कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की पढ़ाई पर तो असर पड़ा ही है और इसके साथ ही उनका वार्षिक कैलेंडर भी प्रभावित हुआ है। ज़्यादातर विश्वविद्यालयों में अगस्त से जून के महीने तक शैक्षिक वर्ष चलता था लेकिन पिछले 2 वर्षों से लॉकडाउन के कारण विभिन्न विश्वविद्यालयों की निश्चित समय पर प्रवेश परीक्षा भी आयोजित नहीं हुई है और दोनों ही साल नए सत्र अक्टूबर और नवंबर के महीने में शुरू करने पड़े हैं। इसके अलावा कई यूनिवर्सिटीज़ में सेमेस्टर परीक्षाओं में भी हुई देरी से अधिकांश छात्र प्रभावित हुए खासकर वह छात्र जो ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्स में दाखिला लेने के लिए अपने रिजल्ट का इंतज़ार कर रहे हैं।
दरअसल, विश्वविद्यालय में लगातार पढ़ाई तो चल ही रही है लेकिन यूजीसी के निर्देशों के चलते कई यूनिवर्सिटीओं में ऑनलाइन सेमेस्टर परीक्षाएं दिवस आयोजित हुई जिसके पश्चात उनके रिजल्ट भी देरी से जारी हो रहे हैं।
जामिया मिलिया इस्लामिया में नहीं जारी हुए हैं सेमेस्टर परीक्षाओं के नतीजे
अमूमन जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में सेमेस्टर परीक्षाओं का आयोजन मई के महीने में किया जाता है लेकिन कोरोना की दूसरी लहर और यूजीसी की गाइडलाइन की वजह से परीक्षाओं को जून के महीने में आयोजित किया गया था मगर सितंबर के आखिर तक भी जामिया प्रशासन अंतिम वर्ष के परीक्षार्थियों के रिजल्ट जारी नहीं कर पाया है।
कई छात्र जो पोस्टग्रेजुएशन के लिए एडमिशन लेना चाहते हैं, उन्हें इसके चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, क्योंकि एडमिशन लेने के कुछ ही दिन बाद दूसरे विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया के लिए अंतिम कोर्स की मार्कशीट देना ज़रूरी होता है अन्यथा एडमिशन कैंसिल भी किया जा सकता है।
जामिया मिलिया विश्वविद्यालय से बीएससी अप्लाइड मैथमेटिक्स कर रहे छात्र दीपांशु तोमर एमएससी के लिए अप्लाई कर चुके हैं लेकिन देरी से जारी हो रहे रिजल्ट की वजह से उन्हें चिंता है कि कहीं उन्हें आगे चलकर किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े।
ऑनलाइन सेमेस्टर की वजह से कई छात्रों की कॉपियां भी एग्जामिनेशन सेंटर तक निश्चित समय पर पहुंच नहीं पाईं थी, जिसकी वजह से कई छात्रों के रिजल्ट रुक भी गए हैं। अभी तक यूनिवर्सिटी ने पांचवें/ तीसरे सेमेस्टर एग्जाम के नतीजे निकाले हैं, जिसमें दो हज़ार से ज़्यादा छात्रों की कॉपी एग्जामिनेशन सेंटर तक नहीं पहुंच पाई और फाइल अपलोड नहीं होने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उन्हें फेल कर दिया गया है।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के अंग्रेज़ी पत्रकारिता कोर्स के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र राजीव नयन चतुर्वेदी को भी अपने रिजल्ट का इंतज़ार है। वह जामिया के छात्र रहे हैं और ऑनलाइन एग्जाम में फाइल ना अपलोड होने के कारण उन्हें तीन सब्जेक्ट में फेल कर दिया गया है।
रिजल्ट में देरी से छात्रों को हो सकता है 1 वर्ष का नुकसान
देश के कुछ विश्वविद्यालयों में प्रवेश की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है तथा कुछ जगह यह अपने अंतिम दौर में है। ऐसे में अगर विश्वविद्यालय सेमेस्टर और प्रवेश परीक्षा के नतीजों में देरी लगाता है तो छात्रों को 1 वर्ष का नुकसान हो सकता है, क्योंकि वह टाइम पर अन्य विश्वविद्यालयों में दाखिला नहीं ले पाएंगे और प्रवेश की प्रक्रिया में असमर्थ रहेंगे।
मौजूदा दौर में, जहां कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा के कारण थोड़ा बहुत नुकसान हुआ है। वहां अगर विश्वविद्यालय अपनी कार्यशैली को धीमा रखते हैं तो इसका सीधा असर छात्रों के भविष्य पर पड़ सकता है। ऐसे में यूजीसी को चाहिए कि एक समान समय पर तारीख से निर्धारित कर कर सभी यूनिवर्सिटीओं में प्रवेश की प्रक्रिया को समान समय पर चलाया जाए जिससे लेट रिजल्ट का असर विद्यार्थियों के भविष्य पर ना पड़े।
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नोट- अब्दुल्लाह, YKA राइटर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम सितंबर-अक्टूबर 2021 बैच के इंटर्न हैं। इन्होंने इस आर्टिकल में, वर्तमान में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के परिणाम देरी से जारी होने के कारण विद्यार्थियों को नए कोर्सेज में दाखिले के लिए किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इस पर प्रकाश डाला है।