राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा यानि नीट की परीक्षा। नीट परीक्षा पास होने के बाद आप डॉक्टर बन सकते हैं। डॉक्टर बनना काफी छात्रों का सपना होता है। अगर यह सपना आपके कम पढ़ने या प्रयास से टूटे तो समझ आता है लेकिन जब इस परीक्षा का सपना सरकार की गलत नीति के कारण टूटे तो आपके पास मायूस होने के सिवाय क्या रास्ता बचता है?
12 सितम्बर को तमिलनाडु विधानसभा में नीट परीक्षा का बहिष्कार किया गया। अनीता को आप शायद नहीं जानते होंगे। अनीता तमिलनाडु मे नीट परीक्षा विरोध का सबसे बड़ा दलित चेहरा है। नीट के होने वाले पहले वर्ष में अनीता को बारहवीं में 98% अंक मिले थे फिर भी नीट की परीक्षा में अनीता विफल हुई और उसने आत्महत्या कर ली।
अनीता ऐसी पहली छात्रा नहीं है। वह बचपन से ही आंखों का डॉक्टर बनने का सपना देखा करती थी, लेकिन उस 17 वर्षीय लड़की ने नीट की परीक्षा में असफल होने पर आत्महत्या कर ली। उसका घर वेल्लोर में है। उसकी माँ ने मीडिया को बताया कि उनकी बेटी ने 12वीं की परीक्षा बहुत अच्छे नम्बरों से पास की थी। उनकी बेटी उस दिन बंद कमरे मे रात भर रोई।
उसने सुबह उठकर अपनी माँ को अखबार में दिखाया कि कैसे अन्य राज्यों में नीट परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। सलेम ज़िले के एक गाँव के रहने वाले छात्र ने भी इसी के चलतेआत्महत्या कर ली और ऐसे ही कई छात्र जिन्होंने अपनी आंखों मे एक सपना संजोया था फिर उसके लिए बहुत मेहनत भी की थी, लेकिन उसने नीट के पेपर के लीक होने के बाद एक झटके में सब खत्म सा महसूस किया।
क्या विद्यार्थियों के हितों के खिलाफ है नीट की परीक्षा?
वर्तमान में नीट का मतलब अब अमीरों की पढ़ाई हो गया है। अब नीट के लिए बाज़ार और विद्यार्थियों में महंगे-से- महंगे कोचिंग की होड़ सी मच गई है। तमिलनाडु में तो 500 करोड़ का कोचिंग हब बन चुका है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुख्यमंत्री रहते हुए खुद नीट की परीक्षा का विरोध किया था। नीट 2019 मे सीबीएसई के 75.9% और राज्य बोर्ड से 50.0 प्रतिशत% विद्यार्थी पास हुए थे। एम.के.स्टालिन ने नीट की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को सलाह भी दी थी कि आपकी ज़िन्दगी बहुत बड़ी है, आपको एक एग्जाम में विफल होने से निराश नहीं होना चाहिए।
जब मेहनती छात्रों को किसी अच्छे कॉलेज में प्रवेश नहीं मिलता है तो वे बहुत दुखी होते हैं। तमिलनाडु सरकार ने 104 टेली हेल्प कंसल्टेंसी भी जारी की है। नीट एग्जाम गरीब और राज्य बोर्ड के छात्रों के साथ भेदभाव करता है। इन सभी परीक्षाओं पर पेपर लीक करने वाली गैंग का दबदबा कायम हो चुका है। उसमें कोई दो राय नहीं है कि एनटीए सफलतापूर्वक नीट एग्जाम करवा पाया है। कुछ पैसे वाले और पेपर लीक करने वालों के कारण मेहनत करने वाले बच्चों का बचपन से देखा सपना टूट जाता है और फिर वे अवसाद में आकर गलत कदम उठा लेते हैं।
संसद में गूंजा नीट की परीक्षा का मुद्दा
संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन लोकसभा में नीट परीक्षा का मुद्दा बहुत जोर से गूंजा। डीएमके और सीपीआई (एम) ने लोकसभा में नीट परीक्षा के लेकर छात्रों की आत्महत्या को लेकर कार्यस्थगन का प्रस्ताव दिया। डीएमके सांसद टीआर बालू ने लोकसभा में कहा कि तमिलनाडु बोर्ड के स्टूडेंट्स को नीट परीक्षा के सीबीएसई सिलेबस पर बेस्ड होने के चलते काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि मैं इस सदन का ध्यान उन 12 स्टूडेंट्स के दुख की ओर ले जाना चाहूंगा, जिन्होंने नीट के डर से आत्महत्या कर ली और अपनी ज़िन्दगी समाप्त कर ली। वह सभी स्टूडेंट्स ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते थे, उन्होंने 12वीं कक्षा राज्य बोर्ड से पास की थी और नीट की परीक्षा सीबीएसई सिलेबस पर आधारित होती है।
टीआर बालू ने कहा, “12वीं का रिजल्ट आने के महज़ एक माह के भीतर उन्हें नीट परीक्षा देनी पड़ती है। इसके लिए उन्हें नीट की परीक्षा की तैयारी का कोई समुचित अंदाजा ही नहीं लगा।” सीबीएसई के सिलेबस की उन्हें किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं थी, उन्होंने खुद को असहाय पाया और अपनी ज़िन्दगी समाप्त कर ली। भारत के भविष्य के डॉक्टरों के द्वारा इस तरह से खुदकुशी करने की दुखद घटना पर डीएमके पार्टी के सांसदों ने संसद परिसर में धरना भी दिया। इस दौरान उन्होंने NEET परीक्षा को रद्द करने की भी मांग की।
तमिलनाडु विधानसभा में भी डीएमके विधायकों ने अनोखे अंदाज में नीट के प्रति अपना विरोध दर्ज़ कराया। उनके मास्क पर लिखा था कि ‘बैन नीट सेव तमिलनाडु स्टूडेंट्स’। क्या इन सब प्रदर्शनों के बाद भी गरीब बच्चों का डॉक्टर बनने का सपना पूरा हो पाएगा, अब यह देखने वाली बात होगी कि केंद्रीय सरकार और नीट परीक्षा बोर्ड स्टूडेंट्स के दुखों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों के साथ न्याय करता है या नहीं?