शाहजहांपुर-फर्रुखाबाद स्टेट हाई वे पर मौजूद के.आर पेपर मिल ने नगर के समीप लोगों व ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों का जीना मुहाल कर रखा है। पेपर मिल द्वारा निकलने वाला धुंआ व मिल प्रबंधन द्वारा प्रभावित किए जा रहे अपशिष्ट पदार्थों के कारण मिल के आसपास की फसलें चौपट होने के कगार पर खड़ी हैं।
हालात यह है कि यह ज़हरीला धुंआ, जो कि अत्यंत ज़हरीली गैसों का मिश्रण है, वह इन दिनों धुंध व कोहरे का कारण बन जाता है। इसी रोड पर तमाम शैक्षणिक संस्थान संचालित हो रहे हैं
उन संस्थाओं में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के स्वास्थ्य पर किस तरह प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, यह बतलाने की ज़रूरत नहीं है।
क्या हैं वर्तमान हालात?
हालात यह है कि मिल से निकलने वाले धुएं से आसपास के क्षेत्र के लोग आए दिन एलर्जी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस व सांस के मरीज़ बनते जा रहे हैं। यदि आप इस हाई वे से गुज़र रहे हैं, तो आप आंख, मुंह व नाक भूलकर भी ना खोलियेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पेपर मिल से उड़ने वाले ज़हरीले कण कभी भी आपको अंधा बना सकते हैं।
मैं स्वयं इसका भुक्तभोगी हूं। एक रोज़ की घटना है, मैं अपने दैनिक कार्य हेतु वहां से गुज़र रहा था। धोखे से आंख खुली रह गई, मिल से उड़ने वाले ज़हरीले कण मेरी आंख में पड़ गए।
परिणाम यह हुआ कि दायीं आंख से तमाम इलाज़ के बाद भी पानी अक्सर बहता रहता है।
यह तो सिर्फ मेरे साथ हुआ है मगर ऐसे ना जाने कितने लोग हैं, जो इस दर्द से प्रभावित हैं। यदि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े जुटाए जाएं, तो हम पाएंगे कि वर्तमान समय में जन्म ले रहे बच्चे किसी-ना-किसी स्वास्थ्य रोग से प्रभावित अवश्य होंगे।
एक समय पूर्व यह मांग उठी भी थी कि पेपर मिल के आसपास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य परीक्षण कैंप लगाकर लोगों का स्वास्थ्य जांच किया जाना चाहिए। प्रशासन ने उसका संज्ञान भी लिया था मगर कुछ दिनों की खानापूर्ति के बाद वह पुनः ठंडे बस्ते में चला गया।
आखिर कब मिलेगी पीड़तों को राहत?
ग्रामीण इलाकों का वह व्यक्ति, जो एक वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से जुटा पाता है, वह अपने-अपने पीड़ित पाल्यों का इलाज कैसे करा पाएगा, यह उसके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। इलाज के अभाव में उसके बच्चे व बड़े बुज़ुर्ग मौत के मुंह में समाए जा रहे हैं। ज़रूरी है कि सरकार व प्रशासन इस दिशा में कठोर कदम उठाए। समय-समय पर पेपर मिल की मॉनिटरिंग विधिवत रूप से की जाए
सिर्फ कागज़ों पर ही नहीं, बल्कि मॉनिटरिंग में इस विषय पर विधिवत ध्यान दिया जाए कि क्या मिल प्रबंधन द्वारा न्यूनतम प्रदूषण के मानकों का पालन पूरी तरह से किया जा रहा है अथवा नहीं?
ध्यान इस ओर भी दिया जाए कि क्या मिल प्रबंधन की ओर से समय-समय पर मिल कार्मिकों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा है या नहीं। यह भी ध्यान दिया जाए कि क्या गाँव-गाँव जाकर स्वास्थ्य परीक्षण किए जा रहे हैं अथवा नहीं? यह ज़रूरी कदम समय रहते यदि उठाए जाएंगे तो यह निश्चित है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को काफी हद तक तकलीफ से निजात मिलेगी।