Site icon Youth Ki Awaaz

“भारतीय युवाओं का दिल हो रहा कमज़ोर, हर 33 सेकेंड में हार्ट अटैक से एक मौत”

"भारतीय युवाओं का दिल हो रहा कमजोर, हर 33 सेकेंड में हार्ट अटैक से एक मौत"

एक दौर था, जब दिल की बीमारियों को अधिक उम्र के लोगों के साथ जोड़कर देखा जाता था। युवाओं का दिल तो प्रेम में असफलता के बाद ही टूटा करता था।

बीतते समय के साथ परिस्थितियों में भी बदलाव आया और पता चला कि भारतीय युवाओं का भी दिल कमज़ोर हो रहा है। अब तो वर्तमान में स्थिति यह है कि भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में अधिकतर संख्या युवाओं की है। तमाम सर्वे और आंकड़े अपने आप में चौंकाने वाले हैं।

लोग अक्सर कहते हैं कि दिल से बुरा लगा, दिल खुश हो गया, दिल दुखी हो गया, दिल से प्यार हो गया, दिल टूट गया, दिल रोने लगा आदि-आदि लेकिन ये दिल नहीं दिमाग के काम हैं। हमारे दिल का काम तो पूरे शरीर में नसों के माध्यम से खून पहुंचाना है।

हमारी नसों में खून के मार्ग में किसी भी प्रकार की रुकावट आने पर दिल का दौरा (हार्ट अटैक) आता है। मेडिकल की भाषा में हार्ट अटैक को मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन के नाम से जाना जाता है। दिल का दौरा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आमतौर पर हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियां पूरी तरह से रुक  जाने के कारण अचानक खून की सप्लाई बंद कर देती हैं। 

इससे हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाएं मर जाती हैं। इस स्थिति में अगर मरीज़ को उचित समय रहते उपचार ना मिले तो उसकी मौत होने की संभावना अधिक रहती है।

युवाओं में बढ़ती दिल की बीमारी

हमारे देश भारत में कम उम्र हार्ट अटैक के मामले दिनों-दिन बढ़ रहे हैं। अमेरिका की एक रिसर्च जरनल में छपे लेख के मुताबिक, 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियां हुईं। इसमें से तकरीबन 2.3 करोड़ लोगों की उम्र 40 साल से कम थी, यानि 40 फीसदी हार्ट के मरीज़ों की उम्र 40 साल से कम है।

2018 में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक अध्ययन के अनुसार, अमूमन 50 वर्ष की उम्र के बाद दिल से जुडी हुई बीमारियों के होने की आशंका बढ़ जाती है लेकिन बीते एक दशक में यह उम्र 50 से घटकर 40 वर्ष हो गई है। 

वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी मेहता का कहना है कि भारत में हर साल करीब 20 लाख लोग दिल के दौरे से पीड़ित हैं, जिनमें ज़्यादातर युवा हैं।

देश के स्वास्थ्य तंत्र की सच्चाई आंकड़ों की जुबानी

हमारे देश भारत में दिल से जुड़ी बीमारियां और हार्ट अटैक के आंकड़े हमें एक डरावनी कहानी बताते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के रिपोर्ट के अनुसार, ‘यदि हम साल-दर-साल हार्ट अटैक से मरने वालों के आंकड़े देखें तो भारत में वर्ष 2014 में 18309, 2016 में 21,914, 2017 में 23,249, 2018 में 25,764 और 2019 में 28,005 लोगों की हार्ट अटैक से मौत हुई है यानि साल 2014 से 2019 के इन 5 सालों में देश में हार्ट अटैक के मामलों में 53 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।’ 

हर 33 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत

2018 में डब्ल्यूएचओ की ओर से जारी एक रिपोर्ट के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इस रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भारत में दिल के दौरे से हर 33 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। भारत में हर साल करीब 20 लाख लोग दिल के दौरे से पीड़ित रहते हैं, जिनमें ज़्यादातर युवा हैं।’ वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मुकाबले शहरी लोगों में दिल के दौरे की संभावना 3 गुना अधिक होती है।

युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों के पीछे के मुख्य कारण

हमारे बदलते वक्त के साथ बदलती हुई हमारी आधुनिक जीवन शैली हृदय की बीमारियों का मुख्य कारण नज़र आती है। वर्तमान में युवाओं की खराब लाइफस्टाइल, तनाव, नशीली चीज़ों का उपयोग, फिजिकल एक्टिविटी नहीं करना और खुद के लिए वक्त नहीं निकाल पाने का असर है कि आज भारत के युवाओं में दिल की बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं।

यह रिपोर्ट बताती है कि पिछले 2 सालों में भारत के युवाओं में दिल की बीमारियां तेज़ी से बढ़ी हैं। ऑनलाइन पढ़ाई और वर्क-फ्रॉम-होम के कारण युवाओं को घंटों एक ही जगह बैठ कर काम करना होता है, इससे भी उनकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

जानकारी ही प्रथम उपचार

सीने में दर्द की शिकायत हृदय से संबंधित रोगों का प्रमुख लक्षण है लेकिन अक्सर देखा जाता है कि लोग सीने के दर्द को गैस या एसिडिटी समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

एक सर्वेक्षण के मुताबिक, ‘भारत में हृदय रोग के 50 प्रतिशत से अधिक रोगी केवल आपात स्थिति में ही चिकित्सकीय सलाह लेते हैं, जिससे स्थिति के बारे में जागरूकता की कमी का पता चला है। हृदय रोग विशेषज्ञों का भी कहना है कि भारत में हृदय रोग की महामारी को रोकने का एकमात्र तरीका लोगों को इसके बारे में शिक्षित करना है वरना आने वाले समय में यह स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।’

भारतीयों का दिल बड़ा तो है लेकिन समस्या उनके दिल के कमज़ोर होने की है। विश्व के सबसे युवा देश के युवाओं को आज आवश्यकता है कि दिल में होने वाली बीमारियों को दिल से बाहर निकालें और ऐसा तब होगा जब वे अपनी आधुनिक जीवनशैली में सुधार करेंगे, धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएंगे, फिजिकल एक्टिविटी और सबसे ज़रूरी अपने लिए वक्त निकालेंगे। हिंदुस्तानी युवाओं का दिल धड़कता रहना चाहिए, क्योंकि एक शांत सन्नाटा उसके बाद आने वाले एक बड़े खतरे से पहले की आहट होती है।

_____________________________________________________________________________________________________

नोट- मनोज, YKA राइटर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम सितंबर-अक्टूबर 2021 बैच के इंटर्न हैं। वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के मास कॉम के कोर्स में अध्ययनरत हैं। इन्होंने इस आर्टिकल में,वर्तमान में हमारी आधुनिक जीवनशैली के चलते युवाओं में तेज़ी से बढ़ती हृदय से जुड़ी हुई बीमारियों के कारणों एवं इसके सम्बन्धित आंकड़ों पर प्रकाश डाला है।

Exit mobile version