भारत में छात्र राजनीति मुख्यधारा की राजनीति का अभिन्न अंग है और छात्र राजनीति से ही भविष्य के नेता सृजित किए जाते हैं। भारत के वंचित वर्गों के सामाजिक और राजनीतिक विकास में छात्र राजनीति की क्या भूमिका है, इस पर हम चर्चा करेंगे।
भारत मे छात्र राजनीति ने भारत के बड़े-बड़े धुरंधरों को परास्त करने का काम किया है चाहे वह जेपी के आंदोलन के द्वारा सबसे सशक्त भारत के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को कुर्सी से उतारना हो या फिर इमरजेंसी जैसे काले निर्णय का पुरजोर विरोध करना।
यह छात्र राजनीति का ही देन है कि भारत में लोकतंत्र जीवित है, जिस तरीके से श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारत में इमरजेंसी लगाई थी। वह भारत के लोकतंत्र को खत्म करने का एक प्रयास था, परंतु भारत के सशक्त छात्र राजनीति ने उस समय तत्कालीन तानाशाही नेत्री को मुंहतोड़ जवाब दिया था।
विश्वविद्यालयों में छात्र राजनीति से एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों के नेतृत्व का विकास होता है
छात्र राजनीति का कैंपस में होने से जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी के हिसाब से ही छात्र नेताओं का चुनाव होता है और स्वाभाविक है कि एससी, एसटी, ओबीसी के बहुसंख्यक होने से इन वर्गों के लोग आसानी से अपने उम्मीदवार को छात्रसंघ इत्यादि के प्रमुख पदों पर विजय दिला देते हैं।
इसलिए छात्र राजनीति कैंपस में भारत के वंचित वर्गों के उत्थान और उनके नेतृत्व सर्जन का एक बड़ा कारण है। इस देश में सवर्ण वर्ग के राजनीति पर पूर्णतया कब्जे ने छात्र राजनीति को आंशिक रूप से खत्म करने का काम किया है। यह छात्र राजनीति का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश से मुलायम सिंह यादव, बिहार से नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी, लालू यादव सरीखे नेता साधारण परिवार से राजनीति में आगे आए और आगे चलकर उन्होंने अपने राज्य और देश की राजनीति में अपने वर्गों का कुशलता से नेतृत्व किया।
छात्र राजनीति के कारण देश के टॉप विश्वविद्यालय में बढ़ रहा है बहुजनों का प्रतिनिधित्व
अब पिछले कुछ सालों में, दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनावों में भी वंचित वर्गों की अहम भूमिका दिखाई दी है। इसके पीछे का एकमात्र प्रमुख कारण है कि वंचित वर्गों का बहुसंख्यक होना और छात्र राजनीति के कारण उनमें नव राजनीतिक चेतना का जागरण होना इसलिए छात्र राजनीति देश के कमज़ोर और वंचित वर्गों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
भारत के लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए छात्र राजनीति को जीवित रखना ज़रूरी है
छात्र राजनीति से ही वंचित वर्गों के युवा अपने संवैधानिक एवं मूल अधिकारों के लिए लड़ने के लिए तैयार होते हैं और इनमें से ही कुछ युवा विद्यार्थी आगे चलकर देश का नेतृत्व करने वाले नेता भी बनते हैं। अतः छात्र राजनीति भारतीय लोकतंत्र का सुरक्षा कवच है।
जैसा कि हमने अभी चर्चा की है कि यह छात्र राजनीति का ही देन है कि श्रीमती इंदिरा गांधी के द्वारा इमरजेंसी जैसे काले लोकतंत्र विरोधी निर्णय के बावजूद भी विद्यार्थियों के संघर्ष ने ही इंदिरा गांधी जैसी महिला को भी झुकने पर मज़बूर किया।