भारतीय अर्थव्यवस्था दिनों-दिन तेज़ी से आगे बढ़ रही है। इसी के साथ लोगों की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं। वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में MSME क्षेत्र का काफी बड़ा योगदान है।
पहले एक निश्चित समुदाय या वर्ग के पुरुष ही बिज़नेस करते थे, लेकिन अब हर समुदाय और वर्ग के पुरुष और महिलाएं बिज़नेस के क्षेत्र में अपना हाथ आज़मा रही हैं।
आज SC/ST वर्ग के लोग भी बिज़नेस में अपना हाथ आज़मा रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। आप देख सकते हैं कि महिलाओं और SC/ST वर्ग का एक बड़ा हिस्सा अपना खुद का बिज़नेस शुरू करना चाहता है और जीवन में आगे बढ़ना चाहता है।
महिला और SC/ST वर्ग के संभावित उद्यमी, ऊर्जावान और उत्साही हैं और उनके पास कई बेहतरीन बिज़नेस आइडिया भी हैं, इसके बाद भी उन्हें अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
इन्ही चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए 5 अप्रैल, 2016 को भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की देख-रेख में वित्तीय सेवा विभाग (Department of Financial Services) द्वारा स्टैंड-अप इंडिया स्कीम की शुरुआत की गई। ऐसे में आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि स्टैंड-अप इंडिया स्कीम क्या है और इसका लाभ किसे और कैसे मिल सकता है?
क्या है स्टैंड-अप इंडिया स्कीम?
स्टैंड-अप इंडिया स्कीम की शुरुआत भारत सरकार द्वारा महिलाओं और SC/ST वर्ग के उद्यमियों को आगे बढ़ाने के लिए की गई है। इस स्कीम के अंतर्गत महिलाओं और SC/ST वर्ग के उद्यमियों को बिज़नेस शुरू करने के लिए लोन दिया जाता है।
इस योजना के तहत प्रत्येक बैंक शाखा में कम-से-कम एक SC/ST वर्ग के आवेदक और एक महिला उद्यमी को अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए 10 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का बिज़नेस लोन दिया जाता है, ताकि वो अपना खुद का बिज़नेस शुरू कर सकें।
स्टैंड-अप इंडिया स्कीम
बता दें कि इस स्कीम के तहत केवल ग्रीनफील्ड परियोजना की स्थापना के लिए ही लोन दिया जाता है। ये उद्यम निर्माण सर्विस, ट्रेडिंग क्षेत्र के हो सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ग्रीनफील्ड परियोजना से तात्पर्य पहले इस्तेमाल ना की गई ज़मीन पर नए इंफ़्रास्ट्रक्चर का निर्माण से है। इसमें ध्वस्त करके पुनर्निर्माण किए जाने वाले इंफ़्रास्ट्रक्चर को शामिल नहीं किया जाता है।
स्टैंड-अप इंडिया स्कीम की विशेषताएं
. स्टैंड-अप इंडिया स्कीम के तहत लोन भारत के लिस्टेड कॉमर्शियल बैंकों की सभी शाखाओं द्वारा दिया जाता है।
. इस स्कीम के तहत लोन केवल उन्हीं महिलाओं और SC/ST वर्ग के लोगों को दिया जाता है, जिनकी ग़ैर व्यक्तिगत उद्यमों में कम से कम 51% की हिस्सेदारी होती है।
. इस स्कीम के अंतर्गत दिए जाने वाले लोन का ब्याज, लोन देने वाले बैंक द्वारा निर्धारित किया जाता है, जो MCRL+3%+टेन्योर प्रीमियम से अधिक होता है।
. स्टैंड-अप इंडिया स्कीम के तहत लोन लेने के लिए व्यक्ति की उम्र कम-से-कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
. इस स्कीम के तहत केवल उन्हीं लोगों को लोन दिया जाता है, जो ग्रीनफील्ड परियोजना के तहत पहली बार मैन्यूफैक्चरिंग, सर्विस या ट्रेडिंग क्षेत्र में बिज़नेस कर रहे हैं।
. स्टैंड-अप इंडिया स्कीम के तहत लोन का आवेदन करने वाले व्यक्ति का किसी भी बैंक या NBFC में डिफॉल्ट रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए।
. इस स्कीम के तहत ऑफर किए जाने वाले लोन की कुल राशि (टर्म लोन और वर्किंग कैपिटल) 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच होती है।
. बैंकों द्वारा तय की गई लोन राशि को क्रेडिट गारंटी फंड की गारंटी द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है।
. इस स्कीम के तहत मिलने वाले लोन की अधिकतम अवधि 7 साल है और अधिकतम मोराटोरियम पीरियड 18 महीने है।
क्रेडिट गारंटी फंड क्या है?
क्रेडिट गारंटी फंड्स फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE), लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के सहयोग से MSME’S को दी जाने वाली एक सरकारी लोन स्कीम है।
क्रेडिट गारंटी फंड
क्रेडिट गारंटी फंड के तहत जब भी कोई बैंक किसी व्यक्ति को लोन देता है, तो उसकी गारंटी CGTMSE लेता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि लोन लेने वाले व्यक्ति को CGTMSE के पास गारंटी के तौर पर कुछ गिरवी भी नहीं रखना पड़ता है।
स्टैंड-अप इंडिया स्कीम के तहत लोन का आवेदन करने के लिए ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स
. पहचान प्रमाणपत्र जैसे पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र, PAN कार्ड।
. निवास प्रमाणपत्र जैसे मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, बिजली या टेलीफोन का नया बिल, प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद।
. आवेदक का पासपोर्ट साइज़ फोटो।
. बिज़नेस का पता।
. कंपनी का मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन।
. पार्टनरशिप डीड।
. पट्टे की फोटोकॉपी।
. रेंट एग्रीमेंट।
. पिछले तीन साल की बैलेंस शीट।
. प्रमोटर और गारंटी की संपत्ति और लायबिलिटी स्टेटमेंट।
. स्टैंड-अप इंडिया के तहत लोन के लिए कैसे करें आवेदन:
इस योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक की कोई भी महिला या SC/ST वर्ग का उद्यमी लोन के लिए ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों मोड से आवेदन कर सकता है, जिसकी प्रक्रिया के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।
ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया
अगर कोई व्यक्ति स्टैंड-अप इंडिया स्कीम के तहत लोन लेना चाहता है, तो वह सीधे बैंक जाकर आवेदन कर सकता है।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया
. स्टैंड-अप इंडिया स्कीम के तहत लोन का आवेदन करने के लिए सबसे पहले इसकी आधिकारिक वेबसाइट https://Www.Standupmitra.In/Login/Register पर जाएं।
. इसके बाद आपके सामने एक पेज खुलेगा, जहां “Choose Your Category” के तीनों ऑप्शन में से एक ऑप्शन सलेक्ट करें। उसके बाद अपना नाम, ईमेल एड्रेस और मोबाइल नंबर एंटर करके OTP जनरेट करें।
. अब बिज़नेस कॉलम में बिज़नेस एड्रेस, राज्य, ज़िला, गाँव, शहर, शहर का पिन कोड जैसी जानकारी के साथ रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें।
. इसके बाद सलेक्ट करें कि लोन लेने वाली महिला या SC/ST वर्ग के व्यक्ति की बिज़नेस में 51% से अधिक हिस्सेदारी है या नहीं।
स्टैंड-अप इंडिया स्कीम की ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया।
. अब लोन के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति की योजना, बिज़नेस की प्रकृति, लोन की राशि, बिज़नेस गतिविधि की प्रकृति और जानकारी, बिज़नेस के लिए जगह की स्थिति और पहली बार उद्यमियों की ड्रॉप डाउन को सलेक्ट करें।
. इसके बाद अपनी पसंद के हिसाब से हैंड होल्डिंग पर टिक करें और पर्सनल जानकारी जैसे व्यक्ति का नाम, उद्यम का नाम, यूज़र नेम, ईमेल और मोबाइल नंबर एंटर करें।
. अंत में रजिस्टर पर क्लिक करते ही आपका संबंधित बैंक या संस्था में स्टैंड-अप इंडिया स्कीम के तहत लोन का आवेदन पूरा हो जाएगा। इसके बाद बैंक या संस्था का अधिकारी आपसे इसके बारे में आगे की बातचीत के लिए संपर्क करेंगे।
स्टैंड-अप इंडिया स्कीम ने हमेशा महिलाओं और SC/ST वर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम किया है। इस योजना के तहत देश भर में स्थित 1.25 लाख बैंक शाखाओं के माध्यम से न्यूनतम 2.5 लाख लोगों को लाभ देने का काम किया जाता है।
इसके साथ ही इस स्कीम के तहत महिलाओं और SC/ST वर्ग के उद्यमियों को क्रेडिट गारंटी, हैंड होल्ड सपोर्ट और फाइनेंस की जानकारी देने के लिए एक प्लेटफार्म भी प्रदान किया जाता है। इसके अलावा इसके तहत परामर्श, मार्गदर्शन और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम जैसी सेवाएं भी दी जाती हैं।
लोन लेकर बिज़नेस शुरू करना बस एक शुरुआत होती है। सबसे ज़रूरी होता है, बिज़नेस शुरू करने के बाद उसे सही तरीक़े से मैनेज़ करना। ज़्यादातर नए लोग बिज़नेस फाइनेंस और पर्सनल फाइनेंस के अंतर को समझ नहीं पाते हैं और अपने पर्सनल बैंक अकाउंट से ही बिज़नेस फाइनेंस को मैनेज़ करते हैं।
इससे बिज़नेस के ख़र्चों और पर्सनल खर्चों का हिसाब लगाने में मुश्किल होती है। इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बिज़नेस फाइनेंस और उसके खर्चों को मैनेज़ करने के लिए बिज़नेस करंट अकाउंट ज़रूर होना चाहिए। अगर बैंक में बिज़नेस के लिए करंट अकाउंट खुलवाना हो, तो कई डॉक्यूमेंट्स की ज़रूरत पड़ती है। इसके साथ ही आपका काफी समय और पैसे भी खर्च होते हैं।
ओपनबुक एप्प की प्रतीतात्मक तस्वीर।
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