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क्या ‘डिजिटल इंडिया योजना’ से देश में वाकई डिजिटल क्रांति आई है?

क्या 'डिजिटल इंडिया योजना' से देश में वाकई डिजिटल क्रांति आई है?

भारत सरकार ने देश को डिजिटल इंडिया बनाने की मुहिम कई साल पहले ही शुरू कर दी थी, जिससे भारत के नागरिकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए सभी सरकारी व अर्ध सरकारी विभागों ने ऑनलाइन काम किया। अब सवाल यह है कि क्या वाकई देश में काम हुआ है? क्या वाकई जनता को इस मुहिम कुछ फायदा मिल पा रहा है? क्या भारत सरकार की यह योजना देश में कुछ रंग लाई है? चलिए आज इसी पर ज़रा विचार विमर्श कर लेते हैं।

डिजिटल इंडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से सरकार की सेवाओं के वितरण को सुनिश्चित करने के लिए 1 जुलाई, 2015 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक अभियान था।

सरकार के अनुसार,  इस पहल की मुख्य दृष्टि को तीन व्यापक पहलुओं में विभाजित किया गया है 1 . नागरिकों के लिए एक मुख्य उपयोगिता के रूप में डिजिटल बुनियादी ढांचा 2 . मांग पर शासन व सेवाएं और नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण।

इस पहल में, ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर डिजिटल बुनियादी ढांचे को विकसित करने और मौजूदा डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की योजना शामिल है। इसकी स्थापना के बाद से सरकार लगातार डिजिटल इंडिया पहल को बढ़ा रही है, उन्होंने कार्यक्रम के लिए परिव्यय को 23% बढ़ाकर वर्ष 2020-21 के लिए 3, 958 करोड़ रुपये कर दिया है।

यह वृद्धि हमारे इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण उद्योग को बढ़ाने, अनुसंधान और विकास को सुविधाजनक बनाने और Cyber सुरक्षा और डेटा सुरक्षा ढांचे को मज़बूत करने में योगदान करने की संभावना है।

डिजिटल इंडिया की उपलब्धि

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने लगातार ऊपर की ओर विकास प्रक्षेप वक्र देखा है, कई मील के पत्थर हासिल किए हैं और प्रमुख मील के पत्थर और प्रमुख पहलों के साथ बिंदीदार हैं। इन उपलब्धियों में व्यापक क्षेत्र शामिल हैं जैसे कि ब्रॉडबैंड राजमार्गों का विकास, मोबाइल कनेक्टिविटी तक सार्वभौमिक पहुंच, सार्वजनिक इंटरनेट एक्सेस, ई-गवर्नेंस आदि शामिल हैं।

अगर केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया के अंतर्गत लांच की गईं अन्य महत्पूर्ण सेवाओं की बात करें, तो आधार, स्मार्ट सिटी मिशन, GSTin, भीम यूपीआई, रुपे, जीईएम (E Marketplace), डिजिलॉकर, ई धरती जैसी कई प्रमुख योजनाएं और परियोजनाएं डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तत्वावधान में आती हैं।

इतना ही नहीं राज्य सरकारें भी अपनी कई चीज़ों को डिजिटल कर चुकी हैं। कई राज्यों ने तो अपने प्रत्येक ज़िलों की वेबसाइट तक बना दी हैं, जहां लोगों को अपने ज़िले से संबधित काफी जानकारी और मदद मिल सकती है। बिजली का बिल भरना हो या नगर निगम के पानी का बिल अब किसी को भी लाइन में लगने की ज़रूरत नहीं होती है अब सब कुछ ऑनलाइन ही हो जाता है।

सिर्फ इतना ही नहीं युवाओं के लिए रोज़गार पंजीयन से लेकर Apna Khata पर किए गए ज़मीन के डिजिटलीकरण तक सब कुछ अब वेबसाइट व एप्प की सहायता से हो रहे हैं। इससे ना सिर्फ व्यक्ति का समय बच रहा है बल्कि पहले जो छोटे-छोटे काम करने के लिए घूसखोरी चलती थी, वह भी बंद हो गई है, पर क्या इतना काफी है?

जवाब है जी नहीं। अभी हमें सिर्फ कुछ ही मुकाम हासिल हुए हैं, जब कि एक संपन्न देश की श्रेणी में आने के लिए भारत को अभी भी काफी कुछ करना होगा। डिजिटलीकरण में भी अभी काफी काम किया जाना है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि डिजिटल इंडिया पहल अपने पहले पांच वर्षों में एक बड़ी सफलता रही है।

हालांकि, यह ज़रूरी है कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की क्षमता का सही मायने में एहसास करने के लिए डिजिटल साक्षरता और पहुंच को बढ़ाने जैसे कुछ मुख्य घटकों पर त्वरित ध्यान केंद्रित किया जाए।

हालांकि, सरकार ने अत्याधुनिक प्रणालियों और योजनाओं को विकसित किया है, परन्तु यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ये प्रणालियां बोर्ड भर में अंतःक्रियाशीलता के लिए तैयार हैं। सरकार को ई-कॉमर्स, डेटा प्रोसेसिंग और टेक स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में फोकस क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए। यह स्वीकार करना भी महत्वपूर्ण है कि डिजिटल इंडिया के तहत योजनाएं और पहल शून्य में काम नहीं करती हैं, इस दृष्टि को साकार करने के लिए मज़बूत विधायी और प्रशासनिक ढांचे का निर्माण करना महत्वपूर्ण है।

भारत को अपने साइबर सुरक्षा ढांचे को मज़बूत करने और नागरिकों की सूचनात्मक गोपनीयता को तत्काल आधार पर बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

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