जब भी कोई त्यौहार आता है, तो महिलाओं को कितना काम करना पड़ता है, जब भी घर में कोई शादी या कोई छोटे-बड़े कार्यक्रम होते हैं, तो उन कार्यों को कुशलता पूर्वक पूर्ण करने की ज़िम्मेदारी महिलाओं की ही होती है और ग्रामीण क्षेत्र होने पर तो उनके लिए और भी काम बढ़ जाते हैं जैसे खेती, किसानी और घर की साफ-सफाई जानवरों का काम, खेत का हर एक काम करना पड़ता है।
दीपावली का त्यौहार, जो हमारे देश का सबसे बडा पर्व माना जाता है। वह हमारे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और इस समय बहुत सारे काम बढ जाते हैं। इस समय देश में दीपावली का त्योहार सिर पर है, महिलाओं को धान की कटाई के साथ में गेहूं और चने की फसल के लिए समय से पलेवा करना है।
गाँव में लोगों को बडे-बडे कच्चे मकानों के लिए बारिश के बाद उनकी मरम्मत के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और लोग दीपावली का बहुत बेसब्री से इंतज़ार करते हैं क्योंकि वे दीवाली के लिए अपने घरों की साफ-सफाई, कच्चे मकानों मे मिट्टी लगाना और पूरे घर में लिपाई पुताई करते हैं।
वीडियो का लिंक- https://www.youtube.com/watch?v=mTYO4gcC6Bs&ab_channel=KhabarLahariya
महिलाओं के सिर पर काम का इतना बोझ रहता है कि महिलाएं ज़ल्दी ही रात तीन बजे से उठती हैं और घर के और खेत के कामों में लग जाती हैं। सुबह ज़ल्दी उठकर जानवरों को खाना-पानी देना, उनका दूध दुहना फिर घर के लिए खाना बनाना साथ-ही-साथ रोज़ वाले घर के दैनिक काम, फिर खेत जाकर तैयार फसल को काट कर खेत खलिहान से अपने घर लाना।
ऐसे ही फिर दीपावली के कामों को थोड़ा-थोड़ा समय निकाल कर करना और इस तरह वे देर रात तक लगातार मेहनत करती हैं, फिर कहीं जाकर वो देर रात तक थोडा आराम करती हैं।
महिलाओं को घर के कार्यों एवं रोज़मर्रा के दैनिक कार्यों से बमुश्किल आराम और सोने के लिए चार घंटे का समय ही मिलता है और अगर हम बात करें समाज की, तो अधिकांश लोग कहते हैं कि महिलाएं काम ही नहीं करती हैं। उन्हें काम ही क्या है? वे दिन भर फालतू ही तो रहती हैं। वो बस घर का खाना बनाती हैं और बातों में अपना समय बर्बाद करती हैं।