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देश में बढ़ती भुखमरी की भयावह परिस्थितियों के लिए ज़िम्मेदार कौन?

देश में बढ़ती भुखमरी की भयावह परिस्थितियों के लिए ज़िम्मेदार कौन?

वैश्विक भुखमरी की समीक्षा करने वाली रिपोर्ट ग्लोबल हंगर इंडेक्स की ताजा रैंकिंग में भारत को 116 देशों की सूची में 101 वां  स्थान दिया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 के कारण वैश्विक भुखमरी की स्थिति में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस सूचकांक में, 2020 में भारत 94 वें पायदान पर था।

अफ्रीका के कई देश बेहद भुखमरी के हालातों से गुज़र रहे हैं। इस सूचकांक के मुताबिक, दुनिया भर में 80 करोड़ लोग भूख के संकट से जूझ रहे हैं। वहीं चार करोड़ लोग तो ऐसे हैं, जो भुखमरी की कगार पर हैं। देश के मौजूदा हालातों में वैश्विक स्तर पर इतनी बड़ी आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा का इंतजाम करना एक बड़ी कठिन चुनौती है। 

किन कारणों से गहरा रहा है भुखमरी का संकट?

दुनिया की आबादी 7.9 अरब से ज़्यादा है और यह आंकड़ा 2050 तक 10 अरब से ज़्यादा पहुंच जाएगा। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त खाद्य पदार्थों का इंतजाम करने के लिए बहुत मात्रा में संसाधनों की ज़रूरत पड़ेगी।

वैश्विक भुखमरी के लिए सबसे बड़ा कारण गरीबी को बताया जाता है लेकिन भारत समेत दुनिया के कई देश ऐसे हैं, जो खाद्य सामग्री के मामले में आत्मनिर्भर हैं फिर भी दूसरे कारणों की वजह से भुखमरी की समस्या उत्पन्न होती है। खेती के दौरान पोषण से ज़्यादा ध्यान अधिक पैदावार पर दिया जाता है। इसके चलते भी प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है।

हर साल दुनिया भर में 1.3 टन से ज़्यादा खाद्य पदार्थ बर्बाद हो रहे हैं। कहीं पर्याप्त भंडारण की समस्या है, तो कहीं सही समय से फल एवं सब्जियां मंडियों तक नहीं पहुंच पाते हैं।

जलवायु परिवर्तन, पशुओं में बीमारियां और फसल खराब होने की वजह से भी हर साल कई अरब टन खाद्य सामग्री खराब हो जाती है। इसके अलावा भौगोलिक असमानता और सरकारी संस्थानों की अव्यवस्था के कारण भी वैश्विक भुखमरी की समस्या बढ़ रही है।

भारत में भुखमरी की स्थिति

भारत अगले कुछ वर्षों में चीन को पीछे छोड़कर दुनिया में सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। इतनी बड़ी आबादी के लिए खाने का अतिरिक्त इंतजाम करना एक बड़ी कठिन चुनौती है।

1970 के दशक में हुई हरित क्रांति के बल पर भारत खाद्य पदार्थों के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर है बल्कि देश के खाद्य भंडारों में ज़रूरत से 30 से 40 फीसदी तक अधिक भंडारण मौजूद रहता है।

गेहूं और धान की खेती के अलावा भारत दूध के उत्पादन और मांस के निर्यात में भी दुनिया में बड़े उत्पादक देशों की सूची में आता है और समय-समय पर देश में उत्पादन की वृद्धि के लिए अनेकों प्रयास किए जा चुके हैं।

देश में साल 2013 में केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा का कानून पास किया था, जिसके माध्यम से देश की दो-तिहाई आबादी को सब्सिडी के ज़रिये खाने का सामान मुहैया कराया जाता है। इसके द्वारा भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक शून्य भुखमरी के आंकड़े को प्राप्त किया जाए।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की स्थिति अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से भी बहुत बुरी है। इस रिपोर्ट में भारत को भुखमरी से जूझ रहे देशों की सूची में गंभीर श्रेणी में रखा गया है।

साल 2000 की तुलना में भारत का स्कोर 38.9% से 27.5% तक सुधरा है और इसके साथ ही बाल भुखमरी की श्रेणी में भी सुधार देखा गया है। वहीं बच्चों के द्वारा खाने की बर्बादी करने की सूची में भारत का नंबर पहले से कुछ गिरा है।

अफ्रीका और दक्षिण एशिया के क्षेत्र ज़्यादा प्रभावित – रिपोर्ट

ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में सब सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया के देशों में भुखमरी पर चिंता जाहिर की गई है। सूची के अंतिम में शुमार अफ्रीकी देश सोमालिया, नाइजर, सूडान और एशियाई देश यमन और अफगानिस्तान में खाद्य सुरक्षा का संकट कोरोनावायरस के बाद और भी बढ़ गया है।

इथोपिया, सूडान, यमन और अफगानिस्तान में पिछले काफी समय से युद्ध के हालात बने हुए हैं, जिसका सीधा असर भुखमरी पर पड़ रहा है और हर साल कई लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन गुज़ार रहे हैं।

वहीं नाइजर, सोमालिया और केन्या जैसे देशों में खराब व्यवस्था के कारण खाने का सामान देश के दूसरे हिस्सों में रह रहे लोगों तक नहीं पहुंच पाता है।

संयुक्त राष्ट्र का वर्ल्ड फूड प्रोग्राम इन देशों में काफी मदद कर रहा है। इस प्रोग्राम के जरिए संयुक्त राष्ट्र का प्रयास है कि दूरदराज के इलाकों में भुखमरी की समस्या को खत्म किया जा सके।

वैश्विक भुखमरी के कारणों को देखकर यह साबित होता है कि ऐसा नहीं है कि दुनिया भर में इतनी बड़ी आबादी के लिए खाने का इंतजाम करना नामुमकिन है बल्कि व्यवस्था में कमी के कारण ही इन लोगों तक यह सामान नहीं पहुंच पाता है।

असल में तो दुनिया भर की कुल उत्पादन क्षमता हमारी आबादी से लगभग दोगुनी है लेकिन अलग-अलग कारणों की वजह से उसका सही से बंटवारा नहीं हो पाता है।

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नोट- अब्दुल्लाह, YKA राइटर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम सितंबर-अक्टूबर 2021 बैच के इंटर्न हैं। इन्होंने इस आर्टिकल में, वर्तमान में देश में व्यापक पैमाने पर फैल रही भुखमरी एवं उससे प्रभावित होने वाली एक बड़ी आबादी की समस्याओं, सरकार की इस समस्या से निपटने की निष्क्रिय नीतियों एवं उसके रवैये पर प्रकाश डाला है।

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