“कैसा लगेगा जब आप एक रात शांति से अपने घर में सो रहे हों और सुबह जब आप अपनी आंखें खोलें तो ये पता चले कि अब आप गुलाम हो गए हो और आपकी आज़ादी आपसे छीनी जा चुकी है” यह सोचने भर से ही हमारी रूह कांप जाती है।
जहां एक तरफ हम भारतवासी अपने देश की आज़ादी का दिवस मना रहे थे। वहीं दूसरी तरफ हमारा पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान एक गुलाम मुल्क बन गया। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के वापस जाने के कुछ ही दिनों बाद तालिबान ने वापिस से अफगानिस्तान पर अपना कब्जा कर लिया है।
तालिबान का नाम सुनते ही मुझे इस्लामिक कट्टरपंथी याद आता है। तालिबान एक ऐसा शब्द है, जो मानवता के मायने ही बदल कर रख देता है। औरतों के लिए इनकी सोच और कानून दोनों ही इनकी तरह गन्दी सोच से भरे हुए हैं। आइए जरा इस तालिबानी समूह को विस्तार से समझते हैं-
तालिबान शब्द का मतलब
मैं सबसे पहले आपको बताती हूं कि आखिर “तालिबान” शब्द का मतलब क्या है? तालिबान एक पश्तों भाषा का शब्द है। पश्तों भाषा में छात्रों को तालिबान कहा जाता है।
तालिबान का उदय कैसे हुआ?
1980 में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में अपनी फौज उतारी थी, तब अमेरिका ने ही स्थानीय मुजाहिदीनों को हथियार और ट्रेनिंग देकर जंग के लिए उकसाया था। इसके नतीजन, सोवियत संघ तो हार मानकर चला गया लेकिन अफगानिस्तान में एक कट्टरपंथी आतंकी संगठन तालिबान का जन्म हो गया। हम ये कह सकते हैं कि तालिबान अमेरिका की ही देन है।
क्या है तालिबान का मकसद?
तालिबान का मकसद क्या है? अब यह तो किसी को नहीं पता पर जितना दिख रहा है, उससे तो ये साफ जाहिर होता है कि इसका उद्देश्य है अफगानिस्तान में इस्लामिक अमीरात की स्थापना करना और विश्व में इस्लामिक धर्म की आड़ में डर फैलाना।
तालिबानी राज्य में औरतों के लिए तो जीना ही मुश्किल है। अफगानिस्तान में यदि हम अभी के हालात देखें तो खुलेआम नाबलिग लड़कियों का बलात्कार किया जा रहा है, सड़कें लाशों से भरी पड़ी हैं। वहां के लोग अब अपने देश में रहना नहीं चाहते हैं। देश में चारों ओर भगदड़ मची हुई है। अफगानिस्तान में वर्तमान में गोलियों की आवाज़ों और अराजकता का ऐसा माहौल है कि हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार को देश छोड़ दिया है। इसके बाद तालिबान ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है।
तालिबान का मतलब है आतंकवाद, धर्म के नाम पर लोगों में डर का माहौल बनाना, धर्म के नाम पर अपने आतंकवाद को मज़बूत करना और पूरे विश्व की शांति को मसलना यही इसका मुख्य उद्देश्य है। इसमें इसका साथ दे रहे हैं पाकिस्तान और चीन जैसे देश हम सभी जानते हैं कि इन दो देशों की हमारे देश भारत से कितनी बनती है। मैं मानती हूं कि भारतीय सेना बहुत ही मज़बूत है और बहुत ही सक्षम है, लेकिन मेरे मन में यह भी ख्याल आ रहा है कि किसी दिन अगर तालिबान हमारे देश में घुस गया तो क्या होगा फिर?
अब आप कहेंगे कि मैं ऐसा कैसे कह सकती हूं कि चीन और पाकिस्तान दोनों देश इसकी सहायता कर रहे हैं। मेरे पास इसका कोई पक्का प्रमाण तो नहीं हैं पर मैं इसकी वजह बता सकती हूं कि ये मेरा नज़रिया है। कोविड चीन की देन है और पाकिस्तान, तालिबान को एक अरसे से पनाह दे रहा है, जबकि वो यही कहता है कि वह आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे रहा है।
कोविड जैसी भयानक महामारी से से पूरी दुनिया हिल गई, कितने देशों की अर्थव्यस्था डूब गई और पाकिस्तान तो वैसे भी कर्जे में डूबा हुआ है पर चीन, जहां इस वायरस का निर्माण हुआ, वहां इस वायरस ने उतनी तबाही नहीं मचाई जितनी कि दुनिया के अन्य देशों में मचाई है।
यह सब चीन की एक सोची समझी साजिश थी। दुनिया को एक तरफ कोविड में उलझाकर, वो तालिबान को नाक के नीचे से फंडिंग कर रहा था और तालिबान को सक्षम बना रहा था, ताकि वो वापस से अफगानिस्तान में अपनी आतंकवाद की जड़ें जमा सके वरना आप खुद सोचिए कि ऐसे समय में जहां इस महामारी में किसी भी देश की आर्थिक स्थिति इतनी मज़बूत नहीं है लेकिन तालिबान अफगानिस्तान पर वार करने की हिम्मत रखता है। वो क्या बिना किसी सहारे के हो सकता है? हां, यह अलग बात है कि युद्ध होने से पहले ही वहां के राष्ट्रपति ने हार मान ली और अपने देश को उसके हाथ में रख दिया।
तालिबानी कानून
1. तालिबान ने शरिया कानून के मुताबिक अफगानी पुरुषों के लिए बढ़ी हुई दाढ़ी और महिलाओं के लिए बुर्का पहनने का फरमान जारी कर दिया था।
2. टीवी, म्यूजिक, सिनेमा पर पाबंदी लगा दी गई थी। दस उम्र की उम्र के बाद लड़कियों के लिए स्कूल जाने पर मनाही थी।
3. तालिबान ने 1996 में शासन में आने के बाद लिंग के आधार पर कड़े कानून बनाए। इन कानूनों ने सबसे ज़्यादा महिलाओं को प्रभावित किया।
4. अफगानी महिलाओं को नौकरी करने की इजाजत नहीं दी जाती थी।
5. लड़कियों के लिए सभी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद कर दिए गए थे।
6. किसी पुरुष रिश्तेदार के बिना घर से निकलने पर महिला का बहिष्कार कर दिया जाता था।
7. पुरुष डॉक्टर द्वारा चेकअप कराने पर महिला और लड़की का बहिष्कार कर दिया जाता था।
8. इसके साथ महिलाओं पर नर्स और डॉक्टर्स बनने पर पाबंदी थी।
9. तालिबान के किसी भी आदेश का उल्लंघन करने पर महिलाओं को निर्दयता से पीटा और मारा जाता था।
तालिबानी सज़ा
1. तालिबानी इलाकों में शरियत का उल्लंघन करने पर बहुत ही क्रूर सज़ा दी जाती है। एक सर्वे के मुताबिक, 97 फीसदी अफगानी महिलाएं डिप्रेशन की शिकार हैं।
2. घर में गर्ल्स स्कूल चलाने वाली महिलाओं को उनके पति, बच्चों और छात्रों के सामने गोली मार दी जाती है।
3. प्रेमी के साथ भागने वाली महिलाओं को भीड़ में पत्थर मारकर मौत के घाट उतार दिया जाता था।
4. गलती से बुर्का से पैर दिख जाने पर कई अधेड़ उम्र की महिलाओं को पीटा जाता था।
5. पुरुष डॉक्टर्स द्वारा महिला रोगी के चेकअप पर पाबंदी से कई महिलाएं मौत के मुंह में चली गईं।
6. कई महिलाओं को घर में बंदी बनाकर रखा जाता था। इसके कारण महिलाओं में आत्महत्या के मामले तेज़ी से बढ़ने लगे।
अब सोचने की बात यह है कि जब अब पूरा अफगानिस्तान तालिबान के कब्जे में है, तो ऐसे में जो ये तालिबानी कानून हैं, उनमें कुछ बदलाव होंगे जिसमें महिलाओं के साथ सहूलियत बरती जाएगी या फिर इससे भी ज़्यादा क्रूर कानून बनेंगे।
मानवाधिकारों की हत्या
वहां की लड़कियां अब शायद ही कभी स्कूल जा पाएंगी, अब ना तो वह टीवी, गाने, किताबें ना तो देख पाएंगी और ना ही पढ़ पाएंगी, अपनी पसंद के कपड़े नहीं पहन पाएंगी, अपनी पसंद से शादी नहीं कर पाएंगी, अकेले घर से बाहर भी नहीं निकल पाएंगी, ना तो उन्हें अब नौकरी करने की इजाजत मिलेगी, ना तो उन्हें शिक्षा मिलेगी।
अमेरिकी सरकार भी इस घटना के लिए कहीं-ना-कहीं पूर्ण रूप से ज़िम्मेदार है, उन्होंने यह कहते हुए कि अब अफगानिस्तान अपनी रक्षा करने के लिए सक्षम है और वहां से अपनी सेना को वापस बुला लिया और आप सभी देख रहे होंगे कि अमेरिकी सेना के जाने के 1 सप्ताह बाद ही तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है।
मुझे तो यह सोचकर भी चिंता हो रही है कि हमारी आने वाली अगली पीढ़ी क्या शांतिपूर्वक जी पाएगी? यह सब कभी बंद होगा? क्या आतंकवाद कभी खत्म होगा? क्या भारत सुरक्षित है? काश की दुनिया में शांति, प्रेम और सद्भावना नाम की भी कोई चीज़ होती।