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कोई भी धर्म दूसरे धर्म को नीचा दिखाना नहीं सिखाता फिर यह मज़हबी वैचारिकता क्यों?

कोई भी धर्म दूसरे धर्म को नीचा दिखाना नहीं सिखाता फिर यह मज़हबी वैचारिकता क्यों?

देख कर भी सब कैसे अनदेखा किया जा रहा है। एक अकेली लड़की की तरफ उसी के कॉलेज में हज़ारों लड़कों की भीड़ चिल्लाते हुए भाग कर आ रही है। मैं इस लड़की मुस्कान की हिम्मत को सलाम करता हूं, जो वो लड़कों की इतनी बड़ी भीड़ के सामने डटी रही पर वह भीड़ कुछ भी कर सकती थी।  

मुस्कान की सुरक्षा का क्या और मुस्कान जैसी हज़ारों हिजाबी लड़कियों की सुरक्षा का क्या जिनकी तरफ ऐसी सैंकड़ों लड़कों की भीड़ कभी भी बढ़ सकती है और यह लोग तो भगवा गमछों का भी इस्तेमाल आस्था के लिए नहीं कर रहे अगर आस्था की बात होती, तो एक ही क्लास में हिजाब पहने लड़कियां और भगवा गमछा डाले लड़के और लड़की पढ़ सकते थे, जिनके लिए बात आस्था की होती है, वह तो आराम से क्लास में तिलक लगा के हाथ में कड़ा पहन के पढ़ ही लेते हैं उनको इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि उनके किसी साथी छात्र या छात्रा ने क्या पहना है बल्कि अगर धर्म सही से समझा होता, तो जिसने जो भी पहना है उसकी इज़्ज़त ही करते।

यह भगवा गमछे डाल के जो भीड़ आज मुस्कान की तरफ चिल्लाते हुए बढ़ी है, उसने हिन्दू धर्म को बस बदनाम करने का काम किया है। ये लोग भगवा गमछे का इस्तेमाल अपनी आस्था के लिए नहीं बल्कि अपनी नफरत के लिए कर रहे हैं, जिसका मुझे बहुत दुख है। इससे भी ज़्यादा दुख मुझे इस बात का है कि पढ़ने-लिखने वाले छात्रों के बीच आज धर्म आ गया है, नफरत आ गई है। इन्हें तो एक-दूसरे का दोस्त बनना था, अच्छे-बुरे समय में एक-दूसरे का साथ देना था और यह भगवा पहन के किस रास्ते निकल लिए इनमें लड़कियां भी हैं, जो अपनी साथी हिजाबी छात्राओं के विरोध में भगवा गमछा पहने हुई हैं।

हिजाबी लड़कियां किसी के विरोध में हिजाब नहीं पहनती हैं, अपने लिए पहनती हैं और आप लोग भी किसी के विरोध में भगवा गमछा मत पहनो आपकी आस्था है, तो पहनो और सच्ची आस्था आने के लिए भी पहले एक अच्छे इंसान बनो जिससे कि धर्म का असली मतलब समझ पाओ।

यह सब जो हो रहा है कर्नाटक में यह इस्लामोफोबिया है जिससे भारतीय मुसलमानों की सुरक्षा को खतरा बढ़ता जा रहा है। हमें इस नफरत को कैसे भी बढ़ने से रोकना होगा इस नफरत से हमारे हिन्दू युवाओं को भी सिर्फ नुकसान ही होगा। मैं कम-से-कम जब तक जिंदा हूं, इस नफरत को रोकने की कोशिश करता रहूंगा।

कर्नाटक सरकार की मैं कड़ी शब्दों में आलोचना करता हूं जो कि पूरी तरह से इस मामले को सुलझाने में असफल रही है, जब पहले ही दिन कॉलेज ने हिजाब पहनने के लिए लड़कियों को मना करा था, तभी सरकार को कॉलेज प्रशासन पर सख्त कार्यवाई करनी चाहिए थी और सार्वजनिक तौर पर साफ करना चाहिए था कि संविधान सबको अपना धर्म अनुसरण करने का हक देता है इसलिए कोई भी छात्राओं को हिजाब में कॉलेज आने से नहीं रोक सकता है लेकिन अफसोस की बात यह है कि सरकार के संरक्षण के बिना शायद ही कोई मुद्दा इतना तूल पकड़े और हाथ से निकल जाए इसलिए सरकार की मंशा और व्यवहार दोनों पर ही कड़े सवाल खड़े होते हैं।

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