ख़ास आप सबके लिए सवाल भी और जवाब भी
झूट और मक्कारी चरम सीमा पर
इंसान क़ाबिलियत ना देख,नाम पे नौकरी
हिन्दू मुसलमान धर्म जाति वाद की अति बढ़ोतरी
लोकतंत्र शायद ही बचा हो कही
पत्रकारिता आधे से ज़्यादा बिक चुकी
लेकिन
हॉस्पिटल में जब ख़ून की ज़रूरत होती तो कोई क्यू नहीं पूछता की ख़ून इनका नहीं लेंगे उनका नहीं
तभी इंसानियत क्यू जगती