‘पंजाब’ शब्द, फारसी के शब्दों ‘पंज’ पांच और ‘आब’ पानी के मेल से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ ‘पांच नदियों का क्षेत्र’ है। यह फारसी शब्द संस्कृत के ‘पञ्चनाद’ के आधार पर हुआ था जिसका अर्थ वही ‘पांच नदियों का क्षेत्र’ है। ये पांच नदियां हैं सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम।
सन् 1947 में हुए भारत के विभाजन के दौरान चिनाब और झेलम नदियां पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चली गईं । राज्य की कुल जनसंख्या 2,77,43,336 है एंव कुल क्षेत्रफल 50,362 वर्ग किलोमीटर है। 1966 में भारतीय पंजाब का विभाजन फिर से हो गया और नतीजे के तौर पर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश वजूद में आए और पंजाब का मौजूदा राज बना।
पंजाब में एक बार फिर चुनावी बिगुल बज चुका है। हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी दल और दावेदार लोक लुभावन वादों के साथ जनता के दर पर हैं। वाेट के लिए लोगों को रिझाने की हर कोशिश कर रहे हैं। वादों की झड़ी लगा रहे हैं लेकिन अतीत खोखले वादों का गवाह है।
पंजाब जो हमेशा से आर्थिक, राजनीति, सामाजिक बदलावों के लिए प्रसिद्ध रहा है, जो हमेशा खुशहाली का केंद्र रहा है जिसे “सोने की चिड़िया” कहा जाता रहा है आखिर अब नशा का, पलायन का, तंगी का केंद्र कैसे बन गया? आखिर इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है?
भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहां सब राजनीतिक कार्यवाहियां सरकारें ही निर्धारित करती हैं। अतः स्पष्ट है कि पंजाब की इस दुर्दशा के लिए यहां की सरकारें ही ज़िम्मेदार हैं। पंजाब में कॉंग्रेस, अकाली दल, BJP आदि सभी पार्टियों ने राज किया है। पंजाब एक समय पर सोने की चिड़िया था, लेकिन नेताओं ने उसके पंख-पंख बिखेर डाले।
लोगों के द्वारा पंजाब को तीन क्षेत्रों में बांटा जाता है – दोआब, मालवा और मांझा। इन तीनों को मिलाकर कुल 117 विधानसभा सीटें हैं जिनमें मांझा 25, दोआबा 23 और मालवा 69 । यही विधायक वोट दे के राज्यसभा में पंजाब के 7 सांसद भेजते हैं। ( पंजाब में कुल 13 लोकसभा सीटें हैं।)
वैसे, तो आज पूरे पंजाब में समस्याएं हैं लेकिन तुलनात्मक रूप से पंजाब के 18 में से 15 मुख्यमंत्री देने वाला मालवा क्षेत्र बाकी दोनों क्षेत्रों से अधिक पिछड़ा हुआ है। साक्षरता दर व लैंगिक अनुपात में भी मालवा अधिक पीछे है ।
पूरे पंजाब में किसान आत्महत्याओं, कैंसर की बढ़ती बीमारी, अपर्याप्त पेयजल, रेत की बढ़ती कीमतें, कपास की फसल पर लाल कीट के बढ़ते हमले, बेरोजगारी और बिगड़ती कानून व्यवस्था जैसी प्रमुख समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं लेकिन तुलनात्मक रूप से पंजाब के 18 में से 15 मुख्यमंत्री देने वाला मालवा क्षेत्र बाकी दोनो क्षेत्रों मांझा व दोआबा से अधिक पिछड़ा हुआ है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ये सारी समस्याएं मुख्यतः 90 के दशक से शुरू हुई हैं। नेताओ ने वोट बैंक की राजनीति के कारण इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया। आज पंजाब नशे का हब बन चुका है और इसके लिए बेरोजगारी, ज़मीनी सुविधाओं का ना होना आदि प्रमुख कारण ज़िम्मेदार हैं। सभी समस्याएं व उनके समाधान एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं।
अनेक इलाकों में पेयजल (पानी) की समस्या है। पराली की समस्या भी मौजूद है। पराली से अनेको समस्याएं उत्पन्न होती हैं, पराली से पर्यावरण प्रदूषण भी फैलता है लेकिन इसके लिए किसानों को दोष देना निहायत ही गलत है, क्योंकि किसानों के पास दूसरा विकल्प ही नहीं है।
राज्य सरकार, केंद्र सरकार या आयोगों आदि ने इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया है। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में पराली समस्या के समाधान के लिए ठोस पहल की है। पंजाब पूर्ण राज्य है, अगर आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, तो निश्चित तौर पर ही इन सभी प्रमुख समस्याओं का अंत हो जाएगा।
पंजाब के सरकारी स्कूलों की ऐसी हालत है कि दिल्ली UT के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की चुनौती पर पंजाब राज्य सरकार अपने अच्छे और विद्यार्थियों के लिए सुविधायुक्त 20 स्कूल भी नहीं दिखा सकी। आज शिक्षा के लिए, नौकरी के लिए, इलाज के लिए हर चीज़ के लिए लोगों को बड़े शहर या पंजाब से बाहर जाना पड़ता है। उत्तराखंड की तरह यहां भी पलायन एक गम्भीर समस्या है।
पंजाब में अक्सर बुजुर्गों को पेंशन के लिए दर-दर भटकते देखा जा सकता है जबकि सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों को पेंशन का हक पाने के लिए 58 वर्ष की उम्र तक नौकरी करनी पड़ती है, परंतु राजनीति में एक बार विधायक बनने के बाद पेंशन लग जाती है। 500 रुपए महीना पेंशन के लिए कई बार बुजुर्गों को सालभर इंतज़ार करना पड़ता है, वहीं प्रदेश में कुछ विधायक और पूर्व मंत्री ऐसे भी हैं जिनकी पेंशन प्रधानमंत्री के वेतन से भी ज़्यादा है।
पंजाब सरकार लोगों से टैक्स लेकर अपना खजाना भरने में लगी हुई है पर प्रदेश में हालात ऐसे हैं कि कई सरकारी विभागों में कर्मियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। यहां तक कि शिक्षकों के वेतन में भी कटौती की जा रही है। हैरानी की बात है कि सरकार का यह खजाना नेताओं के लिए पूरी तरह खुला है।
RTI में इसका गजब का खुलासा हुआ है। इसमें मिली जानकारी के अनुसार मौजूदा और पूर्व विधायक, सांसद मोटे वेतन, पेंशन के अलावा भत्तों के नाम पर कई वित्तीय लाभ ले रहे हैं। इससे खजाने पर भारी बोझ पड़ने के साथ जनता के पैसे की लूट हो रही है।
आम आदमी पार्टी (AAP) पंजाब के विधायकों ने विधायकों व पूर्व विधायकों को एक से अधिक मासिक पेंशन देने के विरोध में ‘एक विधायक-एक पेंशन की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब के खजाने पर करदाताओं का पूरा अधिकार है। इसलिए किसी भी व्यक्ति विशेष को करदाताओं द्वारा देश और पंजाब के कल्याण के लिए भुगतान किए गए कर का दुरुपयोग करने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कॉंग्रेस सरकार ने 2004 में सुधारों के नाम पर पंजाब सरकार के कर्मचारियों की पेंशन रोक दी थी, जिसका पूरे कर्मचारी/पेंशनभोगी वर्ग ने कड़ा विरोध किया था जो आज भी ज़ारी है।अकाली दल, BJP आदि ने भी मलाई खाने के मुद्दे पर कॉंग्रेस का साथ दिया था। कर्मचारियों की पेंशन बंद करने जैसे फैसले लेते समय, विधायकों को वेतन वृद्धि के नाम पर मिलने वाली कई मासिक पेंशन की याद क्यों नहीं आई?
कॉंग्रेस, शिअद और भाजपा के विधायकों को इस संबंध में जनता को जवाब देना चाहिए और उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के सभी विधायक एक विधायक को एक से अधिक पेंशन देने के नियम के खिलाफ हैं।
जब नीति आयोग अपने भुखमरी वाले राज्यों की रिपोर्ट में बताती है कि पंजाब दो पायदान फिसलकर 10वें से 12वें नंबर पर पहुंच गया है। खाद्यान्न का भंडार कहे जाने वाले पंजाब में आज हालात बदतर हो चुके हैं, तो कॉंग्रेस सरकार के मंत्री इसे एकदम गलत कह देते हैं।
एक मंत्री ने तो यहां तक कहा कि पंजाब में भुखमरी नहीं है और पंजाब के लोग वजन घटाने के लिए डाइटिंग करते हैं और इसी वजह से पंजाब इस रैंकिंग में पिछड़ गया है, बाकी अकाली दल, BJP आदि इसके लिए कॉंग्रेस से सवाल कर रहे हैं, तो दूसरी ओर जब भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में पिछड़ जाता है तो केंद्र की BJP सरकार सीधे इंडेक्स को गलत कह देती है जबकि मई 2014 के पहले इन्ही Indexes के आधार BJP मनमोहन / UPA सरकार से सवाल करती थी।
अब आप तय कीजिए कि आपको किसे चुनना है, उसे जो खामियों को स्वीकार करके काम करके इन खामियों को दूर करके अगले बार Indexes में बेहतर करे या उसे जो यही स्वीकार ना करे कि कोई समस्या है। आम आदमी पार्टी पहली श्रेणी में है, जो समस्या को स्वीकार कर, उसे दूर करती है और कॉंग्रेस, BJP दूसरी श्रेणी में जो यही स्वीकार नहीं करते कि कोई समस्या है, तो काम खाक करेंगे।
कॉंग्रेस नेता BJP में गए, BJP नेता कांग्रेस में गए, अकाली दल में भी आना जाना हुआ और तीनों ने मिल कर राज किया फिर भी पंजाब की इतनी दयनीय स्थिति क्यों?
ध्यान रहे कि BJP व अकाली दल वर्षों तक साथ रहे, BJP व शिरोमणि अकाली दल साथ में सरकार में रहे, साथ में विपक्ष में रहे, दोनो साथ में केंद्र में भी रहे हैं। अकाली नेता व मोदी कैबिनेट की हिस्सा हरसिमरत कौर बादल पहले तीनों विवादित कृषि कानूनों का भरपूर समर्थन कर रही थीं, वो तो बाद में मोदी सरकार से अलग हुई थी।
5 बार के विधायक मनप्रीत बादल 2007 से 2010 तक अकाली + BJP सरकार में कैबिनेट वित्त मंत्री थे, ये सुखबीर सिंह बादल के भतीजे हैं। 2010 तक ये शिरोमणि अकाली दल में थे फिर अपनी खुद की पार्टी बनाई PPP फिर 2016 में इन्होंने 2016 में अपने पार्टी का कॉंग्रेस में विलय कर दिया । ये 2017 में अमरिंदर सरकार में वित्त मंत्री बने और फिर चन्नी सरकार में भी वित्त मंत्री हैं।
BJP कैप्टन से गठजोड़ कर रही है मतलब BJP कॉंग्रेस के कामों पर मुहर लगा रही है, क्योंकि अगर BJP+ कॉंग्रेस सरकार की बुराई करेगी, तो वो सरकार के मुखिया कैप्टन अमरिंदर सिंह की भी बुराई होगी। कॉंग्रेस को कैप्टन के कामों पर मुहर लगाना ही पड़ेगा, क्योंकि अमरिंदर सिंह कॉंग्रेस के ही कैप्टन थे और अब कैप्टन BJP के साथ हैं। अकाली और BJP ने वर्षों तक साथ मे पंजाब पर राज किया है और BSP अकाली से गठबंधन कर रही है ।
अकाली + BJP = गठबंधन
अकाली + BSP = गठबंधन
{ LSH = RHS का इस्तेमाल करे तो }
BJP = BSP
कॉंग्रेस + कैप्टन = साथ
BJP + कैप्टन = साथ
{ LHS = RHS का इस्तेमाल करे तो }
कॉंग्रेस = BJP
Hence, BJP = कॉंग्रेस = कैप्टन = BSP
पंजाब के वित्त मंत्री कहते है कि पंजाब का खजाना खाली है, तो मुख्यमंत्री कहते हैं कि खजाना भरा हुआ है। पंजाब कॉंग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू कॉंग्रेस सरकार के मुखिया रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह पर आरोप लगाते हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह नए मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी पर आरोप लगाते हैं और इस प्रकार तीनों मिल कर कॉंग्रेस सरकार की पोल खोल देते हैं। अगर कॉंग्रेस की सरकार बन भी गई तो सिद्धू सिंधिया बन जाएंगे और मध्यप्रदेश की तरह जनादेश का अपमान होगा।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि अवैध खनन के मामले में चन्नी भी शामिल हैं और उनकी जांच होनी चाहिए। रेत माफियाओं का ये कारोबार सालों से चलता आ रहा है और इसमें कॉंग्रेस सरकार के कई मंत्री और अफसर शामिल हैं।
कैप्टन अमरिंदर ने चरणजीत सिंह चन्नी पर आरोप लगाया है कि वो एक महिला अफसर को फोन कर के तंग करते थे, अब कोई अमरिंदर को बताओ कि साढ़े चार साल तक वे ही पंजाब के कॉंग्रेस सरकार के मुखिया थे और चन्नी जी आपके कैबिनेट मंत्री ! अकाली दल भी CM चन्नी आदि पर ये आरोप लगा रही। अब कोई अकाली दल को बताओ कि वे 2020 तक केंद्र सरकार में शामिल थे, तो CBI आदि से जांच क्यों नहीं कराई?
{मैं यहाँ ये नहीं कह रहा कि चन्नी साहब निर्दोष हैं या फिर दोषी हैं इसका अंतिम फैसला न्यायपालिका को करना है। मैं यहां केवल अमरिंदर सिंह व अकाली दल के विश्वसनीयता के विषय में जानना चाहता हूं। वैसे इतने बड़े पैमाने पर रेत चोरी आदि की घटनाएं बिना नेताओं व अधिकारियों की मिलीभगत के सम्भव नहीं है।}
हाल ही में पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों के विरोध में कैप्टन अमरिन्दर सिंह के घर के बाहर बिना शर्ट के धरने पर बैठे थे। आज वह उनके साथ पार्टनरशिप में बैठे हैं।
पंजाब लोक कॉंग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान के पीएम ने एक अनुरोध भेजा था कि यदि आप नवजोत सिंह सिद्धू को अपने मंत्रिमंडल में ले सकते हैं, तो मैं आभारी रहूंगा, वह मेरे पुराने मित्र हैं। अगर वह काम नहीं करेंगे तो आप उन्हें हटा सकते हैं।
अब सवाल यह है कि तब अमरिंदर सिंह ने इस बात की जानकारी कॉंग्रेस शीर्ष नेतृत्व को क्यों नहीं दी? और उन्होंने पाकिस्तान के PM की बात क्यों मानी? और-तो-और पाकिस्तान के इशारों पर काम करने वाले अमरिंदर सिंह के साथ BJP गठबंधन कर रही है?
अफसोस 5 साल सरकार में रहने के बाद भी कॉंग्रेस अपने कामों के आधार पर वोट नहीं मांग पा रही है शायद दिखाने को कुछ है नहीं ? जो कांग्रेस, अकाली दल, BJP, अमरिंदर सिंह पंजाबियों से मौका मांग रहे हैं, उन्हें पहले आज तक का हिसाब देना चाहिए कि आखिर इनके रहते पंजाब की ये दुर्दशा हुई कैसे?
तो वहीं आम आदमी पार्टी डंके की चोट पर कह रही है कि हमने दिल्ली में पराली समस्या पर निजात पाई है, हम पंजाब से भी पराली समस्या का किफायती समाधान करेंगे। AAP ने दिल्ली में सरकारी स्कूलों को बेहतर किया है ( उड़ीसा आदि राज्य सरकारो, UN अधिकारी आदि तमाम लोगों ने इसके लिए “आप की सरकार” की तारीफ की है ), AAP को मौका दे, हम पंजाब के स्कूलों को भी बेहतर करेंगे।
AAP ने नए आबकारी नीति के माध्यम से दिल्ली में अवैध शराब कारोबार पर रोक लगाई है, ठेकों की संख्या कम की है, AAP को मौका दे पंजाब से नशा खत्म होगा, ज़रूर होगा{ दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है, GNCTD संसोधन कानून भी लागू हो गया है, पुलिस / कानून व्यवस्था केन्द्र सरकार के पास है इसीलिए दिक्कतें आती हैं। पंजाब पूर्ण राज्य है, वहां अगर AAP की सरकार बनी तो और बढ़िया काम होगा, क्योंकि हर बात में राज्यपाल से मुहर नहीं लगवानी पड़ेगी, पुलिस राज्य सरकार के पास होगा }
Door To Door Ration, One Window System, मेंटरशिप प्रोग्राम, दिल्ली के फरिश्ते की तरह पंजाब फरिश्ते कार्यक्रम आदि के द्वारा फिर से पंजाब को सोने की चिड़िया बनाया जाएगा और ये कोई हवाहवाई वादे नहीं हैं, दिल्ली में आप की सरकार ने यह करके दिखाया है। आप दिल्ली जा के खुद देख सकते हैं।
केजरीवाल सरकार शहीदों को 1 करोड़ देती है, सीवर को साफ करने के लिए मशीनों की व्यवस्था करती है, सफाईकर्मियों को सम्मान देती है।
जब सरकारी शिक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त होगी, रोज़गार के अवसर मिलेंगे, योग कक्षाएं शुरू होंगी, स्वास्थ्य व्यवस्था चुस्त दुरुस्त होगा, पराली समस्या का हल होगा, शहीदों के परिजनों का सम्मान होगा, जवानों व किसानों का सम्मान होगा, मेंटरशिप प्रोग्राम होगा, भ्रष्टाचार खत्म होगा, अवैध खनन रुकेगा, कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त होगी, तो इससे पलायन रुकेगा और “पंजाब को नशा मुक्त” करने में मदद मिलेगी और जिस “सोने की चिड़िया” के पंखों को सरकारों ने नोंच लिया है, वो चिड़िया फिर चहकेगी । पंजाब फिर सोने की चिड़िया बनेगा।
इनके कार्यों को देख कर और दिल्ली में केजरीवाल सरकार के कामों को देख के इस बार पंजाबियों ने एकदम निश्चय कर लिया है कि वे परंपरागत पार्टियों की जगह पर आम आदमी पार्टी को मौका देंगे। भगवंत मान को अगला मुख्यमंत्री बनाएंगे । इस बार अकाली + BJP, कॉंग्रेस सबकी गंदगी को साफ करेगा झाड़ू।