दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कई कॉलेजों की पहली कटऑफ 100 प्रतिशत आई है और वह सभी स्टूडेंट्स, जिन्होंने 12वीं में 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं, वे मायूसियत का सामना कर रहे हैं। ज़्यादातर स्टूडेंट्स को लगने लगा है कि अब उन्हें डीयू में दाखिला मिलना नामुमकिन है।
डीयू के 100 प्रतिशत कटऑफ पाने वाले कॉलेज
10 स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के कई प्रमुख कॉलेज, जैसे श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी), हिंदू, रामजस, हंसराज और खालसा कॉलेज में पहली कटऑफ की सूची में कटऑफ 100 प्रतिशत जारी की गई है।
स्टूडेंट्स की बोर्ड रिज़ल्ट्स में बिना परीक्षा दिए 95 प्रतिशत अंक पाने की खुशी डीयू की पहली कटऑफ के साथ थम गई।
टॉप फोर में 99.5 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले राघव कहते हैं, “मै अर्थशास्त्र (ऑनर्स) एसआरसीसी कॉलेज से करना चाहता था मगर अब इस पाठ्यक्रम के लिए मैं किरोड़ी मल कॉलेज में सीट आरक्षित करूंगा। उम्मीद करता हूं कि दूसरी या तीसरी कटऑफ में प्रतिशत कम हो जाए और मुझे मेरे सपनों का कॉलेज मिल जाए।
इसी तरह चंडीगढ़ की भविका ने 95.5 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं और वो लेडी श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स या एसएसआरसी में अर्थशास्त्र करना चाहती हैं और उन्होंने कहा कि उन्हें डीयू की कटऑफ देखकर यह लग रहा है कि उनका यह सपना अधूरा रह जाएगा।
बता दें कि उन्होंने ईसीए कोटा से आवेदन किया है जिसके अंतर्गत उन्हें विभिन्न कोटा की सीटें भरने के बाद दाखिला मिलेगा। उन्होंने पुणे में भी दाखिला लिया है लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता दिल्ली विश्वविद्यालय ही है।
जहूर ने दिल्ली कॉलेज की कटऑफ पर कहा, “कटऑफ बहुत ज़्यादा हैं और मैं कॉलेजों में पहली सूची में दाखिला नहीं ले सकूंगी मगर आर्यभट्ट कॉलेज और देशबंधु कॉलेज में मुझे दाखिला मिल सकता है। अगर इसके बाद मैं चाहूं तो सूची के विषयों में बेहतर अंक प्राप्त कर उन कॉलेजों में दाखिला ले सकती हूं।”
स्टूडेंट्स को दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने दी तसल्ली
आ.भा. देव हबीब दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) की कोषाध्यक्ष ने कहा है कि स्टूडेंट्स को ऐसे मायूस नहीं होना चाहिए और इंतज़ार करना चाहिए आगे के कटऑफ का।
इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर विमेन की प्रधानाध्यापिका डॉ. बबली मोइत्रा सराफ ने कहा है कि पहली सूची की कटऑफ में बारी ना आने पर स्टूडेंट्स को बिल्कुल भी मायूस नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘”पहली और दूसरी कटऑफ ज़्यादा होती है, क्योंकि कॉलेज अधिक संख्या में दाखिला का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। नियम के मुताबिक, कटऑफ के हिसाब से अंक हासिल करने वाले हर स्टूडेंट को सीटों की संख्या के बाद भी समायोजित कर लिया जाएगा।”