खेल और मनोरंजन जीवन का अहम भाग है। खासकर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों का महत्व ज़्यादा है। खेलों के माध्यम से गाँव के लोग इकट्ठा होते हैं और एक दूसरे के साथ वक्त बिताते हैं और मज़े करते हैं।
पीढ़ियों से चला आ रहा सरपट का खेल
छत्तीसगढ़ के कोरिया ज़िले में भी ऐसे कई खेल है, उनमें से एक है सरपट का खेल। यह खेल कई पीढ़ियों से चलता आ रहा है और आज भी लोग इसे बड़े मज़े से खेलते हैं।इस खेल में दो टीम शामिल होती हैं और टीमों के नाम टीम ए (A) और टीम बी (B) रखे जाते हैं।
खेल का एक कप्तान होता है, जो सब खिलाड़ियों को एक लाइन में खड़ा करके दो टीमों में बांट देता है। इस खेल के लिए मैदान पर चार खाने (डब्बे) बनाए जाते हैं और चार खानों के बीच में एक गोल आकर भी बनाया जाता है।
इस मैदान की लंबाई 14 मीटर और चौड़ाई भी 14 मीटर होनी चाहिए और अंदर के डब्बे 7 मीटर के होते हैं।
इसमें दो प्रकार के खिलाड़ी होते है कैचर और रेडर। कैचर डब्बे के बाहर बनायी हुई पट्टी पर खड़े रहते हैं और रेडर डब्बे के अंदर रहते हैं। एक टीम को डब्बों के अंदर खड़ा किया जाता है और एक टीम डब्बों की पट्टियों पर खड़े रहते है।
खेल में खानों के अंदर खड़ी हुई टीम (रेडर) को एक डब्बे से दूसरे डब्बे में जाना होता है। कैचर को इन खिलाड़ियों को पट्टियों पर खड़े होकर पकड़ना होता है। खेल के सभी रेडर को कैचर की पकड़ से बचकर हर डब्बे में जाना पड़ता है। अगर एक भी रेडर पकड़ा गया, तब उस टीम को कैचर बनना पड़ता है।
डब्बे के अंदर के खिलाड़ी डब्बे के बाहर नहीं जा सकते, सिर्फ़ एक डब्बे से दूसरे डिब्बे में ही जा सकते है। ऐसे खेलते है छत्तीसगढ़ के मेरे गाँव में सरपट का खेल। क्या आपके यहां भी यह खेल खेलते है? उसे किस नाम से जाना जाता है?
यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, और इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है।