भारत में आए दिन होने वाले सड़क हादसों में पुलिस की अनावश्यक पूछताछ के कारण ज़्यादातर लोग घायलों की मदद के लिए आगे नहीं आते हैं, जिसकी वजह से घायल व्यक्ति को समय पर उपचार नहीं मिल पाता है और वह रास्ते में ही अपनी दम तोड़ देता है।
सेव लाइफ फाउंडेशन द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2016 में नोटिफिकेशन जारी कर “गुड़ सेमेरिटन लॉ” एक्ट लागू किया। इस एक्ट को लागू हुए आज लगभग पांच साल से भी अधिक का समय बीत चुका है लेकिन 90 प्रतिशत लोग आज भी इस नए कानून से अंजान हैं।
इसलिए शायद यही कारण है कि ज़्यादातर लोग पुलिस द्वारा की जाने वाली सख्त पूछताछ और कोर्ट कार्यवाही से बचने के चक्कर में रोड़ एक्सीडेंट का शिकार होने वालों को तड़पता हुआ छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं या फिर तमाशबीनों में शामिल होकर उनकी मौत का नज़ारा देखते रहते हैं लेकिन घायल व्यक्ति को अस्पताल तक नहीं पहुंचाते हैं तो चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानते हैं कि क्या है यह “गुड सेमेरिटन लॉ” और इसे लागू करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशा-निर्देश
देश में रोजाना रोड़ एक्सीडेंट में होने वाली मौतों को रोकने व घायलों को समय से उपचार मिल सके इसके लिए सेव लाइफ फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने रिट याचिका (सिविल) संख्या 235/ 2012 में सेव लाइफ फाउंडेशन और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य के मामले में सुनवाई करते हुए 29 अक्टूबर 2014 के तहत अन्य बातों के साथ-साथ केंद्रीय विधान मंडल द्वारा उचित विधि निर्माण किए जाने तक गुड सेमेरिटन के बचाव के सम्बंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश केंद्र सरकार को पारित किए।
केन्द्रीय सरकार ने सड़क पर किसी घायल अथवा पीड़ित व्यक्ति की सहायता करने वाले गुड सेमेरिटन, जो एक बाईस्टैंडर अथवा राहगीर हो सकता है के बचाव के लिए भारत के राजपत्र भाग-1, खंड- 1 में दिनांक 12 मई 2015 को प्रकाशित किए जिसके पैरा संख्या- 1 (7) और (8) के तहत पुलिस द्वारा अथवा ट्रायल के दौरान गुड सेमेरिटनों के लिए जारी की गई मानक संचालन प्रक्रिया में-
गुड सेमेरिटन से सम्मानपूर्वक और लिंग, धर्म, राष्ट्रीयता, जाति या अन्य किसी आधार पर बिना भेदभाव के व्यवहार किया जाएगा। किसी प्रत्यक्षदर्शी के अलावा कोई व्यक्ति, जो किसी दुर्घटना में घायल व्यक्ति अथवा मृतक के बारे में सूचना देने के लिए पुलिस नियंत्रण कक्ष अथवा पुलिस थाने में कॉल करता है, को पूरा नाम, पता, फोन नंबर आदि जैसा व्यक्तिगत विवरण देने की आवश्यकता अब नहीं है।
गुड सेमेरिटन यानी कि अच्छा मददगार बनें
परिवहन विभाग फिरोजाबाद के सम्भागीय निरीक्षक (प्राविधिक) हरिओम ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग या बीच सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं में चाहते हुए भी लोग किसी की मदद नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण, बहुत से ऐसे लोगों की भी मृत्यु हो जाती है, जिन्हें समय रहते उपचार मिल जाए तो उनकी अनमोल ज़िन्दगी को बचाया जा सकता है।
दुर्घटना के समय इंसानियत के नाते तत्काल लिया गया आपका एक निर्णय और किया गया एक छोटा सा प्रयास किसी अंजान व्यक्ति के परिवार को संरक्षण और खुशियां दे सकता है। इस एक्ट के लागू होने के बाद मदद करने वाले व्यक्ति को पुलिस या अस्पताल प्रशासन द्वारा अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाता है। इसलिए सड़क दुर्घटना में घायल किसी व्यक्ति की मदद करने में आपको बिल्कुल भी नहीं घबराना चाहिए।
यदि आपको कुछ भी समझ में ना आए तो तत्काल राष्ट्रीय राजमार्ग आपातकाल हेल्पलाइन नंबर- 1033, एम्बुलेंस हेल्पलाइन नंबर – 108 या फिर पुलिस हेल्पलाइन नंबर- 112 पर कॉल कर सूचना देनी चाहिए जिससे घायलों की समय से मदद की जा सके।
यह हैं, सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी निर्देश
● मदद करने वाले व्यक्ति को अपराधी नहीं माना जाएगा।
● मेडिकल खर्च के लिए कोई मांग नहीं की जाएगी।
● चश्मदीद गवाह या बाय स्टेंडर्स से पुलिस एक ही बार पूछताछ करेगी।
● व्यक्तिगत जानकारी देना या अस्पताल में रुकना आवश्यक नहीं है।
● परेशानी मुक्त कोर्ट कार्यवाही यानी कि सहायता करने वाले व्यक्ति को कोर्ट में जाने की बाध्यता नहीं होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी प्रोत्साहन योजना
देश में आए दिन होने वाले रोड़ एक्सीडेंट में घायल लोगों की सहायता करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने और जनसामान्य को जागरूक करने के उद्देश्य से शुरू की गई उत्तर प्रदेश सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना “गुड सेमेरिटन” के अंतर्गत जो भी सड़क दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति की तुरंत अस्पताल पहुंचाने में मदद करता है अथवा गोल्डन हॉवर्स के दौरान (उसी समय) एक्सीडेंट की सूचना पुलिस विभाग, परिवहन विभाग और चिकित्सा विभाग को देता है तो उसे प्रोत्साहन स्वरूप एक मुश्त 2000 रुपये की राशि पुरस्कार स्वरूप सरकार द्वारा दी जाती है।