स्किल, टेक्नोलॉजी, इक्विपमेंट ये तीन बुनियादी चीज़ें हैं जिनके इर्द-गिर्द मोबाइल जर्नलिज्म का पहिया घूमता है
हम जिस युग में जी रहे हैं आप उस को आधुनिक युग के नाम से तो जानते ही हैं और आप उस का एक और नाम इधर कुछ वर्षों से सुन रहे होंगे कि इसे डिजिटल दौर भी कहा जा रहा है। डिजिटल दौर ने हमें जो सब से चमत्कारी चीज़ें दी हैं, उनमें से सबसे अहम स्मार्ट फोन है।
स्मार्ट फोन बहुत तेज़ी से हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। मोबाइल पर बिजली की रफ्तार से आने वाली सूचनाओं ने पूरी दुनिया में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के मैदान में एक क्रांति का आगाज़ कर दिया है। अब यह हर व्यक्ति के लिए बहुत आसान हो गया है कि वह जिस इन्फॉर्मेशन (सूचना) को चाहे तो अपने पास सुरक्षित कर ले या उसे फैलाए और उस इन्फॉर्मेशन (सूचना) का उपयोग करे।
यहीं से मोबाइल जर्नलिज्म (MoJo) की शुरूआत होती है
मोबाइल जर्नलिज्म देश-विदेश में घटने वाली सूचनाओं को बिजली की गति से लोगों तक पहुंचाने का एक ऐसा तेज़ तरीन मीडियम है, जो लगभग एकदम निशुल्क है।
इसे उपयोग करने वाले का इस पर अपना पूरा कंट्रोल होता है, इसीलिए इसे सबसे ज़्यादा डेमोक्रेटिक भी कहा जाता है और एक इसकी खास बात यह है कि यह अपने रीडर या देखने वालों से तत्काल जुड़ जाता है, जिससे कोई भी आपकी किसी खबर या वीडियो को देखते ही अपना कमेंट आप तक पहुंचा सकता है। मोबाइल जर्नलिज्म करने वाले पत्रकार अब मोबाइल जर्नलिस्ट कहलाने लगे हैं।
मोबाइल जर्नलिज्म का इतिहास
सबसे पहले अमेरिका के फ्लोरिडा में 2005 में गनेट न्यूज़पेपर में मोबाइल जर्नलिज्म ने अपनी आंखें खोली और यहां के रिपोर्टरों ने मोबाइल से न्यूज़ जमा करना शुरू किया। भारत में एनडी टीवी ने बाकायदा मोबाइल जर्नलिज्म का एलान किया और बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से उनके रिपोर्टर इस काम को अंजाम दे रहे हैं।
मोबाइल जर्नलिज्म के फायदे
यह अभी एक बड़ी हद तक आज़ाद है, आसान और सुरक्षित है। ऐसे दुर्गम स्थानों तक इसकी पहुंच होती है, जहां तक पहुंच पाना आम तौर पर मुश्किल होता है। अक्सर ऐसा होता है, जहां बड़े-बड़े कैमरे की पहुंच मुमकिन नहीं होती, वहां से मोबाइल जर्नलिस्ट खबरें निकाल लाते हैं।
बड़े कैमरे की जहां बहुत सी खूबियां हैं, वहीं एक खामी भी यह है कि उसे चलाने के लिए अलग से एक कैमरा परसन चाहिए, जो फुटेज रिकार्ड करे लेकिन मोबाइल से वीडियो रिकार्ड करना कैमरे की तुलना में काफी आसान होता है।
खासतौर से जब किसी स्टोरी से सम्बन्धित ज़ल्दी में किसी की बाईट लेनी हो, तो ऐसे मौके पर मोबाइल से आसानी से रिकॉर्डिंग की जा सकती है जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जर्नलिज्म की घाटी जोखिम से भरी हुई होती है।
हर लम्हा आपको चैलेंजों से सामना करना होता है। ऐसे अवसरों पर आपकी सुरक्षा का भी खतरा काफी बढ़ जाता है, जब आप कोई आपदा आने के बाद मौके पर रिपोर्टिंग के लिए पहुंचते हैं, तो वहां खुद को संभालना और अपने कैमरे और दीगर सामान संभालना एक बहुत ही मुश्किल कार्य होता है। कुछ स्थानों पर खुल्लम-खुल्ला रिपोर्टिंग में दुशवारी होती है, ऐसे में मोबाइल से बड़ी आसानी से वीडियो रिकॉर्ड किया जा सकता है।
मोबाइल जर्नलिस्ट को किन-किन बातों को ध्यान रखना चाहिए?
जो खूबियां एक आम जर्नलिस्ट में होनी चाहिए, वह सभी खूबियां मोबाइल जर्नलिस्ट की भी अहम ज़रूरतें होती हैं बस मोबाइल जर्नलिस्ट को ज़रा ज़्यादा चौकन्ना रहना होता है और उसे हर समय मैदान में निकलने के लिए तैयार रहना होता है।
रिपोर्टिंग बैग में अपने साज़-ओ-सामान पूरी तरह तैयार रखें, हमेशा अपना मोबाइल रिचार्ज रखें, आप अपने मोबाइल की मेमोरी खाली रखें, अलग से एक मेमोरी कार्ड ज़रूर रखें, मज़बूत नेटवर्क का इंटरनेट आपकी बुनियादी ज़रूरत है।
इसके अलावा गनमाइक, कालर माइक, मोबाइल कनेक्टर के साथ ट्राईपॉड, LED लाइट, एक अलग से ऑडियो रिकॉर्डर अगर मुमकिन हो, तो साथ रखें यानि हर वक्त इस तरह तैयार रहें कि सूचना मिलते ही आप मैदान में निकल जाएं। इसके अलावा एक हैंडी ट्राईपॉड या सेल्फी स्टिक अपने साथ ज़रूर रखें।
आप मोबाइल जर्नलिस्ट हैं?
आपके लिए ये जानना बहुत ज़रूरी है कि आप अपनी स्टोरी कैसे बताएंगे? जो कुछ आप रिकॉर्डिंग की शक्ल में फोटो या वीडियो फुटेज हासिल करते हैं। वह एक कच्चा माल होता है, उसी से बड़ी खबर बनाने का अहम काम होता है, मुमकिन है कि मैदान से आपको कोई अच्छा वीडियो मिल गया या आप किसी अहम शख्स का इंटरव्यू लेकर आए हैं लेकिन आप उस की महत्ता को समझ ही ना सके कि किस तरह उसे अपने दर्शकों तक पहुंचाना है, तो आपकी पूरी मेहनत बेकार गई।
इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि आप पहले अपनी स्टोरी को अच्छे से समझें, उसके बगैर आपकी रिपोर्ट असरदार नहीं हो सकती बल्कि कभी-कभी आपके प्रति दर्शक नकारात्मक इमेज ले लेते हैं।
मोबाइल से वीडियो रिकॉर्डिंग
मोबाइल जर्नलिज्म के लिए आजकल बाज़ार में मौजूद हर वो फोन जो 10 से 15 हज़ार की रेंज में मिल रहा है, उन सभी के कैमरे में मोबाइल जर्नलिज्म के लिए ज़रूरी फीचर्स मौजूद होते हैं जिनसे आप एक स्टोरी का एक अच्छा वीडियो रिकॉर्ड कर सकते हैं।
इसके अलावा कई ऐसे वीडियो रिकॉर्डिंग एप्प भी Google Play पर उपलब्ध हैं जिनको आप अपने मोबाइल में इंस्टाल करके आप अच्छी वीडियो रिकॉर्ड कर सकते हैं। इस वक्त मोबाइल जर्नलिज्म करने वाले MoJo Journalists सबसे ज़्यादा Open Camera App का उपयोग करते हैं।
ओपन कैमरा एप्प की प्रतीकात्मक तस्वीर।
इस कैमरे की खूबी यह है कि कैमरा वीडियो या फोटो लेते समय आब्जेक्ट पर रोशनी और अपरचर बहुत बेहतर ढंग से एडजस्ट कर लेता है, इस से आपको यह फायदा होता है कि मैदान में रिपोर्टिंग करते समय कम रोशनी में ली गई वीडियो या फोटो का रिज़ल्ट बेहतर आता है।
वीडियो रिकॉर्डिंग करते वक्त
अगर आप BOYA या किसी और कंपनी का कोई एक्सटर्नल माइक यूज़ करते हैं, तो इस की सेटिंग में जाकर ऑडियो सेटिंग में External Mic if Present’ पर क्लिक कर दें, तो इससे आपकी वीडियो की आवाज़ बेहतर हो जाती है, क्योंकि किसी भी वीडियो के लिए अच्छी साफ-सुथरी आवाज़ की बड़ी अहम भूमिका होती है। इस के अलावा FilMic Pro रिकॉर्डिंग एप्प भी काफी अच्छा माना जाता है जिसमें ऑडियो कंट्रोल, वीडियो फ्रेम रैज़ोलीयूशन, शटर स्पीड, जूम की अच्छी सुविधा है।
वीडियो रिकॉर्डिंग करते समय ज़रूरी चीज़ें
आपको यह ख्याल रहे कि रिकॉर्डिंग करते समय अपने मोबाइल को एरोप्लेन मोड में कर लें इस से रिकॉर्डिंग के बीच कॉल आने से आपकी वीडियो रिकॉर्डिंग में कोई असुविधा नहीं होगी और आप आसानी से अपना काम कर सकेंगे। एक और अहम बात कि आप जहां रिकॉर्डिंग कर रहे हैं, तो पहले वहां रोशनी का अच्छी तरह से जायज़ा लें और जायज़ा लेने के बाद अपनी जगह बना लें कि कहां से आपको वीडियो के लिए एक बेहतर एंगल मिल सकता है।
एक अच्छी वीडियो शूट करते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बिंदु
एक अच्छी तरह रिकॉर्ड की गई वीडियो में आवाज़ बेहतर हो, रिकॉर्डिंग करते समय उस का फ्रेम और एंगल अच्छा हो, वीडियो रिकॉर्ड करते समय उचित रोशनी का ख्याल रखा गया हो, वीडियो में कोई हलचल ना हो, आस-पास की दूसरी आवाज़ें कंट्रोल की हद तक ही हों।
आपको यह ख्याल रहे कि अच्छे विजुअल्स, शॉट्स और बेहतर स्क्रिप्ट आपके वीडियो में जान डाल देते हैं। आप अपने साज़ो-सामान को अच्छी तरह चलाना जान लें और एक मोबाइल जर्नलिस्ट को चाहिए कि वह अपने मोबाइल और दीगर साज़ो-सामान को अच्छी तरह जान ले, उसे अपने फोन के ज़रूरी एप्लीकेशन को चलाने में महारत हो, आपको ये जानना बहुत ज़रूरी है कि जब किसी खबर को रिकॉर्ड करते समय आप पर बेहद दवाब होगा, तो उस समय आप अपने मोबाइल को कितनी तेज़ी से और कैसे यूज़ करेंगे?
अपना फोन हमेशा पूरा चार्ज रखें
कहीं ऐसा ना हो कि जब आप ने किसी अहम स्टोरी के लिए अपना फोन निकाला और आपकी बैट्री डाउन हुई पड़ी है, इसलिए ज़्यादा मुनासिब होगा कि आप हमेशा अपने साथ एक अच्छा पॉवर बैंक अपने साथ रखें, जिसे निकलने से पहले चार्ज कर लें।
आपकी डिक्शनरी में डिलीट का ऑप्शन नहीं होना चाहिए
आपको नहीं मालूम कि वीडियो एडिटिंग के मामले में कब कहां क्या मसला पैदा हो जाए और वीडियो की फाइल करप्ट हो जाए इसलिए वीडियो की असल कापी, जो आपने रिकॉर्ड की है उसे हरगिज़ डिलीट ना करें बल्कि उसे ड्राप बॉक्स या दूसरी ड्राइव में सुरक्षित रखें, जब तक वीडियो चैनल पर ब्रॉडकास्ट ना हो जाए उस समय तक तो हर हाल में फाइल को संभाल कर रखें।
मोबाइल जर्नलिज्म में एक जर्नलिस्ट ‘वन मैन आर्मी’ होता है
यहां बहुत कम समय और कम संसाधन में एक अच्छी स्टोरी लानी होती है। अक्सर आप के पास ऐसे मौके बहुत कम होते हैं कि आप रिपोर्ट लेने के बाद अपने ऑफिस या घर जाएं और वहां अपने कंप्यूटर पर अपनी वीडियो स्टोरी एडिट करें, इसलिए मोबाइल जर्नलिस्ट के लिए यह बेहद अहम है कि वह मोबाइल पर एडिटिंग एप्प से एडिट करके ही अपनी स्टोरी को अपलोड कर दें।
मोबाइल फोन एडिटिंग सॉफ्टवेयर का यूज़ कैसे करें?
आपने रिपोर्टिंग के मैदान में जो वीडियो रिकॉर्ड की है। कभी-कभी उसे वहीं एडिटिंग करना और वहीं से ब्रॉडकास्ट करना पड़ सकता है। मोबाइल जर्नलिज्म और ट्रेडिशनल जर्नलिज्म में यही बुनियादी फर्क है कि यहां कम समय में तेज़ी के साथ नतीजे देने होते हैं इसलिए ज़्यादा बेहतर है कि आप मोबाइल एडिटिंग के किसी सॉफ्टवेयर को अच्छी तरह सीख लें, इस से आप में अच्छा कॉन्फिडेंस पैदा हो जाएगा।
एक अच्छा मोबाइल जर्नलिस्ट वही माना जाता है, जो मोबाइल के सभी फीचर्स को अच्छी तरह से चलाने की महारत रखता हो और जिसमें यह काबलियत हो कि वह एक अच्छी स्टोरी का आइडिया सोचे, मैदान में निकल पड़े स्टोरी रिकॉर्ड करे, वहीं एडिट करे और वहीं से चैनल पर अपलोड कर दे।
मोबाइल जर्नलिज्म की विभिन्न समस्याओं के हल के लिए गूगल प्ले पर ऐसे कई मोबाइल एडिटिंग एप्प मौजूद हैं, जिन्हें आप अपने मोबाइल पर इंस्टाल करके वीडियो एडिटिंग कर सकते हैं । Power Director यह बहुत अच्छा एप्प है, इसे खरीदकर आप अपने वीडियो की अच्छी एडिटिंग कर सकते हैं। इसके अलावा Kine Master वीडियो एडिटिंग का अच्छा एप्प है। इस से भी बहुत अच्छी एडिटिंग की जाती है । एक अच्छी वीडियो के लिए तमाम फ़ीचर इस एप्प में उपलब्ध हैं।
पॉवर पॉइंट एप्प की प्रतीकात्मक तस्वीर।
हमने जाना कि एक मोबाइल जर्नलिस्ट को अपनी खबर के लिए सबसे पहले अच्छी प्लानिंग करनी ज़रूरी है फिर अपनी स्टोरी के लिए रिसर्च करें, पता लगाए कि स्टोरी के लिए कौन-कौन सी चीज़ें ज़रूरी हो सकती हैं, स्टोरी से सम्बंधित तमाम मालूमात जांच परख कर लें फिर वीडियो शूटिंग के लिए निकलें और शूटिंग के बाद उसे प्रोफेशनली एडिट करें।
अपने आस पास के क्षेत्र में जनसम्पर्क मज़बूत बनाना
आपका जितना अच्छा जनसंपर्क होगा आपको उतनी ही अच्छी स्टोरी मिलेगी। एक जर्नलिस्ट के लिए यह बहुत अहम कि उसका जनसंपर्क मज़बूत हो जितना अच्छा लोगों से उसका सम्बन्ध होगा उसे उतनी हीं अहम ख़बरें मिलने का उतना ही ज़्यादा मौके मिलेंगे।
आपके यही सम्बन्ध आपको ब्रेकिंग स्टोरी दिलाएंगे, समाज में हर तरह के लोगों से संपर्क रखें, चलते-फिरते जहां जितना मौक़ा हो ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों से बात करें और उनके हाल जानने में दिलचस्पी रखें, हमेशा अलर्ट रहें, आप जहां खड़े हैं स्टोरी आपके इर्दगिर्द ही कहीं है उसे देखने की कोशिश करें। अपने शहर या कस्बे के अहम स्थानों पर नौजवानों से संपर्क बनाएं खबर तक पहुंचने में यह लोग आपके बहुत काम आएंगे।
स्टोरी तैयार करने के बाद अपनी स्टोरी को बार-बार चेक करें
जर्नलिस्ट होने के नाते आप पर एक बड़ी ज़िम्मेदारी होती है कि कोई भी स्टोरी तैयार करने के बाद पब्लिश या ब्रॉडकास्ट करने से पहले स्टोरी के हर हिस्से को ध्यान से एक से अधिक बार चेक ज़रूर कर लें और आप देखें कि कहीं नाम, तारीख, गिनती, पता और कोई डेटा गलत तो नहीं हैं। स्टोरी को पब्लिश या ब्रॉडकास्ट करने से पहले एक बार गौर से नज़र डालें फिर उसे जनता की अदालत में पेश करें।
मोबाइल जर्नलिज्म की चंद महत्वपूर्ण बुनियादी बातें
अगर आप मुझसे कहें कि मोबाइल जर्नलिज्म की चंद बुनियादी बातें क्या हैं? तो मैं कहूंगा कि एक मोबाइल जर्नलिस्ट में जर्नलिज्म की स्किल और दिलचस्पी होना पहली शर्त है, दूसरा नंबर टेक्नोलॉजी का आता है मोबाइल जर्नलिस्ट को टेक्नोलॉजी की अच्छी जानकारी होनी चाहिए और तीसरी बात मोबाइल जर्नलिस्ट होने के लाज़िमी शर्त है कि आपके पास ज़रूरी साजो-सामान हों और आपको उनका बेहतर उपयोग करने आता हो यानि स्किल, टेक्नोलॉजी, इक्विपमेंट ये तीन बुनियादी चीज़ें हैं जिनके इर्द-गिर्द मोबाइल जर्नलिज्म का पहिया घूमता है।
नोट : लेखक न्यूज़ पोर्टल एशिया टाईम्स के चीफ एडिटर हैं।