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निजता के अधिकार को ‘कानूनी तौर पर मान्यता’ देने की ज़रूरत क्यों है?

निजता के अधिकार को 'कानूनी तौर पर मान्यता' देने की ज़रूरत क्यों है?

इतिहास को बनते हुए देखना अपने आप में एक सौभाग्य है और फिर इतिहास रोज़ बनते भी तो नहीं, किन्तु निजता के मामले में उच्चतम न्यायालय की नौ जजों की संविधान पीठ का निर्णय आज़ाद भारत में एक ऐसी ऐतिहासिक घटना है, जो आने वाले दशकों में लोकतंत्र को मज़बूती देने का कार्य करती रहेगी। न्यायालय ने कहा है कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, जिसे अनुच्छेद 21 के अंतर्गत सरंक्षण प्राप्त है।

क्या है निजता का अधिकार?

‘पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ’ (वर्ष 2017) मामले में निजता के अधिकार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मौलिक अधिकार घोषित किया गया था।

‘निजता का अधिकार’ संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन का अधिकार एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के आंतरिक हिस्से के रूप में और संविधान के भाग III द्वारा गारंटीकृत स्वतंत्रता के एक हिस्से के रूप में संरक्षित है। 

निजता के अधिकार की ज़रूरत क्यों?

निजता का अधिकार,वह अधिकार है जो किसी व्यक्ति की स्वायतत्ता और गरिमा की रक्षा के लिए बहुत ज़रूरी है। वास्तव में यह कई अन्य महत्वपूर्ण अधिकारों की आधारशिला है।

दरअसल, निजता का अधिकार हमारे लिए एक आवरण की तरह है, जो हमारे जीवन में होने वाले अनावश्यक और अनुचित हस्तक्षेप से हमें बचाता है।

यह हमें अवगत कराता है कि हमारी सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक हैसियत क्या है और हम स्वयं को दुनिया से किस हद तक बांटना चाहते हैं। वह निजता ही है, जो हमें यह निर्णित करने का अधिकार देती है कि हमारे शरीर पर किसका अधिकार है?

आधुनिक समाज में निजता का महत्व और भी बढ़ जाता है। फ्रांस की क्रांति के बाद समूची दुनिया से निरंकुश राजतंत्र की विदाई शुरू हो गई और समानता, मानवता और आधुनिकता के सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित लोकतंत्र ने पैर पसारना शुरू कर दिया।

अब राज्य लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाने लगे, तो यह प्रश्न प्रासंगिक हो उठा है कि जिस गरिमा के भाव के साथ जीने का आनंद लोकतंत्र के माध्यम से मिला, उसे निजता के हनन द्वारा छीना क्यों जा रहा है?

तकनीक और अधिकारों के बीच हमेशा से टकराव होते आया है और 21वीं शताब्दी में तो तकनीकी विकास अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। ऐसे में निजता को राज्य की नीतियों और तकनीकी उन्नयन की दोहरी मार झेलनी पड़ी।

आज हम सभी स्मार्टफोन्स का प्रयोग करते हैं, चाहे एप्पल का आईओएस हो या गूगल का एंड्राइड या फिर कोई अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम, जब हम कोई भी एप्प डाउनलोड करते हैं, तो यह हमारे फोन के कॉन्टेक्ट, गैलरी और स्टोरेज़ आदि के प्रयोग की इज़ाज़त मांगता है और इसके बाद ही वह एप्प डाउनलोड किया जा सकता है।

ऐसे में यह खतरा है कि यदि किसी गैर-अधिकृत व्यक्ति ने उस एप के डाटाबेस में सेंध लगा दी, तो उपयोगकर्ताओं की निजता खतरे में पड़ सकती है।

तकनीक के माध्यम से निजता में दखल, राज्य की दखलंदाज़ी से कम गंभीर है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि तकनीक का उपयोग करना हमारी इच्छा पर निर्भर है, किन्तु राज्य प्रायः निजता के उल्लंघन में लोगों की इच्छा की परवाह नहीं करता।

नागरिकों के डेटा को कैसे बचाएगी सरकार?

गौरतलब है कि देश में 100 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन और 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं। कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया, जिसमें 10 सरकारी खुफिया एजेंसियों को किसी के भी कंप्यूटर डेटा पर निगरानी रखने यानि उसे खंगालने का अधिकार दिया गया था।

केंद्र सरकार का कहना है कि यह कोई नया आदेश नहीं बल्कि 2009 के कानून में इसका पहले से ही प्रावधान है। अधिनियम की धारा 69 की उपधारा (1) के तहत अगर एजेंसियों को ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति या संस्था देशविरोधी गतिविधियों में शामिल है, तो वे उनके कंप्यूटरों में मौज़ूद डेटा को खंगाल सकती हैं और उन पर कार्रवाई कर सकती हैं।

कितने देशों में इस तरह के कानून पहले से हैं 

1. फ्रांस 

फ्रांस में 1978 में यह अधिनियम (निजता का अधिकार) लाया गया था। इसके बाद इसमें वर्ष 2008 में संशोधन किया गया। डाटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत यहां पर निजता का अधिकार काफी अहम माना जाता है। इसके तहत किसी व्यक्ति की निजी जानकारी को एकत्रित कराने का मकसद उस व्यक्ति की पहचान कराना है।

2. जर्मनी 

जर्मनी में निजता के अधिकार को लेकर प्रावधान एकदम अलग हैं। यहां प्राइवेसी के तौर पर किसी व्यक्ति के डाटा कलेक्शन करने पर पूरी तरह से पाबंदी है। यदि फिर भी किसी को बहुत ज़रूरी जानकारी चाहिए, तो वह कानूनी अधिकार लेकर जानकारी हासिल कर सकता है।

3. जापान  

निजता को लेकर जापान बहुत ज़्यादा सजग है। यहां किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी की सुरक्षा के लिए व्यक्तिगत संरक्षण नियम लागू किया गया है। जापान में केवल वही जानकारी ली जा सकती है, जो सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराई जा सकती है।

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