हाल ही में बीजेपी के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 15 करोड़ लोग गरीब कल्याण योजना पर निर्भर हैं। अब आप ही सोचिए अगर अकेले उत्तर प्रदेश में इतने गरीब हैं, तो पूरे भारत में कितने होंगे? पिछले दो सालों में पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा गरीबों की संख्या अगर कहीं बढ़ी हैं तो वह है अपना देश भारत। आज़ादी के 74 साल बाद भी भारत में करोड़ों ऐसे लोग हैं, जिन्हें ठीक से दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं होती।
आपको पता होना चाहिए कि गरीबी वो श्राप है, जिसका असर ना केवल वर्तमान में जी रहे इंसानों पर पड़ता है बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी इसका शिकार होती हैं। गरीबी की मार सबसे ज़्यादा महिलाओं और बच्चों को झेलनी पड़ती है। महिलाओं को कई बड़ी समस्याओं से जूझना पड़ता है। वहीं बच्चों को स्कूली शिक्षा प्राप्त ना होने की वजह से उनका सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से आने वाली हमारी नई पीढ़ियां भी गरीबी का शिकार होती हैं।
आपको बताते चलें कि भारत में 2011 के बाद गरीबी रेखा के नीचे आने वाले व्यक्तियों की गणना ही नहीं की गई है। यह सभी आंकड़े वर्ल्ड बैंक एवं अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा जुटाए गए हैं। अभी फिर भी हमारी आंखों के सामने सब कुछ आभासी लग रहा है, लेकिन जरा सोचिए कि वास्तविकता कितनी भयानक होती होगी और वो लोग किन हालातों में जीते होंगे? अब सवाल यह उठता है कि गरीबी कम होने के बजाय आखिर तेज़ी से क्यों बढ़ रही है? आखिर कौन है इसका जिम्मेदार? सरकार या हम खुद?