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दिल्ली में प्रदूषण की वजह से घुटती सांसों के लिए ज़िम्मेदार कौन है?

दिल्ली में प्रदूषण की वजह से घुटती सांसों के लिए ज़िम्मेदार कौन है?

“शहर-ए-दिल्ली से हमें और तो क्या लेना था, अपनी सांसों के लिए ताज़ा हवा मांगी थी।” कहने को तो ये पंक्तियां हैं ज़ुबैर रिज़वी साहब की हैं लेकिन अब हर दिल्ली वाले की जबां कुछ यही कहती है।

दिल्ली के प्रदूषण से हर कोई परेशान हो चुका है। दिल्ली वाले अब ताज़ा हवा लेने के लिए छुटिट्यां मनाने के चले जाते हैं।

ऐसा नहीं है कि सरकारें राजधानी दिल्ली के प्रदूषण को लेकर गंभीर नहीं हैं लेकिन सरकारें जो उपाय कर रही हैं, उनसे कोई फायदा होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। 

चाहे ऑड-ईवन फॉर्मूला हो या पुरानी गाड़ियों को सड़कों से हटाने का। ये महज़ उपाय कुछ समय के लिए दिखते हैं और फिर से दिल्लीवालों की सांसें हर साल सर्दियों की आहट के साथ ही घुटने लगती हैं। 

धूल है बड़ी वजह

दिल्ली में प्रदूषण बढने के सबसे कारणों में से एक है धूल। दिल्ली की शायद ही कोई सड़क होगी, जिसकी पांच फुट की चौड़ाई में धूल ना जमा हो और यही धूल वाहनों की रफ्तार से उड़कर वातावरण में फैल जाती है।

दिल्ली में एक और समस्या है ट्री-गार्ड का न होना। इसके चलते सड़कों के किनारे पेड़-पौधे धूल से सन जाते हैं और फिर मर जाते हैं। 

दिल्ली सरकार और दिल्ली की लोकल बॉडीज हर साल वृक्षारोपण कार्यक्रम करती है, इसके अंतर्गत करोड़ों रुपयों की लागत से लाखों पेड़ लगाने का कार्यक्रम किया जाता है लेकिन देखरेख के अभाव में ये सारे बर्बाद हो जाते हैं।

मैली यमुना भी है एक कारण

दिल्ली के प्रदूषण के कारकों में एक नाम यमुना नदी का भी शामिल है। सीवर और फैक्ट्रियों के गंदे पानी के चलते जीवनदायिनी यमुना नदी दिल्ली में एक नाले का रूप धारण कर चुकी है, जो कि दिल्ली की आबो हवा को प्रदूषित करने में अहम योदगान देती है।

दिल्ली सरकार ने लगभग आधा दर्जन नए एसटीपी प्लांट्स लगाने, यमुना में गंदे जल को गिरने से रोकने और यमुना के साफ-सफाई के कई दावे किए हैं लेकिन यमुना में बहता गंदा पानी इस बात का प्रमाण है कि दिल्ली और केंद्र सरकार के यमुना स्वच्छता के उपाय कागजी ही साबित हुए हैं।

इसके लिए बड़े स्तर पर उच्च स्तर की तकनीकी की आवश्यकता है, इसके बाद ही यमुना को स्वच्छ करने का उपाय किया जा सकता है, तब तक हम सभी दिल्ली वालों को प्रदूषित हवा में सांस लेकर घुटना होगा। 

ई-वाहनों को कहां करें चार्ज

बीते कुछ सालों में दिल्ली में ई-वाहनों का चलन बढ़ाने का प्रयास किया गया है। रिपोर्ट्स की मानें तो प्रदूषण स्तर में कमी करने के लिए सरकार की कोशिश है कि 2025 तक निकलने वाले सभी वाहनों में न्यूनतम 25 फीसदी ई-वाहन हों।

लोग ज़्यादा-से-ज़्यादा ई-वाहनों की खरीद और रजिस्ट्रेशन कराएं और इसके लिए कई आकर्षक कार्यक्रम भी शुरू किए गए लेकिन ये तभी कारगर साबित होगा, जब ई-वाहनों के रेट कम किए जाएं और इन्हें चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाए, क्योंकि फिलहाल ई-वाहनों के चार्जिंग स्टेशनों की भारी कमी है। 

इसके साथ ही आप इन वाहनों से ज़्यादा दूर तक नहीं जा सकते हैं। यह शायद सबसे बड़ी वजह है कि ई वाहन पेट्रोल-डीजल वाहनों के मुकाबले ज़्यादा लोकप्रिय नहीं हो पा रहे हैं।

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