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हमारे सड़े हुए समाज और न्याय तंत्र का सशक्त उदाहरण है “दिल्ली की बलात्कार की घटना”

रेप

26 जनवरी को दिल्ली के कस्तूरबा नगर में 21 वर्षीय विवाहित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार, उसके सिर के बाल काटना, काला मुंह करके घण्टे भर शहर में घुमाना, गले मे जूतों की माला डालना व बर्बर मारपीट की जघन्य घटना हुई।

इस अमानवीय व जघन्य घटना ने मुल्क को, तो मालूम नहीं लेकिन मुझे ज़रूर अंदर तक हिला कर रख दिया है। सोशल मीडिया पर उस घटना से सम्बंधित कुछ वीडियो घूम रहे हैं। इन वीडियो में, जो बर्बरता उस लड़की के साथ हुई है, वो एक आम आदमी की रूह को कंपकपा देने वाली है।

कस्तूरबा नगर की एक लड़की, जो शादी के बाद कड़कड़डूमा इलाके में रहती है। उसके एक 2 साल का बच्चा भी है। उसको 26 जनवरी को घर से कुछ महिला व पुरुष पीटते हुए ऑटो में बैठा कर अपरहण करते हैं और उसके बाद उस लड़की को वो कस्तूरबा नगर लेकर जाते है।

वहां उस लड़की की बड़ी ही बेहरमी से पिटाई की जाती है, उसके बाल काटे जाते हैं। वहां उपस्थित महिलाओं के कहने पर उस लड़की के साथ 3 लोग सामूहिक दुष्कर्म करते हैं और अपना प्राइवेट पार्ट को उसके मुंह में डालने की कोशिश करते हैं। ये सब करने के बाद अपरहणकर्ता उस लड़की को बाहर तमाशा देखने के इंतज़ार में खड़ी जॉम्बी की भीड़ के बीच मे उस लड़की को पेश करते हैं।

हमारे तथाकथित आदर्श एवं सभ्य समाज की जॉम्बी भीड़ इस घटना को देखकर हुंवा-हुंवा करके खुशी से अठ्ठाहस करती है, तालियां बजाती है व सीटी बजाकर बलात्कारियों व अपरहणकर्ताओं के इस अमानवीय व दरिंदगी भरे कार्य को सम्मान देती है। अनेक जोम्बियों ने इस घटना का वीडियो अपने-अपने मकान की छत से बनाया है। घण्टे भर बाद जब पुलिस आती है, तो वो लड़की को जोम्बियों की भीड़ से छुड़ाकर ले जाती है।

यह अमानवीय घटना एक बार फिर साबित करती है कि मुल्क का बहुमत आवाम जॉम्बी में बदल चुका है। लड़की को कड़कड़डुमा से मारते-पीटते ऑटो में अपहरण किया गया। कड़कड़डुमा से कस्तूरबा नगर जहां उस लड़की को लाया गया, वहां तक 15 से 20 मिनट का समय लगता है। इस 15 से 20 मिनट के सफर में हज़ारों लोगों के बीच से अपरहणकर्ता गुज़रते हैं। लड़की इस दौरान जोर-जोर से चिल्ला रही है लेकिन किसी ने उसके चिल्लाने की आवाज़ नहीं सुनी क्यो?

“हम औरत सिर्फ उसी को समझते हैं, जो हमारे घर की हो, बाकी हमारे लिए कोई औरत नहीं होती, बस गोश्त की दुकान होती है, हम इस दुकान के बाहर खड़े कुते की तरह होते हैं, जिनकी हवस जदा नज़रें हमेशा गोश्त पर टिकी रहती हैं।”

सआदत हसन मंटो

उसके बाद जब लड़की के साथ आरोपियों द्वारा अपने घर में अमानवीयता की सारी हदें पार की जा रही थीं, लेकिन बाहर सैंकड़ो की भीड़ ये इंतज़ार कर रही थी, कि कब लड़की को ये बाहर निकालें, ताकि हम हम अपना एन्जॉय कर सकें। कुछ तो अपने फोन का कैमरा चालू करके मकान की तरफ नज़रें ऐसे टिकाए हुए थे कि कब लड़की बाहरा आए, वो उसका वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सकें।

कस्तूरबा नगर से कड़कड़डुमा जाने तक मिले हज़ारों लोग जिन्होंने लड़की की चीख सुनने के बाद भी अपने आंख-कान बन्द कर लिए व कड़कड़डुमा में इकठ्ठा भीड़ जो ताली व सीटी बजा रही थी, जो इस दरिंदगी पर हंस रहे थे और जो छतों पर खड़े होकर वीडियो बना रहे थे, वो सब इस दरिंदगी के लिए ज़िम्मेदार हैं। वो सब बलात्कारी हैं।

इन हज़ारों मरे हुए लोगों में से अगर एक भी जिंदा इंसान होता, जो वीडियो बनाने की बजाए पुलिस को फोन कर देता, तो लड़की को दरिंदगी से बचाया जा सकता था, लेकिन अफसोस कि वहां उस भीड़ में कोई जिंदा ही नहीं था, क्योंकि सब मर चुके हैं। हम सब चलती-फिरती मुर्दा लाश हैं, सब जॉम्बी हैं।

दिल्ली सरकार व केंद्र की सरकार भी इस दरिंदगी के लिए उतने ही ज़िम्मेदार हैं, जितनी वो भीड़, दोनों सरकारें ही दिल्ली को सुरक्षित होने का दावा करती हैं। दिल्ली में करोड़ों रुपये के बजट से अलग-अलग एजेंसी ने जगह-जगह कैमरे लगाए हुए हैं जिनकी निगरानी पर हर महीने लाखों खर्च होता है।

26 जनवरी जैसे खास दिन, तो ये निगरानी बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है उसके बाद भी उन एजेंसियों को ऑटो में अपरहण की गई व चिल्लाती लड़की नहीं दिखाई दी। इस घटना से एक हफ्ते पहले 20 जनवरी को आरोपी परिवार ने पीड़िता की चाची के साथ कथित तौर पर मारपीट की थी, जब पीड़ित लड़की उससे मिलने आई थी। उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया और सिर मुंडाने की धमकी दी गई थी।

पीड़ित की बहन ने इस घटना के बाद पुलिस के पास दर्ज़ कराई गई शिकायत की प्रति भी मीडिया को दिखाई है। शिकायत में पीड़िता की 18 वर्षीय बहन ने कहा था कि कैसे आरोपी परिवार उन लोगों को व उनके यहां आने-जाने वाले किसी भी व्यक्ति को किस तरह परेशान कर रहा है और बलात्कार की धमकियां दे रहा है लेकिन पुलिस बहुमत मामलों की तरह इस मामले में भी अपराधियों के पक्ष में ही खड़ी हुई। इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज़ नहीं की गई। अगर एक सप्ताह पहले पुलिस उस शिकायत पर ईमानदारी से कार्यवाही करती, तो 26 जनवरी को हुई दरिंदगी शायद नहीं होती।

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा है कि घटना में शामिल महिलाओं ने नाबालिग युवकों को उसके साथ ‘अप्राकृतिक यौन संबंध (ओरल सेक्स)’ के लिए ‘उकसाया’ और ‘बाध्य’ किया। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने उनके निजी अंगों को उसके मुंह में घुसा दिया’ और साथ ही उसे “लाठियों से पीटा भी गया।”

यह मामला निजी दुश्मनी से जुड़ा हुआ है। आरोपी परिवार का लड़का जिसने नवम्बर 2021 में आत्महत्या कर ली थी। वो इस लड़की से प्यार करता था। लड़की की शादी हो गई थी। लड़की ने बहुत बार लड़के को समझाया भी कि अब उसकी शादी हो चुकी है व एक बच्चा भी हो चुका है।

पीड़ित की छोटी बहन के मुताबिक, “आत्महत्या करने वाला किशोर मेरी बहन को फोन करके परेशान करता रहता था। अगर पिता बीमार नहीं होते, तो वह घर भी नहीं आती। वह उससे कहती रही थी कि वह शादीशुदा है और उसका एक बच्चा भी है, लेकिन वह मानने को तैयार ही नहीं था।”

आरोपी परिवार नशे का कारोबार करता है व परिवार का मुखिया हिस्ट्रीशीटर भी है। इस घटना के बाद से मुल्क में जो चुप्पी है, वो चुप्पी साबित करती है कि मुल्क मुर्दा कौम में तब्दील हो गया है। इस दरिंदगी के बाद भी मुल्क में इंसाफ के लिए कोई हलचल ना होना, ज़िन्दा लोगों का मुर्दा होना साबित करता है।

वहीं दूसरी तरफ जो मुल्क में एक नया ट्रेंड चल निकला है, वो इस चुप्पी से भी ज़्यादा खतरनाक है। लोग किसी भी घटना में सबसे पहले पीड़ित की जाति की खोज करते हैं, अगर पीड़ित उनकी जाति से है, तो इंसाफ के लिए आवाज़ उठाएंगे। अगर पीड़ित उनकी जाति से सम्बंधित नहीं है, तो वो आरोपी की जाति की तलाश करेंगे। अगर आरोपी उनकी जाति का है, तो वो पीड़ित के खिलाफ व आरोपी के पक्ष में झूठ का पहाड़ खड़ा कर देंगे।

आपको याद होगा कठुआ में भाजपा ने बलात्कारियों के पक्ष में तिरंगा लेकर प्रदर्शन किया था। जम्मू के कठुआ में 8 साल की मुस्लिम बच्ची से मंदिर के पुजारी, उसके बेटे, भतीजे व पुलिस कर्मचारी द्वारा किया गया सामूहिक बलात्कार व उसके बाद उसकी हत्या जिसमें पुलिस अधिकारी भी शामिल थे।

उत्तर प्रदेश में भाजपा के उन्नाव से विधायक कुलदीप सेंगर जिसने लड़की से बलात्कार किया व उसके परिवार के चार लोगों की पुलिस संरक्षण में संदिग्ध मौत हुई। लड़की व उसके वकील का भी एक्सीडेंट करवाया गया।

उत्तर प्रदेश में ही भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री चिनमयानन्द पर जिस लड़की ने बलात्कार के आरोप लगाए, उत्तर प्रदेश की महान सरकार ने लड़की को ही झूठे केस में जेल में डाल दिया था। उतर प्रदेश के हाथरस का मामला हुआ, जहां लड़की के बलात्कार के बाद हुई लड़की की मौत, इस मामले में भी सरकार ने लड़की को बिना परिवार की मर्जी के रात में ही दाह संस्कार करवा दिया था। इन सभी घटनाओं में आरोपियों की जाति के या उसकी पार्टी भाजपा के लोग पीड़ित के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। पीड़ित व पीड़ित परिवार के खिलाफ झूठ का पहाड़ खड़ा किया गया व धरने प्रदर्शन किए गए।

किसान आंदोलन के दौरान बंगाल की लड़की से हुआ बलात्कार जिसमें तथाकथित किसान नेता अनूप चैनत व अनिल मलिक का नाम सामने आया था, लेकिन घटना उजागर होते ही टिकरी बॉर्डर पर दोनों नेताओं की जाति से सम्बंधित रखने वाली खाप पंचायतें इकठ्ठा होकर पंचायत करती हैं और पंचायत में दोनों नेताओं को निर्दोष का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है।

किसान मोर्चे के नेता भी जो बहुमत आरोपियों की जाति से ही संबंधित थे। वे इस मुद्दे पर चुप हो जाते हैं। ऐसे ही इस किसान आंदोलन के दौरान पैदा हुए हज़ारों यूट्यूबर पत्रकार भी, जो बहुमत आरोपियों की जाति से ही संबंधित थे, वो भी चुप रहे थे। कुछेक पत्रकार तो आरोपियों को बचाने के लिए पूरा जोर भी लगाते हैं। अनिल मलिक इस समय जेल में है, तो वही अनूप चैनत फरार चल रहा है लेकिन एक बलात्कार के आरोपी को बचाने के लिए लगातार सोशल मीडिया से लेकर कोर्ट तक अनेकों लोग अब भी काम कर रहे हैं।

दिल्ली की घटना में भी, घटना के 3 दिन बाद एक खास तबके को मालूम होता है कि लड़की का परिवार सिख है। उसके बाद से सिख धर्म से जुड़े लोग इस मुद्दे को 1984 दंगो से जोड़ते हुए साम्प्रदायिक रंग देने में लग गए, ताकि पंजाब चुनाव में वोटों की फसल की कटाई की जा सके।

पुलिस ने 26 जनवरी को 11 जनों, जिसमें आठ महिलाएं, एक पुरुष और दो नाबालिग भी शामिल हैं, के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत अपहरण, बंधक बनाने, शारीरिक और यौन उत्पीड़न और गैंगरेप जैसे आरोपों में एफआईआर दर्ज़ की है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि महिला ने 11 लोगों की पहचान की है, जिन्हें प्राथमिकी में नामजद किया गया है। इसमें 16 वर्षीय किशोर के माता-पिता समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

इस घटना को अंजाम देने में शुरू से आखिरी तक बहुमत में महिलाएं शामिल हैं। भीड़ में भी ताली बजाने, सीटी मारने में महिलाएं शामिल हैं। ऐसे बर्बर व मुर्दा समाज बनने में हमारे समाज को कोई एक-दो या तीन दिन नहीं लगे हैं। बहुमत इंसान की इंसानियत मरने व जॉम्बी बनने में कई बरस लगे हैं। एक खास विचारधारा इसके पीछे लंबे समय से काम कर रही है।

आपको शायद याद होगा, कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के एक राजनैतिक नेता का बयान की, मुस्लिम औरतों का कब्र से निकालकर बलात्कार करेंगे। आपने सख्त विरोध करने की बजाय चुप रहकर ऐसे नेता का समर्थन किया। JNU में इस्तेमाल कंडोम की आपको संख्या बताने वाले भाजपा नेता, आपने फिर एक बार चुप रहकर समर्थन किया।

बुल्ली, सुल्ली नामक एप्प पर मुस्लिम औरतों के जिस्म की बोली लगाने वाले या क्लब हाउस में मुस्लिम औरतों के प्राइवेट पार्ट या उनसे सेक्स करने को धार्मिक कार्य साबित करने वाले, अपनी मुस्लिम माँ से सेक्स करने की चाहत रखने वाला हिन्दू बाप का लड़का, इसकी चाहत सुन कर इस क्लब हाउस में लड़के व लड़कियां दोनों ही तो वाह-वाह कर रहे थे। देश में अलग-अलग जगह हो रही धर्म संसदों को जॉम्बी संसद कहा जाए, तो गलत नहीं होगा।

इन सब मामलों में आप चुप ही नहीं रहे, आप धीरे-धीरे चटकारे लेते हुए इन बलात्कारी मानसिकता वालों का समर्थन करते जा रहे थे। इसी कारण आप भी धीरे-धीरे खून पीने वाले जॉम्बी बन गए। आपको लगा कि बलात्कर या मॉब लिंचिंग सिर्फ मुस्लिमों की होगी लेकिन ये आप सबके दरवाज़े खट-खटाएगी ये आपको शायद मालूम नहीं

दिल्ली की इस घटना पर आप आज ताली बजा रहे थे। क्या मालूम कल आपके ऊपर भी कोई ताली बजा रहा होगा, क्योंकि आपने ही इस बर्बर समाज का निर्माण किया है।

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