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दुनिया भर के बाज़ारों में क्यों छाया है मैन्युफैक्चरिंग संकट?

दुनिया भर के बाज़ारों में क्यों छाया है मैन्युफैक्चरिंग संकट?

कोरोनावायरस के कारण दुनिया भर में आम जनजीवन कुछ समय के लिए थम गया था, जिसका खामियाजा विश्व की सभी छोटी-बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को उठाना पड़ा था। वैक्सीनेशन की प्रक्रिया के बाद हालात एक बार फिर से सामान्य होने लगे हैं लेकिन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में, जहां दुनिया भर की सप्लाई चेन पिछले कुछ समय में ध्वस्त हो गई है।

खाने-पीने की चीज़ें, खिलौने और दूसरी कई अहम ज़रूरत की चीज़ों की अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में किल्लत हो गई है, जिसके कारण अमेरिका और यूरोप जैसे बड़े बाज़ारों में मांग की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। हालांकि, इस संकट के पीछे कोरोना के अलावा दूसरे कई कारण भी मौजूद हैं।

आखिर क्यों बढ़ी है दुनिया भर के बाज़ारों में मांग

वैश्विक डिमांड बढ़ने का मुख्य कारण सप्लाई और डिमांड चेन के बीच आया बड़ा फर्क है। दरअसल, कोरोना और लॉकडाउन के कारण बाज़ारों में, जो मंदी पिछले कुछ महीनों से देखी जा रही थी। इसके उलट आप लोग अधिक खर्च कर रहे हैं और इसके साथ ही अमेरिका और यूरोपीय देशों में क्रिसमस के दौरान मांग काफी बढ़ जाती है लेकिन इसके हिसाब से आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसी कारणवश दैनिक ज़रूरत की चीज़ों के दाम भी बढ़ रहे हैं।

दुनिया भर के लगभग सभी बड़े ब्रांड भारत और चाइना में कारखाने चलाते हैं। यहीं से सभी माल की आपूर्ति की जाती है। क्रिसमस के दौरान डेकोरेशन आइटम से लेकर उपहार वगैरह में दिए जाने वाले सामान भी दूसरे देशों से आयात किए जाते हैं, क्योंकि वहां पर इन उत्पादों की लागत क्षमता अमेरिका के तुलना में काफी कम आती है। अप्रैल से सितंबर तक पश्चिमी देशों के बाज़ारों में माल की आपूर्ति संपन्न हो जाती है लेकिन इस साल कोरोना की दूसरी लहर के चलते समय पर उत्पादन नहीं हो पाया था और अब आपूर्ति में देरी भी देखी जा रही है।

कंटेनर और मज़दूरों की कमी के कारण प्रभावित हुई है सप्लाई चेन

दुनिया भर में कंटेनरों के माध्यम से एक-दूसरे देशों में माल का आयात-निर्यात किया जाता है। कोरोना के कारण पूरी शिपिंग लाइन प्रभावित हुई है और अव्यवस्था की वजह से कई देशों में खाली कंटेनर अलग-अलग केंद्रों पर पड़े हुए हैं।

इसके उलट जहां मांग ज़्यादा है, वहां पर समय से कंटेनर नहीं पहुंच पा रहे हैं। विश्व में शिपिंग लाइन को चलाने वाली काफी कम कंपनियां हैं और शिपिंग लाइन में इस्तेमाल होने वाले कंटेनरों को भी महामारी के कारण समय पर व्यवस्था में नहीं लाया जा सका जिसकी वजह से कंटेनर्स की संख्या कम हुई है।

चीनी उत्पादों का बहिष्कार

पिछले कुछ समय में पश्चिमी देशों ने खासकर अमेरिका चीनी उत्पादों के बहिष्कार को लेकर काफी आक्रमक रहा है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में इन दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर की स्थिति बनी रही थी और इस दौरान प्रशासन ने चीन से आने वाले कई उत्पादों पर आयात शुल्क काफी बड़ा दिया था।

महामारी के बाद के दौर में एक बार फिर से चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ने लगी है, ऐसी स्थिति में कई पश्चिमी देश अब चीन के अलावा दूसरे देशों से आयात पर जोर दे रहे हैं और इसी सूची में भारतीय बाज़ार  का भी नाम है लेकिन कंटेनर्स की कमी और पुरानी शिपिंग व्यवस्था के चलते भारत या फिर अन्य दक्षिण एशियाई देशों से आयात करना फिलहाल इतना आसान नहीं हैं। 

चीन के उत्पादों के बहिष्कार के चलते अमेरिकी बाज़ारों में चीनी उत्पादों के विकल्पों की आपूर्ति मांग के आधार पर अभी काफी कम है और साथ ही पुरानी व्यवस्था से नई व्यवस्था में आने तक में कुछ समय लग सकता है।

वैश्विक बाज़ार में मैन्युफैक्चरिंग संकट अगले कुछ महीनों में सुधर जाएगा लेकिन इस दौरान भारत के पास आर्थिक महाशक्ति बनने का शानदार मौका है, जिससे मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों को भी काफी बढ़ावा मिल सकता है।

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नोट- अब्दुल्लाह, YKA राइटर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम सितंबर-अक्टूबर 2021 बैच के इंटर्न हैं। इन्होंने इस आर्टिकल में, वर्तमान में दुनिया भर के बाज़ारों में  मैन्युफैक्चरिंग संकट और किस तरह कोरोना के चलते पूरी दुनिया में सप्लाई और मांग की चेन बाधित हुई है, इस पर प्रकाश डाला है।

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