Site icon Youth Ki Awaaz

सुलतान मोहम्मद फतेह के बारे में कुछ रोचक तथ्य

#सुल्तान_मुहम्मद_फ़ातेह सल्तनत ए उस्मानिया के सातवाँ हुक्मरान बने, इनकी उम्र इक्कीस (21) बरस थी, इक्कीस बरस की उम्र में वह पाँच ज़बानों का ईल्म हासिल कर चुके थे, और जंग और अमन दोनों किस्म के हालात का गहरा तजुर्बा रखते थे, इनका हौसला जवान और अज़्म बुलन्द था,

एक शहर की तसखीर (फ़तह) जिसकी पेशगोई #नबी_आख़िरुज़्ज़मा_हुज़ूर_ﷺ ने फ़रमाई थी, एक ऐसा शहर जो जुग्राफियाई ऐतबार से ऐसी जगह था, जिसे फ़तह किए बगैर सल्तनत ए उस्मानिया अधूरी थी और वो शहर था #कुस्तुन्तुनिया।

होश संभालने के वक़्त से #सुल्तान_मुहम्मद_फ़ातेह ने इस शहर की तारीख़ सुनी थी और उसके चर्चे इनके कानों में गूँजते थे, उम्र बढ़ने के साथ साथ जहाँ उस शहर के बारे में मालूमात में इज़ाफ़ा होता चला गया, साथ ही इस शहर की तस्ख़ीर (फ़तह) की उमंग भी दिल में परवान चढ़कर पुख़्ता होती चली गई।

यह ख्वाबों का शहर था, इसकी फ़तह वाक़ई अज़मतो से हमकिनार कर सकती थी, क्यूँकि सदियों से दुनिया के फ़ातेह इसे फ़तह करने के लिए ख़्वाब देखते रहे थे, इस पर यलगार करके इसे मुहासरे में लेते रहे और नाकाम चले जाते रहे।

#सुल्तान कुस्तुन्तुनिया को अपनी शुजाअत, जंगी महारत और ज़हानत के लिए एक चैलेंज समझता था, वह इस शहर को फ़तह करके दुनिया के अज़ीम फ़ातेहीन की सफ़ में मुमताज़ मकाम हासिल करना चाहता था, इन्हें शायद यह ईल्म न था, अगर्चे दुनिया में बहुत से फ़ातेहीन हुए है, लेकिन #फ़ातेह का लफ्ज़ व लक़ब इनके नाम का जुज़ बन जाएगा, क्यूँकि अस्ल फ़ातेह तो वो हुआ जिसने इस शहर को फ़तह करके दिखा दिया जिसे सदियों से कोई फ़तह नही कर पाया।

#ख़ुश्की_पर_समुंद्री_जंगी_बेड़े

दुनिया का कोई माहिरीने जंग, कोई मोअर्रिख इससे इख़्तेलाफ़ नही कर सकता कि दुनिया की अज़ीम जंगो और किसी हुक्मरान, किसी फ़ातेह, किसी जनरैल और किसी सिपाही को ऐसा ख़्याल न कभी आया और न ही किसी ने ऐसे ख्याल को अमली जामा पहनाया था, #सुल्तान_मुहम्मद_फ़ातेह को जो तदबिर सूझी थी वो अनोखी, हैरानकुन और नाकाबिले यकीन थी, यह फैसला जुरअत मन्दी की तारीख़ में अपनी नोइय्यत का फैसला है, पूरी दुनिया की तारीख़ में ऐसे फैसले की मिसाल नही मिलती….

#सुल्तान मुहम्मद फ़ातेह ने फैसला किया कि वह अपना बहरी बेड़ा (जंगी जहांज) इस जंग में इस्तेमाल करेंगे, लेकिन यह बहरी बेड़ा (जंगी जहांज) समुंद्री रास्ते पानी में तैरता हुआ, समुन्दर के अन्दर दाखिल नही होगा, तुर्की बहरी बेड़ा कुस्तुन्तुनिया पर समुंद्री रास्ते से हमला करेंगा लेकिन यह सफर पानी पर तय नही होगा, क्यूँकि समुंद्री रास्ते दुश्मन ने बन्द कर रखा था।

#सुल्तान_मुहम्मद_फ़ातेह ने फैसला किया कि इस समुंद्री जंगी बेड़े का यह फासला ख़ुश्की के रास्ते ते करेगा…

क्या कोई इस ख्याल को अक़्ल पर मबनी करार दे सकता है कि समुंद्री बेड़ा और ख़ुश्की के रास्ते पर सफर…कैसे??

लेकिन ऐसा हुआ, जंगी बेड़ा समुंद्री रास्ते पानी पर तैरते हुए नही बल्कि ख़ुश्की के रास्ते कुस्तुन्तुनिया के समुंद्री रास्ते की नाकाबंदी करते दुश्मन के बहरी बेड़े को फलांगते हुए कुस्तुन्तुनिया पहुँचा यह इंसानी तारीख़ का बहुत ही हैरतअंगेज वाक़िया है।

#सुल्तान_मुहम्मद_फ़ातेह की यह जंगी फिरासत का वो नमूना है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया के हुक्मरान पेश करने से क़ासिर है।

मुख़्तसर यह कि इन जंगी बेड़े को ख़ुश्की पर खिंचने के लिए #सुल्तान ने एक सड़क बनवाई और यह किसी पत्थर, रोड़ी और मसाले की नही बल्कि यह सड़क लकड़ी के गत्तों की थी,, दस मिल लम्बी यह लकड़ी की सड़क इस तेजी व ख़ामोशी से बनाई गई कि दुश्मन को कानोंकान ख़बर तक न हो सकी और जब यह जंगी बेड़े कुस्तुन्तुनिया में सामने आए तो दुश्मन के होश उड़ गए और इसे मोज्ज़ा समझने और तसव्वुर करने लगे,,,, लेकिन अब तो यह मोज्ज़ा हो चुका था।

फिर वह #29_मई_1453_ईस्वी का दिन आ ही गया जिसके बारे में प्यारे आक़ा, #नबी_ए_आख़िरुज़्ज़मा_ﷺ ने पेशगोई फ़रमाई थी कि “तुम लोग एक दिन कुस्तुन्तुनिया फ़तह कर लोंगे, पस बेहतरीन अमीर उसका अमीर होगा और वह लश्कर बेहतरीन लश्कर होगा।

Exit mobile version