आज हम आपको समय-समय पर विभिन्न संगठनों के द्वारा भारत बंद का ऐलान करने पर सम्पूर्ण भारत में कितना नुकसान होता है और इससे आम जनमानस के सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? इसके बारे में बताएंगे-
देश में समय-समय पर मौजूदा सरकार के विरुद्ध विभिन्न विपक्षी पार्टियां चुनाव के समय विभिन्न मुद्दों पर धरना प्रदर्शन, शहर बन्द, रोडवेज बन्द, ट्रेन बन्द सरकारी कामकाज और कभी-कभी तो भारत बन्द करने का आह्वान करती हैं। ऐसा करने पर आम जनमानस पर कभी-कभी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और सरकार का परिवहन के द्वारा आयात-निर्यात, पेट्रोल-डीजल व फैक्ट्रियों में तैयार होने वाली वस्तुओं पर रोक की वजह से देश को रोज़ाना अरबों रुपये का नुकसान होता है।
आम जनमानस पर पड़ने वाले प्रभाव
देश में, जो व्यक्ति रोज़ाना मज़दूरी करने जाते हैं इससे उनकी उस दिन की मज़दूरी खत्म, उनके परिवार को खाने-पीने की परेशानी, किसी बीमार व्यक्ति को वाहन के द्वारा ले जाने पर सड़क या चक्का जाम की वजह से उस बीमार व्यक्ति के साथ कुछ भी अनहोनी होने की आशंका बनी रहती है। सरकार पर इस बन्द का कितना असर होता है यह तो समय ही बताएगा? लेकिन आम जनमानस पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
हम मानते हैं कि सरकार और विभिन्न संगठनों के बीच अनेक मुद्दों पर सामंजस्य नहीं बैठता है लेकिन क्या उन मुद्दों पर सामंजस्य बैठाने का केवल एक यही उपाय है कि हम चक्का जाम करें, ट्रेनें रोकें, रोडवेज बन्द करें या भारत बंद करें, हम अपने मुद्दों पर सरकार से बात कर सकते हैं।
सरकार अगर बात नहीं मानती है तो शांतिपूर्ण तरीकों से धरना-प्रदर्शन कर सकते हैं बिना किसी उत्पात के, क्योंकि जब कोई भी धरना-प्रदर्शन किया जाता है तो कुछ उत्पाती युवक इन प्रदर्शनों में उत्पात मचाने का भी कार्य करते हैं, जिससे कभी-कभी यह प्रदर्शन बहुत उग्र रूप ले लेता है और इस में सरकार और आम जनता को जान- माल की बहुत हानि होती है।
सभी देशवासियों को कोई भी धरना-प्रदर्शन या चक्का जाम करने से पहले इन सभी बिंदुओं पर भी गौर करना चाहिए और फिर इसका निर्णय लेना चाहिए। इसके साथ इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि भीड़ किसी बात को लेकर उग्र ना हो और बिना वजह उत्पात ना मचाए।