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“विरोध को दबाने के लिए पूसा विश्वविद्यालय के VC ने स्टूडेंट्स पर कराया केस”

पूसा यूनिवर्सिटी

डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर बिहार के बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग के फाइनल इयर के छात्र अखिल साहू कि संस्थानिक हत्या के विरोध में 21 मई की रात्रि मे विरोध प्रदर्शन करने वाले 8 नामजद के साथ 400 से अधिक छात्रों पर धारा 307 और दंगा फैलाने जैसे गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज़ किया गया है।

लाठी बंदूक से खदेड़ छात्रों को हॉस्टल से निकाला गया

छात्रों का आरोप है कि वाईस चांसलर (VC) ने अपने 7 साल के कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार पर परदा डालने के लिए शांतिपूर्ण  प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पुलिस और अपने गुंडों के माध्यम से लाठी पत्थर से जानलेवा हमला करवाया और  इससे भी प्रशासन को संतुष्टि नहीं मिली, तो पुलिस ने छात्रों पर 30 राउंड से अधिक गोली चलाईं। इस पूरे प्रकरण में सौ से अधिक छात्र घायल हैं।

लाठी बंदूक के बदौलत खदेड़ कर छात्रों को हॉस्टल से निकाला गया और छात्राओं के साथ बदसलूकी की गई इस अफरातफरी के बीच देश के विभिन्न राज्यों के 2000 से अधिक छात्रों को 21 मई को 12 बजे दिन तक हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया गया, जब छात्रों ने हॉस्टल खाली नहीं किया, तो लाठी बंदूक के दम पर छात्रों को जबरन खदेड़ कर हॉस्टल से निकाला गया है इस दौरान छात्राओं के साथ बदसलूकी भी की गई है।

रजिस्ट्रार:सभी प्रोग्राम एक सेमेस्टर के लिए पोस्टपोन

पूसा यूनिवर्सिटी

शिक्षण कार्य बंद होने से सभी प्रोग्राम एक सेमेस्टर के लिए पोस्टपोन हो सकता है ऐसा विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के लोकल अखबार मे दिए गए विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार के ब्यान में कहा गया, उनके अनुसार पूरे विश्वविद्यालय के छात्रों को एक सेमेस्टर बैक किया जा सकता, क्योंकि एक सेमेस्टर को पूरा करने हेतु कम से कम 90 दिन की क्लास अनिवार्य है, जो विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधि बंद हो जाने से अब सम्भव नहीं है। लिहाज़ा अब  एक सेमेस्टर पोस्टपोन होना निश्चित है।

वाइस चांसलर के दमनकारी नीति के कारण कृषि क्षेत्र में रिसर्च और पढ़ाई करने वाले 2000 छात्रों का भविष्य अधर में आ गया है। आज पूसा विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर आर.के. श्रीवास्तव की दमनकारी नीति के कारण विश्वविद्यालय की दुर्गति हुुुई है और ये ना केवल विश्वविद्यालय और विद्यार्थियों के लिए खतरनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि देश के कृषि अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र के लिए बहुत बड़ा नुकसान है।

नामांकन नहीं मिलने से भविष्य खतरे में

इससे देश के कृषि क्षेत्र मे पढ़ाई और रिसर्च करने वाले 2,000 से अधिक विधार्थियों का भविष्य अबी अधर में दिख रहा है, क्योंकि जो छात्र GATE और अन्य प्रतियोगी परीक्षा पास करके आईआईटी और अन्य शिक्षण संस्थान में नामांकन के पात्र हैं उनको अब नामांकन नहीं मिल पाएगा और यह उनके लिए सदमे से कम नहीं होगा।

क्या इस देश मे विरोध प्रदर्शन करना अपराध हो गया है? जिस तरीके का दमन पूसा विश्वविद्यालय और स्थानीय पुलिस प्रशासन के द्वारा विद्यार्थियों पर किया गया है, उससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है।

 विश्वविद्यालय के एक छात्र की मौत

वहीं छात्रों की मांग है  विश्वविद्यालय के मृतक छात्र अखिल साहू को न्याय दिलाने तथा विश्वविद्यालय मे अमन और शांतिपूर्ण शिक्षण शोध कार्य की बहाली हेतु के छात्रों का मांग

VC के कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के विरोध में प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर दमन के मामले में देश का विपक्ष भी अब तक चुप है। आखिर क्यों? इससे भी ज़्यादा गंभीर ये है कि एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों को इस तरह प्रताड़ित किया जाता है और मीडिया, देश का विपक्ष मौन है? क्या अब ये गांधी अंबेडकर और नेहरू का देश नहीं रहा? 

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