आज बिहार में तीन सबसे बड़ी समस्याएं , जो हर बिहारी के लिए एक संकट के रूप में हैं। कोरोना महामारी के इस समय लोग अपने घरों पर रह रहे हैं। वहीं सब लोग जब घर पर हैं तो बाढ़ से से परेशान हैं और अगर इन सब से बच भी जा रहे हैं तो मंहगाई ने उनको मार रखा है। बिहार के लोग, यह तीन संकटों से काफी डरे हुए हैं। अगर हम बिहार सरकार की बात करें, तो सरकार इन सभी समस्याओं से लोगों को बचाने में नाकामयाब है।
कोरोना का कहर बिहार में?
बिहार में, पिछले 24 घंटे में कोरोना के 46 नए मामले मिले हैं और 2 की मौत हो गई है, अब तक बिहार में कोरोना के 7.25 लाख केस मिले हैं और 7.15 लाख लोग ठीक भी हुए हैं, 9,644 लोगों की मौत भी हुई है। हालत ऐसी है कि डॉक्टर आते ही नहीं हैं और अभी जो बाढ़ का संकट है, इस वक्त तो कई स्वास्थ्य केंद्रों में पानी आ चुका है, लेकिन बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग इन सब समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है।
हद तो तब हो गई, जब ZEE बिहार न्यूज़ की खबर के मुताबिक, छपरा नगर निगम वार्ड संख्या एक ब्रह्मपुर इमामबाड़ा के समीप उर्दू मध्य विधालय में कोविड वैक्सीन सेंटर बनाया गया है, जिस पर दिनांक 21.06.2021 को स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कोविड वैक्सीन के नाम पर लोगों को खाली सिरिंज का टीका लगाया जा रहा था एवं डाटा भी समय पर अपलोड नहीं किया जा रहा था। ज़िले में बहुत सारे ऐसे स्वास्थ्य केंद्र हैं, जहां कोरोना मरीजों के लिए बेड तक नहीं हैं। ऐसे में बिहार की गरीब जनता को, नेताओं और प्रशासन से कुछ मदद भी नहीं मिल रही है।
बिहार में बाढ़ की लहर से कैसे लोग प्रभावित हैं?
हर साल की तरह इस बार भी बिहार में बाढ़ की लहर आ चुकी है। राज्य के कई ज़िलों में नदियां उफान पर हैं। पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी और सीमांचल के कई ज़िले बाढ़ के पानी की चपेट में हैं। ना जाने कितने ही लोगों का अनाज, घर और फसल आदि कितने का नुकसान हो चुका है?
लोगों का कहना है कि दिन तो कैसे भी काट लेते हैं लेकिन रात काटना बहुत मुश्किल हो जाता है। वहीं जल आपदा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, गंडक, सिकरहना, बागमती, कमला, कोसी आदि कई ऐसी नदियां, जो अपने खतरे के निशान को पार कर गई हैं। बाढ़ के कारण बिहार में करीब 30 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं जबकि लाखों की संख्या में लोगों को राहत क्षेत्र में लाया गया है। बिहार में लगातार बारिश होने से नदियों ने अपना विकराल रूप ले लिया है। हालत तो ऐसी हो गई है कि नदियों का पानी अब शहरी इलाकों में भी आ चुका है, जिससे सभी ऑफिस और घरों में पानी का जमाव हो गया है।
बाढ़ की वजह से कई बांध टूट चुके हैं, जिसकी वजह से लोगों को अपनी जान का खतरा बन चुका है। लोगों के आने-जाने वाली सड़क पर भी पानी आ चुका है, जिससे लोग अपने काम पर भी नहीं जा पा रहे हैं। बिहार सरकार के विकास के खोखले दावों को, बाढ़ के पानी ने खोल कर रख दिया है, जब बतिया ज़िले के कलेक्टर के घर में पानी आ गया तो सरकार से लेकर प्रशासन तक की बोलती बंद हो गई है।
ऐसे कई केस हैं। इन सब से पता चल रहा है कि राज्य सरकार की लापरवाही का परिणाम आम लोगों को झेलना पड़ता है। महंगाई इस वक्त सब से बड़ी समस्या है। महंगाई तो बड़ी और गंभीर समस्या के रूप में सामने आई है। इस समय के साथ महंगाई और भ्रष्टाचार के कारण, हमारे बिहार की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि अमीर और अमीर होता जा रहा है और गरीब गरीबी के दलदल में फंस रहा है। राज्य सरकार, इस समस्या पर भी नाकामयाब है। राज्य सरकार महंगाई और गरीबी का नाम लेकर लाखों लोगों के वोट बटोरती है लेकिन सरकार बनते ही लोगों से किए हुए सारे वादों को भूल जाती है।
बिहार में खुदरा महंगाई दर 6.26% है और औद्योगिक विकास दर 29.3% हो चुकी है, जबकि सरकार पेट्रोल और डीजल से 32% के लगभग टैक्स वसूलती है। बिहार के आम लोग आज पेट्रोल, डीज़ल, मेडिसिन, सब्जी, किराया, आदि की समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे ही एक घटना हाल ही के दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, मोतिहारी ज़िले के पूर्वी चम्पारण की है, जहां एक व्यापारी ने कर्जदारों के दबाब में आकर आत्हत्या कर ली। सरकार इन सब मामलों में चुप है और हालत ऐसी है कि आम लोगों में मंहगाई से त्राहिमाम मचा हुआ है।
महंगाई के इस दौर में गरीब रेखा में आने वाले लोगों का ज़्यादा सामना करना पड़ रहा है। हालत ऐसी हो गई है कि राज्य में भुखमरी का समय आ चुका है फिर भी राज्य सरकार चुप है। नेताओं से यही कहना चाहता हूं कि उठो और ईमानदारी से काम करो।
मुझे सिर्फ इतना कहना है कि हर साल ऐसे ही नेता लोग वादे करते हैं, लेकिन गलती जनता की भी है। इस देश के ज़्यादातर नेता भ्रष्टाचार से पूर्ण चोर हैं। नेता वही चुनें, जो आपकी बात को सुने। बिहार की बात करें तो सरकार को इन सब समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और अभी भी बिहार के मुख्यमंत्री को जगना चाहिए, ताकि बिहार का विकास हो सके।