कहते हैं शिक्षा पर सबका बराबर का अधिकार होता है, वो चाहे लड़का हो या लड़की लेकिन क्या वाकई समाज में ऐसा है? कोई भी लड़की जो चाहे कर सकती है, जितना पढ़ना चाहे पढ़ सकती है।
इसका जवाब है नही! आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लड़के और लड़कियों में फर्क किया जाता है। यहां लड़का जितना चाहे, जो चाहे पढ़ सकता है लेकिन लड़की नहीं! यहां लड़की अपनी मर्ज़ी से कुछ नहीं कर सकती है। यहां तक कि पढ़ाई भी नहीं! उनको क्या पढ़ना है और कितना पढ़ना है, वो माँ-बाप और रिश्तेदार तय करते हैं।
यहां ज़्यादातर लड़कियों की शादी दसवीं या बारहवीं पास करते ही कर दी जाती है। मैंने अपनी आंखों से ना जाने कितनी नाबालिग लड़कियों की शादी होते देखा है और मैं चाहकर भी कुछ नही कर पाई, क्योंकि यहां का माहौल ऐसा होता है कि ना तो लड़की आपकी बात सुनती है और ना ही माँ-बाप। लड़कियों के दिमाग में बचपन से ही यह बात भर दी जाती है कि तुम पराये घर की हो, तुम जैसे बड़ी होगी तुम्हारी शादी कर दी जाएगी फिर तुम अपने घर चली जाओगी।
यहां जैसे ही लड़की 10 साल की होती है, पढ़ाई के साथ-साथ उसको घर का सब काम सीखा दिया जाता है, ताकि ससुराल जाकर घर संभाल सके, फिर जैसे ही माँ-बाप की नज़रों में कोई अच्छा लड़का दिखता है, उसकी शादी कर दी जाती है।
खुद के बारे में जाने और खुद को संभाले उससे पहले ही वो अपने बच्चे को संभालने लगती है।
इस समाज में पढ़ाई तब तक ही होती है, जब तक शादी के लिए लड़का नहीं मिल जाता है और यह मैंने खुद देखा है अपने ही गाँव में। मेरे अपने ही चाचा की बेटी की शादी बारहवीं की परीक्षा देते, रिज़ल्ट आने से पहले ही कर दी गई। यही नहीं, 3 साल पहले मेरे पड़ोस में आठवीं क्लास की लड़की, जो महज़ 13 या 14 साल की होगी, उसकी शादी कर दी गई जो आज 17 की उम्र में एक बच्चे की माँ है। ऐसी ना जाने कितनी शादियां होती हैं और इन सब की वजह है शिक्षा की कमी और जागरूकता की कमी।
समाज में लोगों को लड़कियों को ना पढ़ाने और इतनी जल्दी शादी करने के बहुत से कारण हैं। लोगो का सोचना है कि अगर उनको ज़्यादा पढ़ाया जाएगा तो उनका दिमाग बढ़ेगा और मनमानी करने लगेंगी। फिर वो उनकी बात नहीं सुनेगी जैसा वो बोले वैसा नहीं करेगी। इससे समाज मे उनकी इज़्जत खराब हो जाएगी।
वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि लड़कियों को जितना पढ़ाएंगे उतना ही पढ़ा- लिखा लड़का ढूढ़ना पड़ेगा उसकी शादी के लिए फिर उतना ही ज़्यादा दहेज लगेगा, क्योंकि अपने से कम पोस्ट वाले लड़के से शादी नहीं करेंगी। ऐसे में उनका सोचना है कि 12वीं पास करवा कर ही शादी कर दो, ताकि जिस पोस्ट के लड़के को माँ-बाप ढूंढे, उसी से शादी कर ले।
वहीं, कुछ लोगों का सोचना है कि जितना पैसा पढ़ाने में लगाएंगे उतने पैसे में एक अच्छे घर में शादी कर देंगे, क्योंकि यहां आज भी बिना दहेज की शादी नहीं होती है। कुछ लोगों का मानना है कि जितना लड़िकयों को पढ़ाएंगे उतना ही उनका उम्र बढ़ेगा फिर बाद में शादी के लिए लड़का नही मिलेगा।
वहीं, कुछ का मानना है कि लड़की घर की इज़्जत होती है और घर की इज़्जत को घर मे सुरक्षित रहना चाहिए। कहीं बाहर जाए और कुछ हो जाए तो इससे समाज में उनकी इज़्जत पर दाग लग जाएगा।
वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि लड़कियों को ज़्यादा नहीं पढ़ाना चाहिए, क्योंकि अगर वे ज़्यादा पढ़ लेंगी फिर ससुराल में काम नहीं करेंगी। तो उनका संसार बस नहीं पाएगा। ऐसे बहुत कारणों से लोग आज भी लड़कियों को पढ़ाना नहीं चाहते हैं। बस उतना ही पढ़ाते हैं जितने में शादी हो जाए।
हालात तो ऐसे हैं कि लड़का पढ़ना नहीं चाहे फिर भी ज़बरदस्ती पैसे देकर पढ़ाते हैं। बेशक इनको पता है कि वो नहीं पढ़ेगा फिर भी लेकिन वहीं एक लड़की कितना भी बोले कि मुझे पढ़ना है, शादी मत करो फिर भी उसकी शादी कर दी जाती है और बोला जाता है कि शादी के बाद पढ़ लेना, लड़के को बोल दिया गया है कि तुमको पढ़ाए। वो खुद पढ़ाएगा, अगर नहीं तो हम तुम्हें खुद पढ़ाएंगे शादी के बाद और बाद में पता चलता है कि वहीं माँ-बाप कहते हैं तुम्हरा पति जो कहता है करो क्योंकि वो ही तुम्हरी ज़िन्दगी हैं, हम ज़बरदस्ती नहीं कर सकते, जिसके कारण कितनी ही लड़कियों की ज़िन्दगाी खराब हो जाती है।
वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पाती है। वहीं, अगर कोई इंसान अपनी बेटी को पढ़ाना चाहता है फिर भी आज के माहौल को देखकर नहीं पढ़ा पता है। आज समाज में आए दिन रेप हो रहे हैं जिसको देख कर कोई माता पिता अपनी बेटी को घर से बाहर भेजना नही चाहता। आप गांव में रहकर बारहवीं तक पढ़ सकते हैं लेकिन उससे आगे पढ़ने के लिए आपको शहर जाना ही पड़ेगा।
आज हालात ऐसे हैं कि कुछ लोग लड़कियों को पढ़ाना ही नहीं चाहते और जो चाहते हैं वो माहौल देखकर नही पढ़ा रहें और अब तो लड़कियां भी घर से बाहर नहीं जाना चाहती हैं। इसका उदाहरण मैं खुद हूं।
मैंने अपनी ग्रैजुएशन पूरी कर ली है और मैं आगे पढ़ना चाहती हूं, जिसके लिए मुझे दिल्ली जाना है लेकिन आए दिन दिल्ली में बढ़ते बलात्कार के मामलों को सुनकर रूह कांप जाती है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि मानो पढ़ाई और ज़िन्दगी में से किसी एक को चुनना है।
मुझे लगता है आज के वक्त में लड़िकयों के पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण है लोगों की मानसिकता। दिन-प्रतिदिन लड़कियों के साथ बढ़ते अपराध (बलात्कार), लड़के और लड़कियों के प्रति सामाजिक भेदभाव के कारण अपने सपनों से मुंह मोड़ना पड़ रहा है।
सरकार को ज़रूरत है लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ अपराध को कम करने की, ताकि लड़कियां बिना डरे-सहमें अकेली चल सकें। घर वाले ना भी ज़्यादा पढ़ाना चाहें तो भी वे खुद अकेली जाकर पैसे कमाकर पढ़ सकें। सरकार ने हर जगह कॉलेज तो दिए हैं मगर कॉलेज जाने वाले माहौल नहीं दिए हैं।