दुर्गा भाभी या यूं कहे वीरांगना दुर्गावती देवी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस देश की आज़ादी के लिए वो अपना सब कुछ न्यौछावर कर रही थीं, उसी देश में आज़ादी के 75 सालों बाद महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर चुप्पी साधे नेता आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाएंगे।
दुर्गा भाभी ने ये भी कभी नहीं सोचा होगा कि भारत में महिलाओं की इज्ज़त उनके धर्म को देखकर उछाली जाएगी। भारत को कई सौ साल पहले भारत माता का दर्ज़ा देने वालों ने भी कभी नहीं सोचा होगा कि भारत के नेता जब “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” का नारा देंगे, तो भारत की लड़कियों को उनके हाल पर ही छोड़ देंगे।
आजकल भारत में यह सब कुछ हो रहा है। कुछ महीने पहले भारत के एक क्रिकेटर की बेटी के खिलाफ घिनौनी बातें लिखी गईं। देश की माननीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी भी इससे बच नहीं पाईं, यति नरसिंह ने स्मृति ईरानी और भाजपा के अन्य महिला कार्यकर्ताओ के बारे मे अभद्र टिप्पणी की।
फरवरी, 2021 मे सरकार बड़े गाजे-बाजे के साथ इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी इंटेरमेडेट्री गाइड्लाइन एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स रूल 2021 लेकर आई। इसका विपक्ष ने पुरज़ोर विरोध किया और इस विरोध के जवाब में उस वक्त के तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार नियंत्रण नहीं नियमन चाहती है और सरकार तो सोशल मीडिया को मज़बूत करना चाहती है।
आईटी रूल 2021 का एक बिन्दु है कि किसी भी यूज़र की गरिमा को लेकर सोशल मीडिया को और सख्ती दिखानी होगी। खास करके महिलाओं के लिए उसे अपनी गाइडलाइन्स सख्त-से-सख्त करनी होंगी अगर महिलाओं द्वारा किसी पोस्ट को आपत्तिजनक बताया जा रहा है, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उसे 24 घंटों के भीतर डिलीट करना होगा।
प्लेटफॉर्म पर ऐसा कंटेट नहीं डाला जा सकेगा जिससे मानहानि हो या वो कंटेन्ट अश्लील हो। सोशल मीडिया साइट्स पर किसी भी प्रकार के न्यूड अपलोड करने पर भी रोक लगाई गई। अब इसके आलोक मे बुल्ली बाई और सुल्ली डील्स जैसे अश्लील और बेहूदा तमाशे को देखें, तो सरकार की ये बातें किसी बेहूदी मज़ाक की तरह लगती हैं।
कुछ दिनों पहले एक 18 साल की लड़की ने अल्पसंख्यक महिलाओं की नीलामी के लिए एक बुल्ली बाई के नाम से एक एप्प बनाया था। इस काम में उसका साथ एक 21 साल का लड़का दे रहा था। इन दोनों का साथ वेल्लोर और उत्तराखंड के दो छात्र दे रहे थे। इस एप्प को प्रमोट करने के लिए उन्होंने बड़े ही शातिर तरीके से फेसबुक पर एक फेक अकाउंट खालसा एक्सट्रिमिस्ट के नाम से बनाया था। इस एप्प में मुस्लिम महिलाओं के सोशल मीडिया हैंडल्स से उनकी तस्वीरों एवं निजी जानकारी को चुरा कर अपलोड कर के उनकी नीलामी के लिए अन्य लोगों को आमंत्रण दिया।
इस एप्प की जानकारी एक महिला पत्रकार 1 जनवरी को अपने ट्विटर से साझा करती है। इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने एक स्क्रीनशॉट भी साझा किया जिसमें उनके फोटो के साथ उन्हे ‘बुल्ली बाई ऑफ द डे’ कहा गया था। बुल्ली बाई एप्प मे अब तक चार लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है। इस एप्प की पीड़िता अपनी आपबीती बताते हुए कहती हैं, “मैं बहुत ज़्यादा परेशान थी, मुझे लग रहा था कि ये फिर से शुरू हो गया, मैं उसे पागलों की तरह क्लिक किए जा रही थी और यह देखने के लिए इसमें और कौन-कौन सी महिलाएं हैं।”
ठीक इसी तरह पिछले साल जुलाई महीने में मुस्लिम महिलाओ के सोशल मीडिया में मौजूद फोटोज़ के साथ एक एप्प बनाया गया था। सुल्ली फॉर सेल, यह एक ओपन सोर्स एप्प था, जिसमे 80 से ज़्यादा मुस्लिम महिलाओं की फोटोज़ और उनके ट्विटर हैंडल दिए गए थे।
इस एप्प मे सबसे ऊपर ‘फाइंड योर सुल्ली डील’ लिखा गया था। इस एप्प में भी कुछ ऐसी महिला पत्रकारों और रेडियो जॉकी का नाम था, जिनका नाम बुल्ली बाई डील्स में भी सामने आया है। इन महिलाओं का कहना है कि इस तरह के एप्प बनाकर महिलाओं की आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है। इस एप्प में ऐसी महिलाओं को टारगेट किया जा रहा था, जो महिलाएं प्रखर होकर अपने विचारों को सार्वजनिक रूप से साझा कर रहीं थीं।
पुलिस की जांच मे सामने आया है कि इस एप्प की मास्टरमाइन्ड एक 18 साल की लड़की है। वो कथित रूप से नेपाल में बैठे अपने किसी दोस्त के इशारे पर काम कर रही थी। अब मुंबई पुलिस इस बिन्दु पर जांच करेगी कि क्या ये समूह जुलाई मे बने सुल्ली डील्स में भी शामिल था?
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि बुल्ली डील्स की मास्टरमाइन्ड के पिता नहीं हैं और इसकी बहुत संभावना है कि वो पैसों के तंगी के चलते यह काम कर रही होगी। डीजीपी के इस बयान से, यह सवाल उठता है कि क्या इसकी फंडिंग किसी एक विचारधारा के लोगों द्वारा हुई है, क्योंकि पुलिसिया जांच में यह सामने आया है कि इस प्रकरण मे गिरफ्तार हुए सभी आरोपी एक ही विचारधारा से प्रभावित दिखते हैं।
धर्म के नशे की वजह से लोगों के दिलों मे इतनी नफरत फैल गई है कि वो अपने संस्कारों को भूलकर धर्म की झूठी शान बघार रहे है। इस प्रकरण के बाद भारत सरकार के किसी भी मंत्री ने खुल कर कोई बयान नहीं दिया। सभी मंत्रियों और सत्ता पक्ष के नेताओं ने चुप्पी साध ली है। इनकी चुप्पी खत्म होने की कोई उम्मीद भी नहीं, क्योंकि पिछले साल जुलाई मे हुए सुल्ली डील्स के बाद भी भारत सरकार के द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई थी।
हाथरस मे हुए नाबालिग के साथ दुष्कर्म के बाद भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने अपने ट्विटर हैंडल पर उस नाबालिग के बलात्कार का वीडियो डाल दिया था, लेकिन आज तक ना उस पर कोई कानूनी कार्यवाही हुई ना ही भारतीय जनता पार्टी ने उसे पदमुक्त किया।
सिर्फ इतना ही नहीं, जनवरी 2021 से 31 मई 2021 के बीच 10 महिला पत्रकारों के बारे मे लगभग 10 लाख गालियों से भरे ट्वीट किए गए। एक निजी संस्थान की जांच में पाया गया है कि टेक फॉग नाम के एप्प की मदद से महिला पत्रकारों को गालियां दी गईं, उन्हें बलात्कार की धमकियां दी गईं। इस एप्प की मदद से हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई महिला पत्रकारों को टारगेट किया गया था।
सभी पीड़िताएं सरकार के खिलाफ और कई अन्य मुद्दों पर अपना विचार सावर्जनिक रूप से रखती हैं। भारत में सरकार की खिलाफत और देश के मुद्दों पर अपने विचारों को बेबाकी से रखने वाली महिला पत्रकारों की इज्ज़त और उनके सम्मान के लिए क्या देश में कोई नियम नहीं बनने वाला है? क्या सरकार बुल्ली बाई एप्प के दोषियों पर ठोस कार्यवाही करेगी? क्या सरकार सुल्ली डील्स और बुल्ली बाई एप्प जैसे एप्प के रूट कॉज़ को ढूंढ कर उसे खत्म करेगी या ऐसे ही चुप्पी साधे आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाएगी?