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“मिसकैरेज के बाद पति के सामने रो भी नहीं पाती हूं”

मिसकैरेज का दर्द वही समझ पाते हैं, जिसने अपना बच्चा खोया हो। कुदरत ने औरत को सृष्टि रचने का वरदान दिया है। एक भ्रूण जो 9 महीने तक माँ के गर्भ में पलता है, वो इन 9 महीनों के दरमियान ही एक गहरा संबंध बना लेता है, बिना छुए और देखे भी, एक औरत अपने बच्चे की मन ही मन एक प्यारी सी तस्वीर गढ़ लेती है।

तब, प्यार को जताने के लिए स्पर्श भी उतना महत्वपूर्ण नहीं रहता ना ही उसकी कोई ज़रुरत होती है। मैं आज अपनी बात कर रही हूं!  दुनिया की हर उस औरत की बात कर रही हूं, जिसने गर्भ में ही अपने बच्चे को खो दिया। यकीन मानिए मेरे पास इस दर्द को ब्यान करने को कोई शब्द नहीं, जिससे दर्द, तकलीफ कुछ कम हो। मैं हर औरत को बस लिख रही हूं।

प्रतिवर्ष 1 करोड़ से ज़्यादा गर्भपात

भारत में हर साल 1 करोड़ से ज़्यादा मामले गर्भपात के आते हैं और मैं इन्हीं 1 करोड़ माँओं में से एक हूं, जो हाज़िर है अपनी कहानी लेकर।मेरी शादी को लगभग 7 साल होने वाले हैं और आप सभी जानते हैं, शादी के बाद परिवार के द्वारा जल्दी बच्चा पैदा करने के लिए दवाब डाला जाता है।

खैर! मैं इतनी खुश नसीब नहीं थी, क्योंकि मेरी लव मैरिज हुई थी और तब तो कोई ये तक नहीं चाहता था कि ये शादी भी चले। हमें भी कोई जल्दी नहीं थी, आखिर एक जान को लाने से पहले हम खुद को तो सैटेल कर लें।

इसी सोच-विचार के साथ हम आगे बढ़ते रहें मगर ऐसा एक भी पल नहीं आया कि जब हमने सेफ सेक्स ना किया हो और कभी मैं प्रेग्नेंट हुई हूं। यानि भूल से भी कभी ये नहीं हुआ और फिर दो साल बाद हमने इस पर सोचा कि आखिर ऐसा क्यों? तब जाकर हमने डॉक्टर से मुलाकात की।

सबकुछ सही था! कई सारे टेस्ट, ऐसे टेस्ट जिसमे मैंने दर्द को झेला लेकिन सारे रिपोर्ट्स नार्मल। फिर थक-हार के दिखाना बंद कर दिया। वहीं, दवाई कि वजह से मेरा शरीर फूलने लगा।

मैं बेहद तनाव में थी! मैंने खुद को बंद कर लिया

मैं अंदर ही अंदर दुखी होती थी, बहुत प्रेशर था। अजीब-अजीब ख्याल आते थे, हां एक बात ठीक थी, मेरे हस्बैंड मेरे साथ थे, उन्होंने मुझे कभी दोष नहीं दिया।

लेकिन लोग ताने मारते थे की कितना खाती हूं  मैं, जिसके कारण मैंने अपना वज़न बढ़ा लिया है। पता नहीं लोगों की ये क्या प्रॉब्लम है कि बिना कहानी जाने समरी लिख देते हैं।  

सबकुछ चुपचाप चलता रहा, एक टाइम ऐसा आया जब मुझे लगने लगा कि अब मुझे किसी से नहीं मिलना। कोई शादी या पार्टी में नहीं जाना, क्योंकि सारा फोकस मेरे ऊपर और फिर वही कि बच्चा कब करोगे? शादी के इतने साल हो गए वगैरह-वगैरह।

बस मैं थक गई और मैंने खुद को अपनी दो कमरों की दुनिया में कैद कर लिया।  प्रॉब्लम मेरे साथ ये थी कि ऐसी बात सुनकर मुझे दुःख होता था और फिर काम से ध्यान हट जाता था , बस नेगेटिव थॉट्स चल रहे होते थे।

डॉक्टर! उम्मीद और ना उम्मीदी

एक बार फिर नए डॉक्टर और दवाई! मेरे घर में इतनी सारी डॉक्टर की फाइल मिलेगी कि मैं क्या कहूं? सबकुछ सही था कहीं कोई दिक्कत ही नहीं है, तो हम इलाज किस चीज़ का करें? यही डॉक्टर कहते थे।

30 दिन की गोली और पीरियड होने के तीसरे दिन आ जाना, ना आये तो 1 महीना 10 दिन पर आना। ज़िंदगी बस इसी के अंदर घूमती रही और अंदर ही अंदर मैं घुटती रही।

हर महीने उम्मीद से शुरू होकर निराशा पर खत्म होता गया और फिर आ गया कोविड! जिसमें हमने बंद कर दिया की कौन जाएगा हॉस्पिटल? ऐसे समय में होना होगा तो हो जाएगा क्या सोचना इसके बारे में यह सोचकर हमने, जो जहां था उसको वहीं बंद कर दिया।

जब मुझे यूट्रेस प्रोलैप्स हुआ

हाल में मुझे वैजिनल इन्फेक्शन हुआ, जो औरतों को होना मामूली सी बात है और मुझे डॉक्टर के पास जाना पड़ा। फिर मुझे पता चला की इन्फेक्शन तो था ही साथ ही साथ मुझे यूट्रेस प्रोलैप्स (uterus prolapse) हुआ है।

अब सोचकर देखिए ये सुनकर मेरी क्या हालत हुई होगी? डॉक्टर ने बस लिक्विड फ़ूड ही खाने को कहा, साथ ही कुछ एक्सरसाइज़ और बहुत सारी दवाईयां। दवाईयां इतने पावर की होती थीं कि उन्हें खाने के बाद जानलेवा सिरदर्द और उलटी होने लगती।

दिव्या बच्चा गिरा देती है क्या?

ये सब खामोशी से होता रहा और मैं नकली हंसी लिए लोगों से मिलती रही, मुझे देखकर कोई समझ ही नहीं सकता था कि पीछे क्या चल रहा है? मैं ऐसी इंसान हूं, जो भूख लगने पर रो पड़े और आज इतना सारा तनाव और दर्द खुद में समेटे हुए हूं।

मुझे तो खुद पर भी यकीन नहीं होता लेकिन कहते हैं ना कि औरत में दर्द सहने की बहुत क्षमता होती है मगर कई बार लोगों को, अच्छे दोस्तों को ये कहते हुए पाया  “दिव्या बच्चा गिरा देती है क्या ? क्या वो कोई गर्भनिरोधक गोली लेती है ” ये बातें तकलीफ पहुंचाती, बहुत चुभतीं पर क्या करें किसी को भी अपनी तकलीफ नहीं बता सकते।

आई वी एफ ट्रीटमेंट

एक बार फिर, डॉक्टर ने सारी फाइल देखी। अब तक काफी टेस्ट करवाए और फिर ये कहा कि एक महीने बाद से हम आई वी एफ ट्रीटमेंट शुरू कर देते हैं।

सबकुछ सही है पर आपकी उम्र बढ़ रही है। आगे चलकर  पीरियड प्रॉब्लम भी आएंगे और दवाई से बस साइड इफ़ेक्ट और आपका बढ़ता वज़न ही मिलेगा।

हमने हामी भर दी। अब ये चमत्कार ही था कि उस बीच बिना कोई दवाई लिए मुझे पहली बार प्रेग्नेंसी रुकी। मैंने ये बात हस्बैंड के अलावा किसी से शेयर नहीं की, क्योंकि डर लगता है ऐसे मौके पर मैं काफी खुश थी।

मिसकैरेज और सब खत्म

आजकल काफी सपने बुनने लगने लगी थी कि फिर अचानक से किसी ने सपना तोड़ दिया। गर्भपात से गुज़रना किसी भी औरत के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे समय में हम टूट जाते हैं। आप खुद सोचिए! कोई आकर अगर आपके सपने के महल के तोड़ दे तो आप पर क्या गुज़रेगी?

मैं इस वक्त मानसिक और शारीरिक दोनों तरफ से ही टूटी हुई हूं। पति के सामने ऐसे पेश आती हूं, जैसे कुछ हुआ ही नहीं है, क्योंकि अगर मैं रोई तो वो भी अपने सब्र का बांध तोड़ देंगे।

अकेले में बहुत रोती हूं। उन नन्हे हाथों के बारे में सोचकर, जिसे मैं अपनी इन उंगलियों में थामना चाहती थी। काश! दर्द को दूर करने की भी कोई दवा होती। मैं माँ बनना चाहती थी। इस एहसास को महसूस भी किया था। इसे जीना चाहती थी पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर है।

अब इस दर्द से आज़ाद हो जाना चाहती हूं। बाहर से शांत और अंदर बहुत शोर है। हर रात सोचती हूं, आसमान की तरफ देख कर कि इन्हीं सितारों में एक सितारा मेरा बच्चा होगा, जो वहां से मुझे देख रहा है और कह रहा है “माँ आपकी बहुत याद आती है पर मैं यहां खुश हूं, क्योंकि मैं आपको हर रोज़ देख सकता हूं”

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