चंचल मन और हस्तियां एक व्यक्ति की
उसके कई प्रकार और पहेलियां मानो अनंत काल तक की।
आखिर खुद ही सुलझा हुआ मन, मानो उसी के व्यक्तित्व का एक छोर है,
पर बदलाव ऐसा मानो उसके मन पर कुछ कर जाने का शोर है।
क्या यह मन वाकई एक असमंजस की गहराई है,
जिसमें गुमनाम ज़िदगी, उसकी ही एक परछाई है।
यहां ना जीत है ना हार है,
पर खुद को तराशने जैसा, जीवन एक इश्तिहार है।
– अंकुर