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क्यों अररिया नगर परिषद आरटीआई के लिए अपनी जवाबदेही नहीं मानता है?

क्यों अररिया नगर परिषद आरटीआई के लिए अपनी जवाबदेही नहीं मानता है?

सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) कानून इसलिए लागू किया था कि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता रहे। इससे लोग सूचनाएं प्राप्त कर सकें, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे और अधिकारियों व कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो।

लेकिन अररिया नगर परिषद के अधिकारियों ने इसका भी मखौल बनाकर रख दिया है। बीते करीब 2 साल से कुछ इक्का-दुक्का मामलों को छोड़कर नगर परिषद के अधिकारियों ने कसम खा रखी है कि चाहे कुछ भी हो जाए आरटीआई के तहत कोई सूचना देनी ही नहीं है। 

वर्तमान में स्थिति यह है कि अररिया नगर परिषद की संबंधित शाखा में करीब 100 से ज़्यादा आरटीआई के आवेदन लंबित हैं। मैंने कुछ मामलों की अपील राज्य सूचना आयोग तक की है, बावजूद इसके अधिकारी बेखौफ हैं।

नगर परिषद के इस रवैये से परेशान कई शहरवासियों का कहना है कि उन्होंने अब आवेदन करना ही बंद कर दिया है। मैंने अररिया नगर परिषद से, जब भी कोई आरटीआई के तहत आवेदन किया है लेकिन नगर परिषद द्वारा आरटीआई के तहत कभी सूचना ही नहीं दी जाती है और अब तक किसी आवेदन में सूचना दी भी गई है, तो वह सूचना पूर्णरूप से गलत ही दी गई है।

नगर परिषद की आरटीआई विंग में रजिस्टर तो रोज़ मेंटेन हो रहा है लेकिन वहां के कर्मचारी और अधिकारियों द्वारा आरटीआई के आवेदनों को फाइलों में दफन कर दिया जाता है।

जनवरी, 2021 में मैंने अररिया नगर परिषद के लोक सूचना अधिकारी को आवेदन किया था कि नगर परिषद द्वारा बर्मा शेल पेट्रोल पंप का सन 2000 से लेकर 2021 तक का टैक्स किस व्यक्ति /व्यक्ति विशेष के नाम पर वसूल किया जाता है। आप कृपया मुझे उस टैक्स रसीद की छायाप्रति उपलब्ध कराने की कृपा करें।

लेकिन 2 महीने बाद भी मुझे अररिया नगर परिषद द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया फिर मार्च-2021 को मैंने अररिया नगर परिषद को प्रथम अपील की। प्रथम अपील करने के 1 महीने बाद, वहां के लोक सूचना अधिकारी ने जवाब में साफ तौर पर कहा कि अररिया नगर परिषद् के पास होल्डिंग टैक्स रसीद का कोई भी डाटा मौजूद नहीं है, जबकि हर सरकारी विभागों के कार्यों के रिकॉर्डों को सही सलामत रखने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं।

YKA से मेरी विनम्र गुजारिश है कि आम जनमानस के हितों से सरोकार रखने वाले इस मुद्दे को प्रमुखता दें, क्योंकि अभी मात्र एक अखबार ने ही इस मामले को गंभीरता से अपने संज्ञान में लिया है।

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