गत महीने की 30 जुलाई, 2021 को ‘वर्ल्ड डे अंगेस्ट ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स’ (World Day Against Trafficking In Persons 2021) के अवसर पर पूरी दुनिया में ट्रैफिकिंग के खिलाफ चर्चा हुई थी। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी चार दशकों से बाल श्रम और बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं। इस दौरान उन पर कई बार हमले भी हुए हैं, लेकिन सत्यार्थी अपनी जान हथेली पर रख कर बाल श्रम पर विराम लगाने के लिए लगातार प्रयास करते रहे।
फिलहाल, उन्होंने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ एक सख्त कानून बनवाने का बीड़ा उठाया हुआ है। एक एंटी-ट्रैफिकिंग बिल संसद में पास करवाने हेतु, वे एक अरसे से संघर्ष कर रहे हैं। इस सिलसिले में, वे और उनका संगठन एक ओर जहां जन-जागरुकता यात्राएं आयोजित करके आम जनमानस का सरकारों पर दबाव डलवाकर कानूनों को पारित कराने का काम करते रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, उन्होंने कई सम्मेलनों, जन-जागरुकता यात्राओं और नोबेल विजेताओं तथा वैश्विक नेताओं को भी इस विश्व व्यापी मुद्दे पर एकजुट किया है।
लोकसभा एवं राज्यसभा में एंटी ट्रैफिकिंग बिल करने के लिए प्रयासरत
पिछली बार यानी 2018 में लोकसभा से एंटी ट्रैफिकिंग बिल पास भी हो गया था, लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो सका। श्री सत्यार्थी की कोशिश है कि इस मानसून सत्र में एक मज़बूत एंटी ट्रैफिकिंग बिल पास हो जाए, जिससे बच्चों से जो जबरिया मज़दूरी कराई जाती है, उस पर रोक लगाई जा सके और बाल दुर्व्यापार (ट्रैफिकिंग) पर सदा के लिए लगाम लग जाए। गौरतलब है कि बाल दुर्व्यापार पर रोक लगने का मतलब है बाल मज़दूरी, बाल वेश्यावृत्ति, बाल भिक्षावृत्ति, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, शरणार्थियों के यौन उत्पीड़न, मानव अंगों के अवैध कारोबार आदि पर रोक लगना।
इसके लिए श्री सत्यार्थी तथा उनके साथी व्यक्तिगत रूप से विभिन दलों के नेताओं, सांसदों और संबंधित मंत्रियों से मिल रहे हैं और उनसे एंटी ट्रैफिकिंग बिल को पास कराने की मांग कर रहे हैं। सांसदों और सरकार पर दबाव बनाने के लिए श्री सत्यार्थी ने कई जन जागरूकता अभियान भी चलाए हैं, जिसमें लॉरियेट्स एंड लीडर्स समिट फॉर चिल्ड्रेन प्रमुख हैं। इस कार्यक्रम में पूरी दुनिया से नोबेल पुरस्कार विजेताओं तथा वैश्विक नेताओं ने भाग लिया तथा उन्होंने एक स्वर में बच्चों के पक्ष में आवाज़ बुलंद की।
लॉरियेट्स एंड लीडर्स समिट फॉर चिल्ड्रेन में बाल अधिकारों की पुरजोर वकालत की
सभी ने बाल-दुर्व्यापार, बाल मज़दूरी, बाल यौन शोषण आदि को खत्म करने की मांग की। पहला लॉरियेट्स एंड लीडर्स समिट फॉर चिल्ड्रेन भारत की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया, जिसकी मेजबानी भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने की थी। प्रणब मुखर्जी इस कार्यक्रम को लेकर इतने उत्साहित थे कि जब श्री सत्यार्थी ने उनको इस कार्यक्रम की रूपरेखा बताई तो उन्होंने इस कार्यक्रम को राष्ट्रपति भवन में आयोजित करने का प्रस्ताव श्री सत्यार्थी के सामने रख दिया।
दूसरा लॉरियेट्स एंड लीडर्स समिट फॉर चिल्ड्रेन 26 मार्च 2018 को जॉर्डन में सुल्तान अब्दुल्लाह दोयम की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। शहज़ादा अली बिन अल हुसैन कार्यक्रम के सह-मेजबान थे। इस कार्यक्रम में भारत सहित पेरु, ब्राज़ील, पाकिस्तान, केन्या, युगांडा, फिलिस्तीन, इन्डोनेशिया, सीरिया, जॉर्डन और जातरी शरणार्थी कैंप के युवाओं ने भाग लिया। जातरी कैंप के युवा पहली बार कैंप से बाहर निकले थे। इस कार्यक्रम के माध्यम से बाल शोषण के विरुद्ध एक स्पष्ट संदेश पूरी दुनिया में गया था।
तीसरा लॉरियेट्स एंड लीडर्स समिट फॉर चिल्ड्रेन 09-10 सितंबर 2020 को ऑनलाइन आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से श्री सत्यार्थी ने कोविड-19 से पीड़ित दुनियाभर के बच्चों के लिए एक अनोखा अभियान चलाया, जिसका नाम फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन है। इस कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के महानिदेशक गाय रायडर, बाल अधिकार कार्यकर्ता व पूर्व बाल मजदूर ललिता दुहारिया, संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव मार्टिन चुंगोन, भारत सरकार की तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी तथा नोबल विजेता कैलाश सत्यार्थी ने संबोधित किया।
फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन अभियान के ज़रिये, उन्होंने विश्व की सरकारों से अपील की कि बाल दासता को खत्म करने के लिए दुनिया की अमीर सरकारें एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की धनराशि प्रदान करें। इस अभियान से कोविड-19 के कारण सबसे हाशिए पर रहने वाले बच्चों की तरफ विश्व के नेताओं का ध्यान गया।
बाल दुर्व्यापार रोकने हेतु सत्यार्थी ने जन-जागरूकता यात्राएं की हैं
बाल दुर्व्यापार रोकने हेतु श्री सत्यार्थी ने विगत वर्षों में भी अनेक कदम उठाए हैं, जिससे इस सामाजिक बुराई के खिलाफ आम लोगों में जागरुकता आई है लेकिन अभी भी अपराधी किस्म के लोग अभिभावकों को बहका-फुसलाकर उनके बच्चों की ट्रैफिकिंग करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। श्री सत्यार्थी ने ट्रैफिकिंग के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए अनेक जन-जागरुकता यात्राएं निकलीं। जिनमें प्रमुख जन-जागरुकता यात्राएं इस प्रकार हैं- नगर-उटारी यात्रा, 1994 में कन्याकुमारी से दिल्ली तक।
ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर 1998 में, यह यात्रा 103 देशों में निकाली गई। शिक्षा यात्रा-2001 और साउथ एशियन मार्च अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग-2009, असम चाइल्ड लेबर एंड ट्रैफिकिंग मार्च 2012 यात्राओं का आयोजन किया। इसके अलावा भारत यात्रा 2018, इस यात्रा ने कुल 12,000 हज़ार किलोमीटर की दूरी तय की। भारत यात्रा में 5000 सिविल सोसाइटी संगठनों, 500 भारतीय राजनेताओं, 600 स्थानीय राजनेताओं, राज्य स्तरीय व केंद्रीय अधिकारियों, 60 से अधिक धर्मगुरुओं, 300 से अधिक जज और 25,000 शिक्षण संस्थानों ने भाग लिया। यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर सभाएं करके, बाल दुर्व्यापार तथा बाल यौन शोषण के खिलाफ आम जनमानस में जागरुकता पैदा की गई।
इन जन-जागरुकता यात्राओं में राजनेता, नौकरशाह, न्यायाधीश तथा लाखों की संख्या में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इन यात्राओं के माध्यम से श्री सत्यार्थी ने अपनी बात विश्व नेताओं जैसे राजाओं, रानियों, राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, न्यायाधीशों, सांसदों आदि के सम्मुख रखी।
अंत में निष्कर्ष यह है कि श्री सत्यार्थी ने चालीस साल पहले ही बाल दुर्व्यापार के दुष्परिणामों के बारे में अंदाज़ लगा लिया था। वे जान चुके थे कि इस संगठित अपराध का समूल समाप्ति तब तक संभव नहीं है, जब तक कि इसके लिए एक व्यापक और समग्र कानून नहीं बन जाता और वह संसद से पास नहीं हो जाता। इस तरह का कानून एक तरफ, जहां ट्रैफिकिंग की कमर तोड़ेगा, वहीं दूसरी तरफ इसके माध्यम से पीडि़तों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा, संरक्षा और पुनर्वास को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
नोट- (लेखक प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष हैं।)