क्या किसी को पता था कि एक दिन दुनिया में एक ऐसी महामारी का जन्म होगा, जो लोगों के जनजीवन को अस्त-वयस्त कर देगी। जी हां, हम बात कर रहे हैं कोरोना महामारी की, जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया। कोरोना वायरस ने भारत में पिछले साल 1 फरवरी को 2020 को दस्तक दी थी।
देश में पहला मामला आने के बाद सरकार ने इसे हल्के में ले लिया। समय बढ़ता गया और कोरोना वायरस धीरे-धीरे पैर पसारता गया। इसका नतीजा यह निकला कि कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण देश में लॉकडाउन लगाया गया। जब भारत में लॉकडाउन लगाया गया, तब देश के प्रधानमंत्री ने दिल्ली से ऐलान किया था कि लॉकडाउन के कारण किसी भी वर्ग को परेशानी का सामना ना करना पड़े। लोगों ने घर से काम करना बंद कर दिया, औद्योगिक धंधे बंद हो गए। इसके साथ-साथ बच्चों के स्कूल और स्टूडेंट्स के कॉलेज बंद हो गए।
दिल्ली से प्रधानमंत्री सहित सरकार के तमाम बड़े नेताओं ने ऐलान किया था कि लॉकडाउन में स्टूडेंट्स की पढ़ाई रुकनी नहीं चाहिए। सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों को आदेश दिया कि स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की जाए। हालांकि, स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था भी की लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और भी कह रही है। कोरोना के कारण स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा है। चलिए नज़र डालते हैं इन समस्याओं पर।
आपसी जुड़ाव में आई कमी
कोरोना वायरस को लेकर सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए थे कि सभी लोग सामाजिक दूरी का पालन करें। ऐसे में दो गज़ की दूरी ने स्टूडेंट्स को उनके दोस्तों से होने वाले आपसी जुड़ाव को रोका। महामारी के कारण देश के सभी अभिभावक दबाव और चिंता में थे, जिसके कारण घर में भी अच्छा वातावरण नहीं बन सका और विद्यार्थी अपने मित्रों से दूर होकर सामाजिक दूरी का एहसास किया, जिससे मानसिक तनाव में वृद्धि हुई।
कुछ बातें ऐसी होती हैं, जिन्हें हम अपने माता-पिता से शेयर नहीं कर सकते लेकिन अपने मित्र मंडली में ज़रूर शेयर कर सकते हैं मगर कोरोना ने ये सब हम से छीन लिया। ना स्कूल, ना कॉलेज, सिर्फ घर में बंद इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ रहना विद्यार्थियों की मजबूरी बन गई थी।
मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा गहरा असर
कोरोना के दौरान वैसे तो सभी ने मानसिक तनाव झेला है, चूंकि आज मैं बात सिर्फ विद्यार्थियों पर कर रहा हूं, तो आपको बता दूं कोरोना के कारण सारा दिन एक कमरे में बंद होने के कारण विद्यार्थी मानसिक रूप से दबाव में रहें। उनकी शारीरिक गतिविधियों में भी बहुत कमी आई। कोरोना में ऑनलाइन कक्षा का आयोजन किया गया, जिसके कारण विद्यार्थी अपना ज़्यादा समय तकनीकी उपकरणों के साथ व्यतीत कर रहे थे।
परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों की सेहत पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा। विशेष रूप से आंखों पर भी बुरा असर पड़ रहा है, जिससे विद्यार्थी मानसिक रूप से दबाव में थे। प्रतिदिन विद्यालय आने से विद्यार्थियों की एक सुनिश्चित दिनचर्या होती थी मगर कोरोना में ऑनलाइन कक्षा के कारण विद्यार्थी अपनी दिनचर्या का पालन नहीं कर पाते, जिसका सीधा प्रभाव उनके मानसिक विकास पर पड़ता था।
लड़कियों के लिए ऑनलाइन शिक्षा बनी चुनौती
शिक्षा पर काम करने वाली संस्था, राइट टू एजुकेशन फॉर्म ने सेंटर फॉर बजट एंड पॉलिसी स्टडीज़ और चैंपियन फॉर गर्ल्स एजुकेशन के साथ मिलकर देश के 5 राज्यों में एक अध्ययन किया है, जिसके मुताबिक कोरोना के कारण स्कूली लड़कियों की पढ़ाई पर बहुत भी प्रतिकूल असर पड़ा है।
घर पर कंप्यूटर या पर्याप्त संख्या में मोबाइल ना होने के कारण जहां ऑनलाइन पढ़ाई में लड़कों को लड़कियों से अधिक प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं कोरोना के कारण हुए आर्थिक तंगी के कारण लड़कियों की पढ़ाई छूटने का डर भी शामिल हो गया है।
मैपिंग द इंपैक्ट ऑफ कोविड-19 नाम से यह अध्ययन उत्तर प्रदेश के 11, बिहार के 8, असम के 5, दिल्ली और तेलंगाना के 4 ज़िले के 3176 परिवारों में किया गया था। आर्थिक तौर पर कमज़ोर इन परिवारों से बातचीत के दौरान लगभग 70% लोगों ने माना कि कोरोना वायरस के बाद उनके घर में आर्थिक तंगी हुई और उनके पास खाने को भी पर्याप्त नहीं बचा। ऐसे हालात में ये परिवार बच्चों की पढ़ाई, खासकर लड़कियों की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी उठाने की स्थिति में नहीं है।
क्या कहते हैं अनुभव
आगरा से बीएड की पढ़ाई करने वाली प्रीति त्यागी का कहना है, “कोरोना ने मेरे जीवन को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है, जैसा कि हम जानते हैं लॉकडाउन के दौरान सब कुछ बंद हो गया था। मैं एक शिक्षक बनने की तैयारी कर रही थी लेकिन कोरोना के कारण मुझे नौकरी नहीं मिली। नौकरी ना मिलने की वजह से मैं अपने छोटे भाई के लिए कुछ नहीं कर पा रही हूं।”
वहीं, आगरा से एलएलबी के स्टूडेंट आकाश वर्मा का कहना है कि मैं गवर्नमेंट जाब्स के साथ-साथ अपनी एलएलबी की पढ़ाई कर रहा था। कोरोना से पहले हम रोज़ की तरह कॉलेज और कोचिंग जाते थे लेकिन कोरोना आने के बाद सब कुछ बंद हो गया। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में घर में परिवार के लोगों के साथ पढ़ाई करना मुश्किल हो रहा था और वो कोरोना के कारण अपने करियर को लेकर तनाव में थे।
नोट: मोहन, YKA राइटर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम सितंबर-अक्टूबर 2021 बैच के इंटर्न हैं, जिन्होंने स्टूडेंट्स से बात कर यह जानने की कोशिश की है कि कोविड-19 का प्रभाव उन पर कैसा पड़ा है।