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“कॉमेडी के नाम पर समाज में गालियां और अभद्रता परोसी जा रही हैं”

"कॉमेडी के नाम पर समाज में गालियां, अभद्रता परोसी जा रही है"

किसी भी धर्म की अखंडता और उसके अस्तित्व पर उंगली उठाना या फिर मज़ाक करना एक अपराध की श्रेणी में आता है। पूरे विश्व में 300 धर्म हैं, जिसमें सबकी मान्यताएं अलग-अलग हैं। सभी धर्मों की प्रतिष्ठा का ध्यान रखना और उनके अनुयायियों का मान रखना हम सब का परम कर्तव्य होना चाहिए। किसी का धर्म कभी भी किसी दूसरे धर्म की निंदा करना नहीं सिखाता है।

हम बात करते हैं वर्ष 2021 की और आज के ज़माने में गाली गलौज, अपशब्दों के जाल, गन्दी सियासत की। ये सभी नकारात्मक पहलू वर्तमान में सोशल मीडिया की आत्मा बन गए हैं। वहीं सबसे ज़्यादा पैसे कमाने वाले  यूट्यूबर सो कॉल्ड केरी मिनाती उर्फ अजय नागर, जो फरीदाबाद हरियाणा से हैं।

इनकी हर वीडियो अक्सर गालियों से ही शुरू होती है। वहीं देश का यूथ इनको इतना अपने सिर पर बैठा रहा है कि जिसकी कोई हद नहीं है। वहीं इस लाइन में भुवन बाम भी हैं, इनके हास्य व्यंग्य कभी कभी तो सार्थक लगते हैं मगर फिर कहीं-ना-कहीं ये भी नैतिकता को भूल कर द्विअर्थी रोचकता से रूबरू करवाने लगते हैं।

फिर इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए हिंदुस्तानी भाऊ, हर्ष बेनीवाल आदि यूट्यूबर भी अपनी वीडियो में गालियों को इस तरह से परोसते हैं, जैसे वो कोई नैतिकता की बात कर रहे हों।

जिस गंदगी और गालियों को आप आज कॉमेडी का तड़का कह रहे हैं। वास्तव में वो कॉमेडी नहीं बल्कि गालियों का तड़का है। अपशब्दों का तड़का है। वर्तमान में हमारे समाज के सामाजिक ढांचे में अनैतिकता ने इतना ज़ोर पकड़ लिया कि आज कल की युवा जनरेशन के साथ-साथ कई विद्वान भी इनके भक्त बन कर बैठे हुए हैं।

जब बात भद्देपन के मज़ाक और गालियों पर आ ही गई है तो आज कल सोशल मीडिया पर छाए हुए गालियों और भद्दे मज़ाक के उदाहरण मुनव्वर फारुकी को कौन भूल सकता है? मुनव्वर से मेरा एक ही सवाल है और वो ये है कि क्या आप ने मर्यादा और नैतिकता का पाठ बिना पढ़े ही फाड़ दिया?

कॉमेडी के नाम पर आम जनमानस की धार्मिक भावनाओं पर चोट

आपकी सोच और आपकी परवरिश कहां गई? फिलहाल तो आपके 12 शोज के कैंसिल होने का ढिंढोरा हर ओर खूब ज़ोरो शोरों से पीटा जा रहा है। अभिव्यक्ति की आज़ादी का आपने क्या हाल किया?

आप ये मत भूलिए कि आप एक विविध संस्कृतियों वाले देश में रहते हैं, जहां राम के साथ-साथ रहीम को भी पूजा जाता है और जहां कुरान के साथ-साथ रामायण का भी गान किया जाता है। 

ईद और दीवाली को कौन ही भूल सकता है। मगर कहीं-ना-कहीं आपने अपने गन्दे और ओझल होते हुए व्यंग्य को गन्दी कीचड़ में धकेल दिया। व्यक्तिगत रूप से मेरे विचारों में आपके विचार और आपके टॉक्सिक होते कॉमेडी शो मेरे लिए शून्य से ज़्यादा कुछ नहीं हैं।

आप भगवान रूपी भगवान माने जाने वाले श्री राम जी और उनकी धर्म पत्नी माता सीता को लेकर ऐसे भद्दे और गन्दे मज़ाक से खुद को स्पेशल कहलाना चाहते हैं? कड़े शब्दों में आपकी निंदा होना स्वाभाविक है।

आपके कंटेंट में कमी है और किसी भी इंसान को धार्मिक तौर पर आहत करना शायद ये किसी भी धर्म की किताब में नहीं लिखा है। यदि आप नास्तिक भी हैं, तब भी आपको दूसरे धर्म के लोगों के धार्मिक विचारों का सम्मान करना चाहिए।

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