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“मैं उस आदमी को ढूंढ रहा हूं, जिसने मुझे बोला था कि प्लीज़ भाई, गहराइयां देखो”

भाई भाई, ओ भाई! मारो-मारो, कोई तो मुझे मारे। गहराइयां-गहराइयां करके ऐसी गहराई में उतार दिए मुझको कि अब जीवन की तमाम गहराइयां छोटी लग रही हैं। मैं उस आदमी को ढूंढ रहा हूं, जिसने मुझे बोला था कि प्लीज़ भाई, गहराइयां देखो और रिव्यू लिखो। ऐसी बकवास फिल्म, जो मैंने अब तक नहीं देखी थी, मतलब हद है धर्मा प्रोडक्शन्स!

शुरुआत के पन्द्रह मिनट तो पता ही नहीं चला कि हो क्या रहा है? बस दीपिका थी इसलिए पूरी फिल्म को झेल लिया, नहीं तो मोबाइल फोड़ देता मैं सच्ची। क्या फिल्म बनाई है, ना कोई कहानी, ना किरदारों में दम और ना ही किसी भी प्रकार की गहराई।

असुविधा के लिए खेद है दोस्तों, मगर इस फिल्म में रिव्यू के लिए कुछ है नहीं। तो क्या ही लिखूं समझ नहीं आ रहा है। फोड़ लूं अपना सर? या गंजा हो जाऊं? या खेत में ट्रैक्टर लेकर नाचूं?

मैंने फिल्म देखने के बाद अमेज़न प्राइम को अनइंस्टॉल कर दिया और सब्सक्रिप्शन भी बंद कर दिया। कोई इन्हें सद्बुद्धि तो दे! अगर अभी भी आपको लगता है यह फिल्म आपको देखनी चाहिए, तो जाइए गहराइयों में उतर जाइए फिर ये मत कहिएगा कि सीढ़ी लगाओ, क्योंकि मैं तो सीढ़ी ही खींच लूंगा। आगे आप समझदार हैं।

 

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