यदाव ने लिखा कि सोनू सूद कम-से-कम इस बच्चे के साथ फरेब ना करें! सोनू सूद ने ऐसे स्कूल में सोनू के एडमिशन की घोषणा कर लहर लूट रहे थे, जो ना सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है और ना ही उनस स्कूल की कोई वेबसाइट है।
मात्र आठवीं तक वहां पढ़ाई होती है। वह अभिनेता होकर नेता की तरह ठग रहे हैं। सोनू सूद जी, आप अपने बच्चे का यहां नामांकन कराते? सोनू सूद ने सोनू कुमार का जिस स्कूल में एडमिशन कराया है, उसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
सोनू कुमार की शिक्षा को लेकर अभी तक संशय बरकरकार है। खुलासा नहीं हो पा रहा है कि वह अपनी शिक्षा किस स्कूल से पूरी करेंगे। इसी कड़ी में सोनू की शिक्षा को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ सवाल वायरल हो रहे हैं कि सोनू कहां पढ़ेंगे? बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि सोनू नवोदय विद्यालय में पढ़ेंगे। अभिनेता सोनू सूद ने कहा कि सोनू कुमार का बिहटा के ‘Ideal International Public School’ में दाखिला करवा दिया है।
पप्पू यादव ने कहा कि ताउम्र सोनू की शिक्षा का खर्च मैं उठाऊंगा। फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी ने भी सोनू की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया। राजद नेता तेज प्रताप यादव ने कहा कि अच्छे स्कूल में हम एडमिशन करा देंगे। अब सवाल यह उठता है कि सोनू कुमार की शिक्षा मुकम्मल कौन करवाएगा? क्योंकि कई दावे किए जा रहे हैं लेकिन अभी तक सोनू के स्कूल जाने की खबर नहीं आई है।
आखिर क्यों है बिहार की शिक्षा व्यवस्था बदहाल?
सोनू कुमार ने जो बातें उठाई हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं क्योंकि उन्होंने बताया कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है। सरकारी स्कूलों में आज भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक चुनौती है। दूसरी अहम बात उन्होंने यह बताई कि कैसे उनके पिता शराब पीकर परिवार और सोनू के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
यह सब बात बिहार के निरंतर दूसरे दशक में भी मुख्यमंत्री पद पर आसीन सुशासन बाबू से कही गई, जो विकास का ढ़ोल पूरे देश में पीटते रहते हैं। बिहार सरकार की शराबबंदी लागू भी फेल हो गई और साथ ही साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी चुनौती का विषय बना हुआ है।
बिहार के लाखों-करोड़ों सोनू कुमार जैसे नौनिहालों का भविष्य अधर में!
बिहार में बच्चों के भविष्य के साथ निरंतर खिलवाड़ हो रहा है। बिहार में शिक्षा सरकार की प्राथमिकता में ही नहीं है, क्योंकि इसके लिए कोई भी अभियान नहीं चलाया जा रहा है, जिससे कि बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आ सके। बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए निम्न प्रमुख चुनौतियां हैं।
- दक्ष शिक्षक की कमी
- प्रशिक्षित शिक्षक की कमी
- भवनहीन विद्यालय
- गुणवत्तापूर्ण पाठ्यचर्या का अभाव
- मिड डे मील में भ्रष्टाचार
- SCERT की भूमिका गौण
- पुस्तकों का अभाव
- शैक्षणिक योजनाओं में भ्रष्टाचार
- DBT माध्यम से भुगतान का सही प्रयोग नहीं
- साफ पानी का अभाव
- शौचालय का अभाव
- शिक्षकों की समस्याओं का निदान नहीं
- कोचिंग संस्थान पर रोक नहीं
- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में बजट का अभाव
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के जगह संख्यात्मक शिक्षा पर ज़ोर
- शिक्षक अभिभावक मीटिंग का अभाव
- निजी स्कूलों के ऊपर रोक नहीं
- शिक्षक भर्ती आयोग/बोर्ड का गठन नहीं
- अफसरशाही हावी
- NCERT का अनुकरण नहीं करना
- शिक्षकों को शिक्षण कार्यों के अलावा अन्य सभी कार्यों में लगा देना इत्यादि
कब जागेगा बिहार का शिक्षा विभाग?
अभी हाल में ही NDTV पर बिहार के कटिहार ज़िले का एक वीडियो वायरल हो गया, क्योंकि इस वीडियो में एक ही ब्लैकबोर्ड पर दो शिक्षक हिंदी और उर्दू पढ़ा रहे थे, जो विद्यालय के मूल संसाधन के अभाव को दर्शा रहा था और अभी सोनू कुमार वायरल हो गए। इसमें उस स्कूल या सोनू का दोष नहीं है। दोष तो सुशासन बाबू की सरकार का है, जो इतने साल मुख्यमंत्री बने रहने के बाद भी मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ण करने में अक्षम हैं।
अगर बिहार सरकार अपने ‘सोनू कुमार’ जैसे नौनिहालों के ऊपर इन्वेस्टमेंट करेंगे, तो भविष्य में यही सोनू कुमार बिहार को बेहतर रिटर्न देगा। शायद बिहार सरकार को यह बात जितनी जल्दी समझ में आ जाए, तो उतना ही बिहार के लिए अच्छा होगा और राज्य भी तरक्की करेगा तथा सोनू कुमार जैसे नौनिहाल अच्छे कामों के लिए वायरल होगा, ना कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की चुनौती के लिए।