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“कोविड टीकाकरण में सरकार की लचर कार्यप्रणाली और कुव्यवस्था से उपजी परेशानियां”

कोविड टीकाकरण में सरकार की लचर व्यवस्था और कुव्यवस्था से उपजी परेशानियां

कोविड टीकाकरण के महाअभियान में अब भारत करीब 100 करोड़ डोज पूरी करने के काफी करीब है। देश में टीकाकरण के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, टीकाकरण का आंकड़ा 97 करोड़ को पार कर चुका है, जो कुछ ही दिनों में 1 अरब को पार कर जाएगा तो कितना आसान रहा हमारा अब तक का सफर और इस सफर में क्या चुनौतियां रहीं इस लक्ष्य को हासिल करने में डालते हैं उन पर एक नज़र।

भारत में कब हुई टीकाकरण की शुरूआत

भारत में 16 जनवरी, 2021 को 3 करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों सहित कोरोना से लड़ रहे अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं को प्राथमिकता देते हुए देश में टीकाकरण की शुरूआत हुई, फिर 45 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को कोरोना  से अधिक खतरे की आंशका को देखते हुए टीकाकरण का सफर जारी रहा।

आज देश में 18 या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविसील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतिनक वी समेत पांच तरह के टीकों को भारत सरकार की ओर से मंजूरी मिल गई है लेकिन सरकार की ओर से देश के आम जनमानस को कोविसील्ड और कोवैक्सीन नामक टीके ही मुफ्त में उपलब्ध करवाए गए हैं, जिनकी दोनों खुराक देश में ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर अलग-अलग स्वास्थ्य केन्द्रों में दी जा रही हैं। 

टीकाकरण में क्या है चुनौतियां?

सरकार की ओर से आम जनमानस के लिए टीकाकरण और कोरोना जांच के लिए तमाम व्यवस्थाएं की गईं थीं। मगर उन व्यवस्थाओं की पोल समय-समय पर खुलती रही है।

कहीं फर्जी कोरोना जांच की रिपोर्ट तो कहीं बिना टीका लगे ही प्रमाण पत्र की प्राप्ति जैसी तमाम शिकायतों की खबरें बीच में आती रहीं। बिहार के पूर्वी चम्पारण ज़िले के सुगौली प्रखण्ड के रहने वाले अफजल आलम टीकाकरण को लेकर अपने अनुभव साझा करते हुए बताते हैं, “बिहार में टीकाकरण की व्यवस्था बिल्कुल संतोषजनक नहीं है। मैंने टीके की पहली खुराक बिहार में ली थी और इसके बाद मैं काम के सिलसिले में दिल्ली चला गया था। 

जहां मैं तीन महीने बाद टीके की दूसरी खुराक लेने दिल्ली के एक स्वास्थ्य केन्द्र पर गया, तो वहां पता चला कि मेरे आधार कार्ड पर मेरी व्यक्तिगत जानकारी ही उपलब्ध नहीं है.और संयोग से उस समय वह मोबाईल न० मेरे पास मौजूद नहीं था, जिससे मैंने टीके का पंजीकरण किया था।

ऐसे में सवाल यह है कि मैं क्या करूं? अगर मैं दूसरे नंबर से पंजीकरण करता हूं, तो मुझे दोनों डोजों के प्रमाण-पत्र नहीं मिल पाएंगे। मैं फंस गया हूं, बतौर पत्रकार मेरी कई लोगों से बातचीत होती है। कई लोग ऐसे भी हैं, जो बिना टीका लिए ही प्रमाण पत्र पाना चाहते हैं।”

कुव्यवस्था से आम जनमानस को हो रहीं परेशानियां

मेरे भी अनुभव कुछ इसी प्रकार रहे हैं। मैंने भी कोरोना का टीका निर्धारित अंतराल पर सजगता से लिया था, लेकिन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मेरी दूसरी डोज का प्रमाण-पत्र समय पर जारी नहीं किया गया, जिस कारण जब मैंने वेबसाइट से प्रमाण-पत्र डाउनलोड करने का प्रयास किया, तो बेवसाइट पर मेरी दूसरी खुराक बाकी दिखाई दे रही थी।

इस पर जब मैंने हेल्पलाइन नंबर पर इसके बारे में पूछा, तो उन्होंने अस्पताल जाकर अपना आधार कार्ड जमा करने और दूसरी डोज को पूरा करवाने के लिए कहा और मुझे यह सब सिर्फ अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण करना पड़ा। 

इस सब के बावजूद भी मुझे सही रूप से टीके का प्रमाण-पत्र नहीं मिल सका, क्योंकि मैंने टीके की दूसरी खुराक तीन महीने के अंतराल पर ले ली थी, जबकि प्रमाण-पत्र में यह अंतराल चार महीने से ऊपर का अंकित था। यही समस्या कई और लोगों के साथ भी हुई है।

टीके के प्रमाण पत्र से संबधित अपने अनुभव बताती हुई स्नेहा राज कहती हैं, “मुझे पहली डोज के बाद प्रमाण-पत्र डाउनलोड करने में दिक्कत हुई थी। इसलिए मैंने दूसरी डोज लेते वक्त काउंटर पर उन्हें यह बात बताई, तो उन्होंने तुरंत मुझे दोनों डोज लेने का प्रमाण-पत्र जारी कर दिया।” 

ऐसे में सवाल यह है कि अगर मैं टीका लिए बगैर घर वापस आ जाती, तो क्या मैं पूरी तरह से टीकाकरण से युक्त  मानी जाती ? यह सवाल उलझन पैदा करता है, क्योंकि कागज़ी तौर पर यह बात सही साबित होती लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है।

सरकार को इन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए, ताकि कोविड से सम्बन्धित सही-सही आंकड़े एकत्रित किए जा सकें और अनुसंधान की प्रक्रिया में उनका उपयोग किया जा सके। वर्तमान में टीकाकरण की प्रक्रिया में, जो हो रहा है, हमें उसे गंभीरता से लेने की ज़रूरत है और बिना पूर्ण टीकाकरण के सरकार द्वारा प्रमाण-पत्र जारी नहीं किए जाने चाहिए।

नालंदा ज़िले के हिलसा प्रखण्ड के प्रभारी सुरेश चौधरी कहते हैं, “यह बात ठीक है कि कुछ मामलों में प्रमाण-पत्र जारी करने में दिक्कत हुई है, जिसका कारण काम का अधिक भार होना है। एक बार प्रमाण पत्र में देरी हो जाए, तो फिर उसे वापस टीका लेने की तारीख के अनुसार जारी करना संभव नहीं है।”

हालांकि, उत्तरप्रदेश के अयोध्या के रहने वाले दीपांकर का अनुभव अच्छा रहा है। वे बताते हैं कि मैंने टीके की दोनों डोज ले ली हैं। मुझे बीच में कोरोना संक्रमण का सामना भी करना पड़ा लेकिन स्वास्थ्य केन्द्र पर डाक्टर के परामर्श एवं उचित दवाइयों से अब मैं पूरी तरह से ठीक हूं।

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नोट- आकाश, YKA राइटर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम सितंबर-नवंबर 2021 बैच के इंटर्न हैं। इन्होंने इस आर्टिकल में, वर्तमान में कोरोना टीकाकरण में सरकार की लचर व्यवस्थाओं एवं आम जनमानस को इसके चलते किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा है, इस पर प्रकाश डाला है।

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