इक आस बंधी जो टूट गयी
रखते रखते भी चिटक गयी,
मैं सिमट गया इन ख्वाबों में
कुछ भी न रखा इन बातों में।
तुम आगे बढ़ो बढ़ते ही रहो
मत सोचो कुछ चलते ही रहो,
राह में मुश्किल का आना
अंजाम से फिर मत घबराना;
एक दिन सफल हो जाओगे
दुनिया को तुम भी दिखाओगे,
उस पल का मन मे आस लिये
साहस का दृढ़ विश्वास लिए;
जीवन मे बढ़ते ही जाना
राहों में चलते ही जाना।।